अभाव की जिदगी जी रहे प्रशासन की आंख, नाक-कान
ग्रामीण अंचल में पुलिस की सहयोगी की भूमिका निभाने वाले चौकीदारों का अतीत बहुत पुराना और गौरवशाली रहा है। आजादी के पहले इन चौकीदारों का बहुत महत्व होता था। गांवों की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी इन्हीं पर होती थी। खाकी कमीज धोती बेल्ट बल्लमदार लाठी और लाल पगड़ी चौकीदारों की पहचान होती थी।
शामली, जेएनएन। ग्रामीण अंचल में पुलिस की सहयोगी की भूमिका निभाने वाले चौकीदारों का अतीत बहुत पुराना और गौरवशाली रहा है। आजादी के पहले इन चौकीदारों का बहुत महत्व होता था। गांवों की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी इन्हीं पर होती थी। खाकी कमीज, धोती बेल्ट, बल्लमदार लाठी, और लाल पगड़ी चौकीदारों की पहचान होती थी। गांव की सुरक्षा में चौकीदारों को एक तरह से ये पुलिस का दाहिना हाथ माने जाता था। अब नाम के लिए चौकीदार तो हैं लेकिन थानों में बेगारी करने के लिये। थानेदार तो छोड़िए होमगार्ड भी इन पर हुक्म चलाते हैं। पुलिस और प्रशासन की आंख-नाक व कान माने जाने वाले चौकीदारों को सम्मानजनक मानदेय भी मिलता।
चौकीदारों की गांवों में नियुक्ति हाल ही में नहीं, बल्कि सालों पहले हुई थी। उस समय चौकीदारों का अपने क्षेत्र के गांवों में एक जलवा हुआ करता था। सभी गांव के लोग उन्हें सम्मान की नजरों से देखते थे। चौकीदारों का पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के यहां आना जाना लगा रहता था। अधिकारी भी चौकीदारों को सम्मान से बुलाते और बातचीत करते थे, लेकिन जैसे जैसे समय बीतता जा रहा है, चौकीदारों को मिलने वाला सम्मान भी बीते कल की बात होती जा रही है। वर्तमान समय में गांव का चौकीदार बनने के लिए अब आंशिक प्रयास किए जाते हैं। इसके पीछे सोच यहीं रहती है कि काम हो गया तो सही, वरना सब सही। क्योंकि सभी जानते हैं कि चौकीदारों का पहले वाला समय अब दोबारा आने वाला नहीं है। यदि देखा जाए तो चौकीदार बनने से लोगों का मोह भंग होने लगा है। शामली नगर कोतवाली के तीन बड़े गांवों में लंबे समय से चौकीदार नहीं है।
-वेतन 2500, बेगारी ज्यादा
पुराने चौकीदार बताते हैं कि उन्हें बीते सालों में 300, बाद में 500 रुपये वेतन के नाम पर दिए जाते थे। पिछले सरकार ने 1500 रुपये किए, वर्तमान भाजपा सरकार ने प्रदेश में राज संभालने के बाद 2500 किए। वेतन के नाम पर रुपये बढ़ाए गए, लेकिन वर्दी, टार्च, डंडा, लाल साफा, मिले हुए लंबा समय बीत गया। साइकिल भी कई साल पहले मिली थी। इसके बाद थानों में अधिकारियों द्वारा बेगारी ज्यादा कराई जाने लगी। चौकीदारों ने होमगार्ड के वेतन के बराबर वेतन दिलाने की मांग की है।
इन्होंने कहा-
शासन से चौकीदारों का मिलने वाला मानदेय सीधा उनके बैंक खाते में पहुंचता है। वह चौकीदारों की समय-समय पर बैठक लेते रहे हैं। किसी ने आज तक कोई समस्या सामने नहीं रखी। चौकीदारों को पुलिस पूरा सम्मान देती है।
-सुकीर्ति माधव, पुलिस अधीक्षक, एसपी