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देखभाल के अभाव में दम तोड़ देते हैं पौधे

सरकारी अमले का लक्ष्य के अनुरूप शत-प्रतिशत पौधे लगाने का दावा है। अगर इसे सही भी माने तो सवाल ये है कि कितने पौधे पनपे? वन विभाग के अनुसार दस से 12 फीसद पौधे खराब होने का औसत रहता है लेकिन पौधारोपण से जुड़े गैर सरकारी लोगों का मानना है कि सरकारी स्तर पर हुए पौधारोपण में आमतौर से करीब 50 फीसद पौधे विभिन्न कारणों से नहीं पनपते और सूख जाते हैं। इसका प्रमुख कारण देखभाल का अभाव है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 01 Jul 2020 11:17 PM (IST)Updated: Thu, 02 Jul 2020 06:01 AM (IST)
देखभाल के अभाव में दम तोड़ देते हैं पौधे
देखभाल के अभाव में दम तोड़ देते हैं पौधे

शामली, जेएनएन। सरकारी अमले का लक्ष्य के अनुरूप शत-प्रतिशत पौधे लगाने का दावा है। अगर इसे सही भी माने तो सवाल ये है कि कितने पौधे पनपे? वन विभाग के अनुसार दस से 12 फीसद पौधे खराब होने का औसत रहता है, लेकिन पौधारोपण से जुड़े गैर सरकारी लोगों का मानना है कि सरकारी स्तर पर हुए पौधारोपण में आमतौर से करीब 50 फीसद पौधे विभिन्न कारणों से नहीं पनपते और सूख जाते हैं। इसका प्रमुख कारण देखभाल का अभाव है।

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वर्ष 2018 में जिले का लक्ष्य दस लाख 11 हजार 106 पौधे लगाने का था और इसमें वन विभाग को ही दो लाख 77 हजार 643 पौधे लगाने थे। ऐसे ही वर्ष 2019 में लक्ष्य बढ़ा और 11 लाख 27 हजार 546 हो गया और वन विभाग को चार लाख तीन हजार 701 पौधे लगाने की जिम्मेदारी मिली। वन विभाग के साथ ही तमाम अन्य विभागों ने लक्ष्य के हिसाब से पौधरोपण पूरा किया। वन भूमि के अतिरिक्त ग्राम पंचायत की भूमि, सड़कों के किनारे, सरकारी विभागों के कार्यालयों व अन्य भूमि पर पौधे लगाए जाते हैं। इसके बाद कोई देखभाल नहीं होती है। पौधे सूखे या पनपे, किसी को सरोकार नहीं। वन विभाग का दावा होता है कि उनके द्वारा जो पौधे रोपित किए जाते हैं, उनकी देखभाल भी होती है, लेकिन ऐसा नहीं है। तभी तो बड़ी संख्या में पौधे सूख जाते हैं। पर्यावरण प्रेमियों का मानना है कि जो भी पौधे लगाएं, उनकी देखभाल की जिम्मेदारी भी निभाएं। पर्यावरण के संरक्षण को लेकर गंभीर होने की जरूरत है। 92 हेक्टेयर भूमि में पौधारोपण

जिले में पौधारोपण अभियान के तहत 88 हेक्टेयर वन भूमि और चार हेक्टेयर ग्राम पंचायत की भूमि को कवर किया गया। पौधरोपण अभियान में रकबा यही गिना जाता है। विभिन्न विभाग जो पौधारोपण करते हैं, उनमें रकबा नहीं, सिर्फ पौधों की संख्या गिनी जाती है। अभियान की तैयारी

इस बार जिले को नौ लाख 75 हजार 890 पौधे लगाने का लक्ष्य मिला है। वन विभाग को 1.80 लाख पौधे लगाने हैं। शेष पौधे अन्य विभागों के माध्यम से लगाए जाएंगे।

बबूल-यूकेलिप्टिस बुरे नहीं

बबूल और यूकेलिप्टिस को अच्छे पौधे नहीं माना जाता है। यूकेलिप्टिस पानी को काफी अधिक अवशोषित करता है, लेकिन वन विभाग उक्त दोनों को बुरा नहीं मानता है। डीएफओ संजीव कुमार ने बताया कि ऊसर वाली जमीन में बबूल के पौधे लगाए जाते हैं। इससे जमीन में ऊसर कम होता है और जमीन अच्छी होती है। साथ ही बबूल में औषधीय गुण बहुत अधिक होते हैं। वहीं, यूकेलिप्टिस तेजी से बढ़ता है। इसलिए पानी अधिक अवशोषित करता है। इसकी लकड़ी से कमाई होती है। किसान इसलिए ही यूकेलिप्टिस लगाते हैं। बबूल और यूकेलिप्टिस को बुरा मानने की धारणा ठीक नहीं है। इन्होंने कहा

मेरा मानना ये है कि चाहे कुछ पौध कम लगा लें, लेकिन जो भी पौधे लगाए जाएं, उनका पूरा ध्यान रखना चाहिए। पालन की जिम्मेदारी निभानी चाहिए। मैं ऐसा ही करता हूं। मेरे साथ जो लोग जुड़े हैं, वह भी इसी सिद्धांत को अपनाए हुए हैं।

- संजीव आहूजा, पर्यावरण प्रहरी विकास की दौड़ में हरियाली कम हो रही है। हमें संकल्प लेना होगा कि किसी कारण से हमें एक पेड़ काटना पड़ रहा है तो कम से कम पांच पौधे लगाएं और उनकी देखभाल करें। जन्मदिन-शादी की सालगिरह व पूर्वजों की याद में पौधे लगाएं। पर्यावरण की बिगड़ती सेहत के प्रति हम सभी चितित होने की जरूरत है।

- ललित जावला, पर्यावरण प्रहरी युवाओं को जागरूक करने की जरूरत है। पर्यावरण के प्रति हम सभी को अपनी-अपनी जिम्मेदारी को समझना होगा। अपने स्तर से छोटे ही सही, लेकिन प्रयास करने होंगे। कम से कम जो भी पौधे लगाते हैं, उनका ध्यान रखने की जिम्मेदारी को निभाना चाहिए। बहुत बड़ी संख्या में ऐसे लोग हों, जिन्होंने जीवन में एक भी पेड़ नहीं लगाया होगा।

-ओमवीर सिंह, शिक्षक एवं पर्यावरण प्रहरी कुल लगाए जाने वाले पौधों में से दस से 12 फीसद के खराब होने का मानक है। विभिन्न कारणों से थोड़ा बहुत कम ज्यादा यह फीसद हो सकता है। वन विभाग की ओर लगाए जाने वाले पौधों का ध्यान रखा जाता है। विभिन्न प्रकार के पौधों का रोपण होता है। शासन से जिले में पांच जुलाई को पौधरोपण करने की तिथि मिल गई है।

-संजीव कुमार, डीएफओ।


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