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कैराना में बीमारियां बांट रहा है मीट प्लांट

कैराना (शामली) : सूबे की योगी सरकार ने शपथ लेते ही प्रदेशभर के अवैध स्लाटर हाउस पर ता

By JagranEdited By: Published: Thu, 15 Nov 2018 10:16 PM (IST)Updated: Thu, 15 Nov 2018 10:16 PM (IST)
कैराना में बीमारियां बांट रहा है मीट प्लांट
कैराना में बीमारियां बांट रहा है मीट प्लांट

कैराना (शामली) : सूबे की योगी सरकार ने शपथ लेते ही प्रदेशभर के अवैध स्लाटर हाउस पर ताबतोड़ छापेमारी कराते हुए ताले लगवा दिए थे। उस समय कैराना स्थित मीट प्लांट के खिलाफ भी अनियमितताओं पर कार्रवाई हुई थी, लेकिन धीरे-धीरे सबकुछ पुराने ढर्रे पर लौट रहा है। कैराना में एक लाख की आबादी है। यहां आसपास दर्जनों गांव हैं। कांधला व कैराना मार्ग स्थित मीट प्लांट इन दिनों मौत बांटने पर आमादा है। यहां जहां अवैध कटान से अच्छी नस्ल के पशुओं का दिन-प्रतिदिन अकाल पड़ता दिखाई दे रहा है। वहीं प्राण घातक बीमारियों के चलते उपहार में मौत की सौगात बांट रहा है।

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कैराना-कांधला मार्ग पर स्थित मीट प्लांट से लोगों का जीना दुश्वार हो गया है। ग्रामीणों ने फैक्टरी संचालकों पर प्रतिबंधित पशुओं का भी कटान कराने का आरोप लगाया है। प्लांट में हो रहे हड्डियों के भंडारण एवं उन्हें गलाने के लिए लगी फैक्टरियों कि चिमनी से निकलने वाली दुर्गध से लोगों का सांस लेना तक दूभर हो गया है। आरोप यह भी है कि पशुओं का खून जमीन के भीतर छोड़े जाने के चलते भूगर्भ में जल प्रदूषित होता जा रहा है। कई बार लोगों ने प्लांट के खिलाफ आवाज उठाई, परंतु प्रशासनिक अधिकारी मौन बैठे हैं। घनी आबादी के बीच में संचालित मीट एग्रो फूड्स प्राइवेट लिमिटेड मीट प्लांट पर वायु व जल प्रदूषण फैलने का नगरवासियों एवं ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि फैक्टरी में प्रतिदिन सैकड़ों पशुओं का कटान किया जाता है। आरोप है कि फैक्टरी में दुधारू एवं गर्भवती भैसों को भी काटा जा रहा है। इतना ही नहीं कटान के बाद

पशुओं के अवशेष खुले मे फेंके जा रहे हैं। खून नालियों में बह रहा है। जहानपुरा के ग्रामीणों का आरोप है कि जल प्रदूषण से लोग हैपेटाइटिस-सी के शिकार हो रहे हैं। दर्जनों लोगों की इस बीमारी से मौत हो चुकी है। लोगों ने जिलाधिकारी से इस मामले की कई बार शिकायत की है, लेकिन कोई प्रभावी कार्रवाई नही हुई।

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ट्रीटमेंट प्लांट का दावा खोखला

नगर में संचालित मीट फैक्ट्री से निकलने वाले खून को ट्रीट कर उसे खेती योग्य बनाकर खेतों में सप्लाई करने का दावा भी खोखला ही निकला। यह दावा मात्र अधिकारियों को गुमराह करने तक ही सीमित रह गया है। हालांकि मीट फैक्ट्री संचालक का कहना है कि पशुओं के खून को ट्रीट कर बाहर निकाला जाता है, मगर सच्चाई इससे कोसों दूर है।

जागरण टीम ने जब ट्रीट पानी की सत्यता परखने के लिए दौरा किया तो यह दावा मात्र दिखावा निकला। मीट फैक्ट्री संचालक ने फैक्ट्री से पाइप के जरिये जिस पानी को बाहर निकालने का दावा किया है। वह पूरी तरह से दूषित है, जबकि दावा उसे ट्रीट करने का किया जाता है।

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नालों में बहता है खून जैसा पानी

मीट फैक्ट्री संचालक का दावा है कि फैक्ट्री से किसी भी प्रकार का ब्लड बाहर या अंदर जमीन में नहीं उतारा जाता है बल्कि उसे ट्रीट कर खेतों में सप्लाई किया जाता है। इस दावे की पोल फैक्ट्री से निकलने वाला बड़ा नाला खोल देता है, जिसमें ब्लड का पानी बड़ी बहता दिखाई देता है। फैक्ट्री संचालक के अनुसार जब ब्लड को ट्रीट कर बाहर निकाला जाता है तो फिर लाल खून का यह जल कहां से आ रहा है, जो नगरवासियों के लिए मौत बांट रहा है।

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इन्होंने कहा

मीट प्लांट पर निकलने वाले पानी को पूरी तरह से ट्रीट किया जाता है। कुछ लोग आरोप लगा रहे है, यह पूरी तरह से निराधार हैं।

- तनवीर उर्फ फाजिल कुरेशी, मीट प्लांट मैनेजर

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नगरपालिका एवं प्रदूषण विभाग से जांच कराई जाएगी। जांच रिपोर्ट मिलने के उपरांत यदि मामला सही मिला तो प्रभावी कार्रवाई की जाएगी।

- डॉ. अमित पाल शर्मा, एसडीएम।


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