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21222 हेक्टेयर भूमि पर हुई धान की रोपाई

जिले में धान की रोपाई 21222 हेक्टेयर भूमि पर हुई है। पिछले साल के मुकाबले रकबा 50 हेक्टेयर बढ़ा है। पिछले तीन साल से क्षेत्रफल में लगातार वृद्धि हो रही है। धान का खरीद सत्र एक अक्टूबर से शुरू होगा।

By JagranEdited By: Published: Tue, 17 Aug 2021 10:57 PM (IST)Updated: Tue, 17 Aug 2021 10:57 PM (IST)
21222 हेक्टेयर भूमि पर हुई धान की रोपाई
21222 हेक्टेयर भूमि पर हुई धान की रोपाई

शामली, जेएनएन। जिले में धान की रोपाई 21222 हेक्टेयर भूमि पर हुई है। पिछले साल के मुकाबले रकबा 50 हेक्टेयर बढ़ा है। पिछले तीन साल से क्षेत्रफल में लगातार वृद्धि हो रही है। धान का खरीद सत्र एक अक्टूबर से शुरू होगा।

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दरअसल, कोरोना काल में सब्जियों एवं फूलों की खेती में काफी नुकसान किसानों को उठाना पड़ा है। लाकडाउन और कोरोना क‌र्फ्यू में सबकुछ बंद रहा और ऐसे में सब्जियों की मांग बेहद कम थी। फूलों की बिक्री तो न के बराबर ही हुई। इसलिए काफी किसानों ने सब्जियों के बजाय धान में दिलचस्पी दिखाई। मोटा धान तो सरकारी क्रय केंद्रों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदा जाता है। बासमती धान की बिक्री भी बाजार भाव पर किसान हरियाणा की मंडियों में करते हैं। मंडी में भाव कम-ज्यादा रहता है, लेकिन एक तरह से नुकसान की आशंका कम रहती है। इसलिए थोड़ा रकबा बढ़ा है। पिछले साल 636 हेक्टेयर रकबा बढ़ा था और इस बार भी 50 हेक्टेयर की वृद्धि हुई है। जिला कृषि अधिकारी हरीशंकर ने बताया कि जिले में 1415 हेक्टेयर क्षेत्रफल में नर्सरी लगाई गई थी और 21222 हेक्टेयर भूमि में रोपाई की गई है। कृषि विभाग का लक्ष्य भी पूरा हो गया है। मोटे धान के मुकाबले बासमती की फसल अधिक होती है। पिछले साल 20 हजार हेक्टेयर में बासमती सुगंधित धान की फसल थी और 1171 हेक्टेयर में सामान्य यानी मोटा धान था।

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यह है न्यूनतम समर्थन मूल्य

इस बार न्यूनतम समर्थन मूल्य सामान्य धान का 1940 और ए-ग्रेड धान का 1960 रुपये प्रति कुंतल है। पिछले साल सामान्य धान का 1868 रुपये और ग्रेड धान का 1888 रुपये प्रतिकुंतल न्यूनतम समर्थन मूल्य था।

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वर्ष, क्षेत्रफल (हेक्टेयर में)

2021-22, 21222

2020-21, 21172

2019-20, 20536

2018-19, 20341

2017-18, 20442

2016-17, 20441

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बासमती के लिए अनुकूल है जलवायु

शामली में गंगा-यमुना का दोआब है। भूमि अधिक उपजाऊ है और जलवायु बासमती धान के लिए अनुकूल भी है। समस्या यह रहती है कि किसानों को बासमती बेचने के लिए हरियाणा का रुख करना पड़ता है। अगर मंडी जिले में हो तो धान का रकबा और अधिक बढ़ सकता है। कृषि विज्ञान केंद्र शामली के वैज्ञानिक डा. विकास मलिक का कहना है कि हमारे यहां के बासमती चावल में सुगंध काफी होती है।

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पिछले साल 29 सितंबर से खुल गए थे केंद्र

पिछले साल सात केंद्रों पर खरीद हुई थी और 29 सितंबर से केंद्र खुल गए थे। काफी किसान हरियाणा में धान बेचने जा रहे थे और तब हरियाणा सरकार ने उत्तर प्रदेश के किसानों से मोटा धान खरीदने पर रोक लगा दी थी। बार्डर पर भीड़ लगी रही थी और किसान परेशान थे। ऐसे में तीन दिन पहले ही खरीद शुरू कर दी गई थी। हालांकि कुछ समय बाद हरियाणा सरकार ने भी अनुमति दे दी थी।


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