खुद की जमीन वापस पाने को दफ्तरों के चक्कर काट रहा सोमपाल
जागरण संवाददाता, शामली। भ्रष्ट व्यवस्था, अफसरों की लापरवाही और कानूनी दावपेंच के झोल में गरीब सोमपाल बेहाल हैं। सरकार की ओर से 70 के दशक में रोजी-रोटी का गुजारा करने के लिए पट्टा आवंटन किया गया। 42 साल से वह खेती कर अपने परिवार का पेट पालते रहे, लेकिन साल 2018 में अचानक राजस्व महकमें के कर्मचारियों ने यह कहकर जमीन छीन ली कि उसकी जमीन यहां नहीं है, ब्लकि दूसरी जगह है। जांच पड़ताल में जमीन उन्हीं की साबित हो चुकी है, लेकिन आज तक वापस नहीं हुई है।
शामली क्षेत्र के गांव लिसाढ़ निवासी सोमपाल पुत्र शेर सिंह को गरीब होने के चलते साल 1976 में पट्टा खसरा संख्या-2854 रकबा 0.2050 हेक्टेयर भूमि का आवंटन किया गया था। इस भूमि पर करीब 42 साल से खेती कर वह अपने परिवार का पेट पाल रहे थे। 29 जून 2018 को राजस्व विभाग के कर्मचारियों ने कहा कि यह उनकी भूमि नहीं है, ब्लकि वन विभाग की है। उनकी भूमि दूसरी जगह है। खड़ी ज्वार की फसल पर टै्रक्टर चलवा दिया गया। पीड़ित सोमपाल ने डीएम, मंडलायुक्त, सीएम पोर्टल, पीएम व जनसुनवाई पोर्टल पर अपनी जमीन दिलाने की गुहार लगाई। शिकायतों पर फिर जांच हुई। बकौल, सोमपाल तीन जनवरी 2022 को लेखपाल व कानूनगो ने मौके पर पैमाइश कर जांच की। इसमें वही जमीन उनकी निकली है, जो वन विभाग की बतलाकर छीन ली गई थी। आरोप है कि इस जमीन पर कब्जे के लिए लगातार चक्कर काट रहे हैं, लेकिन सुनवाई नहीं हो रही है। पीड़ित परिवार की गुजर बसर बामुश्किल मजदूरी मेहनत कर रहा है।
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तहसीलदार की जांच रिपोर्ट में सोमपाल की निकली जमीन
11 मई 2022 को राजस्व निरीक्षक व तहसीलदार शामली की जांच रिपोर्ट में स्पष्ट है कि राजस्व अभिलेखों में सोमपाल पट्टाधारक बतौर दर्ज हैं। मौके पर उपस्थित होकर चकबंदी व राजस्व विभाग की संयुक्त टीम ने पैमाइश की। पैमाइश के अनुसार पट्टे की भूमि पर मौके पर वन विभाग के करीब चार साल पुराने यूकेलिप्टस के पेड़ खड़े हैं। इससे स्पष्ट है कि जमीन सोमपाल की ही है। अब देखना है कि जमीन कब वापिस मिलेगी।