सामूहिक जिम्मेदारी है पर्यावरण संरक्षण
पर्यावरण की बिगड़ती सेहत चिता का विषय है। पेड़ों का बेहिसाब कटान कम होती हरियाली प्रदूषित नदियां हवा भी ऐसी कि सांस लेना बीमारियों को अंदर लेना है। ऐसी तमाम समस्याएं हैं जो पर्यावरण के संतुलन बिगड़ने से बढ़ रही हैं। काफी लोग पर्यावरण संरक्षण को लेकर काम कर रहे हैं।
शामली, जेएनएन। पर्यावरण की बिगड़ती सेहत चिता का विषय है। पेड़ों का बेहिसाब कटान, कम होती हरियाली, प्रदूषित नदियां, हवा भी ऐसी कि सांस लेना बीमारियों को अंदर लेना है। ऐसी तमाम समस्याएं हैं, जो पर्यावरण के संतुलन बिगड़ने से बढ़ रही हैं। काफी लोग पर्यावरण संरक्षण को लेकर काम कर रहे हैं। उनके प्रयास सराहनीय हैं, लेकिन पर्यावरण के प्रति हम सभी को अपनी-अपनी जिम्मेदारी को समझना होगा। अपने स्तर से छोटे ही सही, लेकिन प्रयास करने होंगे।
---
पी-24 वृक्षमित्र बनाने में जुटे हैं ईश्वर
शामली: खंद्रावली गांव निवासी सेवानिवृत्त फौजी ईश्वर पाल सिंह चौहान साल 2012 से वह सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, मेरठ, शामली, बुलंदशहर, बिजनौर, बागपत, बड़ौत, हरिद्वार, दिल्ली, हरियाणा में पर्यावरण व जल बचाओ अभियान के तहत भ्रमण कर रहे हैं। स्कूल-कालेज, श्मशान घाट, कब्रिस्तान, चौपाल और विभिन्न स्थलों पर पौधे लगाने को प्रेरित करते हैं। करीब पांच हजार वृक्षमित्र बनाए। ईश्वर पाल सिंह कहते हैं कि जनसंख्या लगातार बढ़ रही है। जैसे-जैसे जनसंख्या बढ़ेगी, वैसे-वैसे यातायात के साधन, उद्योग बढ़ेंगे। कंक्रीट के जंगल बढ़ेंगे। विकास भी जरूरी है, लेकिन असंतुलन से विनाश की ओर बढ़ेंगे। इसलिए संतुलन बनाना होगा। कहते हैं कि उनका लक्ष्य यही रहेगा कि लोगों को जनसंख्या नियंत्रण के लिए जागरूक करें, अधिक से पौधे लगाए जाएं और वर्षा जल संचयन किया जाएगा। लॉकडाउन में सबकुछ बंद था तो प्रदूषण का स्तर कम हुआ। ये भी प्रयास रहेगा कि अधिक से अधिक लोगों को सप्ताह या 15 दिन में एक दिन मोटर वाहनों के बजाय साइकिल का प्रयोग करने के लिए प्रेरित करेंगे। ऐसा करने से हमारी सेहत के साथ पर्यावरण की सेहत में भी कुछ न कुछ सुधार तो होगा ही।
----
पी- 25 बच्चे देश का भविष्य, उन्हें जागरूक करने का लक्ष्य
शामली: कैराना क्षेत्र के गांव रमाडा निवासी मुस्तकीम मल्लाह पानी के दोस्त नाम से जाने जाते है। काठा नदी, यमुना नदी को लेकर वह काफी संजीदा हैं। इसके अलावा वह पौधरोपण को लेकर भी लोगों को जागरूक करते हैं। अपने स्तर से भी पौधारोपण का काम किया जाता है और वन विभाग का भी सहयोग करते हैं। वर्ष 2010 से वह पर्यावरण संरक्षण को लेकर काम कर रहे हैं। कई पुरस्कार पर मिल चुके हैं। मुस्तकीम मल्लाह का कहना है कि भूगर्भीय जल स्तर लगातार नीचे खिसक रहा है।
