पी-53: आलू की फसल को झुलसा रोग से बचाने की अपील
बारिश और नमी के मौसम में आलू की फसल में झुलसा रोग लगने की आशंका बढ़ जाती है। ऐसे में जिला उद्यान अधिकारी ने किसानों को झुलसा और न्य फसली रोगों से बचाव के उपाय बताए।
जेएनएन,शामली: बारिश और नमी के मौसम में आलू की फसल में झुलसा रोग लगने की आशंका बढ़ जाती है। उद्यान विभाग की ओर से किसानों को लक्षण, बचाव के बारे में विभिन्न माध्यमों से जागरूक किया जा रहा है।
जिला उद्यान अधिकारी डा. हरित कुमार ने बताया कि अगेती फसलों में झुलसा रोग का प्रकोप पत्तियों में नीचे शुरू होता है। पत्ते गहरे भूरे रंग के होने लगते हैं और कुछ दिन बाद सूखकर गिर जाते हैं। पत्तियों पर कुंडलाकार आकृति दिखाई देती है। पछेती झुलसा रोग में फसल को अधिक क्षति होती है। पत्तियां ऊपर से झुलसना शुरू होती हैं और दो-चार दिन में ही रोग पूरी फैल जाता है। रोग से बचाने के लिए पहले ही सुरक्षात्मक उपाय करने चाहिए। किसान बुवाई से 30 से 45 दिन बाद प्रति हेक्टेयर फसल में जिक मैंगनीज कार्बामेट की दो से ढाई किलोग्राम मात्रा 800 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। 10-12 दिन के अंतराल में दो बार फिर से छिड़काव करें। माहू कीट के नियंत्रण को भी उपाय करने चाहिए।
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आम की फसल में गुजिया
और मिज कीट
जिला उद्यान अधिकारी ने बताया कि आम की फसल में नवंबर-दिसंबर माह में गुजिया और मिज कीट का प्रकोप होता है। गुजिया कीट के शिशु जमीन से निकलकर पेड़ पर चढ़ते हैं और नुकसान पहुंचाते हैं। उक्त कीट एक से दो मिलीमीटर लंबे व हल्के गुलाबी रंग के होते हैं। नियंत्रण के लिए बाग में गहरी जुताई करें और पेड़ के तने पर 50 से 60 सेंटीमीटर की ऊंचाई पर 400 गेज की पालीथिन अच्छे से लपेटकर बांध दें। कीट को जमीन पर मारने के लिए जनवरी के प्रथम सप्ताह से 15-15 दिन के अंतराल में दो बार क्लोरीपाइरीफास (1.5 फीसदी) चूर्ण 250 ग्राम प्रति पेड़ के हिसाब से चारों ओर डाल दें। अधिक प्रकोप होने पर मोनोक्रोटोफास 36-ईसी को छिड़काव भी कर सकते हैं। मिज कीट से बचाव के लिए भी जुताई करना बेहतर है। फेनिट्रोथियान 50-ईसी को छिड़काव भी कर सकते हैं।