हमारा उद्देश्य यह है कि पर्यावरण स्वच्छ हो। इसके लिए लोगों का जागरूक होना बहुत जरूरी है। इस बार काठा और यमुना नदी के किनारे काफी संख्या में पौधे लगाए जाएंगे। स्कूल के बच्चों को नदियों के किनारे लेकर जाते हैं। उन्हें पूरी जानकारी दी जाती है। आने वाले भविष्य बच्चे हैं। इसलिए 15 साल से अधिक उम्र के बच्चों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक करना मुख्य लक्ष्य है। पर्यावरण को लेकर हम सभी को अपनी-अपनी जिम्मेदारी का अहसास करना होगा। पी- 27 सामूहिक प्रयास से आएंगे सकारात्मक परिणाम
शामली: कैराना क्षेत्र के गांव पंजीठ निवासी जगदेव सिंह सैनी गांव में ही एक स्कूल का संचालन करते हैं। परिसर में एक नर्सरी विकसित की हुई है। इसमें आम, जामुन, एलोविरा, अर्जुन, पीपल से लेकर तमाम फल, फूल और औषधीय पौधे हैं। जब पौधे तैयार हो जाते हैं तो वह उनका वितरण छात्र-छात्राओं को करते। इसके अलावा अन्य लोगों को भी पौधरोपण के लिए जागरूक और प्रेरित करते रहते हैं। समय-समय पर स्कूल में कार्यशाला का भी आयोजन करते हैं, जिसमें छात्र-छात्राओं को पौधे लगाने और देखभाल करने के बारे में बताया जाता है। कई शिक्षण संस्थान और एनसीसी के अधिकारी भी उनसे पौधे ले जाते हैं। जगदेव कहते हैं कि पेड़ों का कटान अधिक हो रहा है और इसके सापेक्ष काफी कम पौधे लगाए जाते हैं। इससे काफी दिक्कतें पैदा हो रही हैं। हवा दूषित हो गई है और भूगर्भीय जलस्तर भी पाताल में पहुंच रहा है। इसे हम अकेले न तो रोक सकते हैं और न ही काटे गए पेड़ों की भरपाई कर सकते हैं, लेकिन सामूहिक प्रयास होंगे तो जरूरत सकारात्मक परिणाम मिलेंगे। इसी उद्देश्य के साथ वह काम कर रहे हैं।
----
पी- 26 पर्यावरण स्वस्थ तो मनुष्य भी स्वस्थ
शामली: हिमालयन इंस्टीट्यूट फॉर एनवायरमेंट, इकोलॉजी एंड डेवलेपमेंट के निदेशक प्रोफेसर उमर सैफ भी पर्यावरण संरक्षण को लेकर काम कर रहे हैं। पौधरोपण के साथ ही वह किसानों को खेती में रसायन के बजाय जैविक खाद का प्रयोग करने को लेकर प्रेरित करते हैं। शामली शहर से निकलने वाले गंदे पानी का ट्रीटमेंट करने के प्लांट में भी अहम भूमिका रही है। साथ ही तितलियों के संरक्षण को लेकर भी काम कर रहे हैं। उमर सैफ ने बताया कि शुद्ध हवा, शुद्ध मिट्टी और शुद्ध पानी पर्यावरण के मूलभूत तत्व हैं। इन पर ध्यान देना होगा। स्वस्थ पर्यावरण नहीं होगा तो स्वस्थ मनुष्य नहीं होगा। पेड़-पौधे और जीव-जंतुओं को उसी स्थिति में लाना होगा, जैसे कभी पहले था। लक्ष्य मुश्किल जरूर है, लेकिन नामुमकिन नहीं है। बताया कि इस बार खेड़ी गांव से लेकर लिलौन तक मियावाकी पौधरोपण किया जाएगा। इस पद्वति में पौधे जल्दी बढ़ते हैं। वह कहते हैं कि यातायात के साधन बहुत बढ़ गए हैं। सहुलियत तो है, लेकिन पर्यावरण को नुकसान भी बहुत पहुंचता है। मोटर वाहनों में ऐसी तकनीक को बढ़ावा देने की जरूरत है, जिससे पर्यावरण की सेहत ठीक रहे।