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कोरोना से बचने का सुरक्षा कवच है मास्क

काफी लोग मास्क को लेकर बिल्कुल भी गंभीर नहीं हैं। लेकिन कोरोना से बचाव के लिए मास्क सुरक्षा कवच से कम नहीं है। मास्क लगाने में भी हमें सावधानी बरतनी चाहिए।

By JagranEdited By: Published: Tue, 24 Nov 2020 10:45 PM (IST)Updated: Tue, 24 Nov 2020 10:45 PM (IST)
कोरोना से बचने का सुरक्षा कवच है मास्क
कोरोना से बचने का सुरक्षा कवच है मास्क

शामली, जेएनएन। काफी लोग मास्क को लेकर बिल्कुल भी गंभीर नहीं हैं। लेकिन कोरोना से बचाव के लिए मास्क सुरक्षा कवच से कम नहीं है। मास्क लगाने में भी हमें सावधानी बरतनी चाहिए।

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फिजिशियन डा. पंकज गर्ग ने बताया कि जब भी कोई खांसता-छींकता है और वह संक्रमित है तो ड्रापलेट के माध्यम से वायरस छह फीट दूर तक चला जाता है। तेज छींकने और खांसने पर दूरी और बढ़ भी सकती है। इसलिए मास्क लगाना जरूरी है। अगर हम शारीरिक दूरी का भी पालन करेंगे तो संक्रमित होने का खतरा नहीं होगा। मास्क लगाने में हमें सावधानी बरतनी चाहिए। एक तो मुंह-नाक को ढककर रखें और मास्क की बाहरी सतह को हाथ न लगाए। अगर छूना जरूरी हो तो पहले और बाद में हाथों को सैनिटाइज कर लें या धो लें। क्योंकि बाहरी सतह पर वायरस हो सकता है और छूने पर वह हाथ पर आ जाएगा। एक मास्क का प्रयोग अधिकतम पांच से छह घंटे तक ही करना चाहिए। अगर कपड़े का मास्क लगा रहे हैं तो गर्म पानी में डिटरजेंट मिलाकर मास्क उसमें डाल दें और करीब डेढ़ घंटे के लिए छोड़ दें। अच्छे से धोने के बाद ही दोबारा प्रयोग में लाएं। वैसे तो एन-95 मास्क सबसे बेहतर माना जाता है। लेकिन आमजन के लिए त्रिस्तरीय सर्जिकल मास्क ठीक हैं। हालांकि हमें किसी भी तरह के मास्क से मुंह-नाक को ढककर रखना चाहिए।

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किस स्थिति में कितना खतरा (फिजिशियन डा. पंकज गर्ग के अनुसार)

-अगर हमें संक्रमित से छह फीट की दूरी पर खड़े हैं। किसी ने मास्क नहीं लगाया हुआ तो संक्रमित के खांसने-छींकने पर हमें संक्रमित होने का खतरा 90 फीसदी तक है।

-अगर हमने मास्क लगाया हुआ है तो खतरा 30 फीसदी तक होता है।

-संक्रमित ने मास्क लगाया हुआ है, लेकिन हमने नहीं तो भी पांच फीसदी तक संक्रमण का खतरा होता है।

-दोनों ने मास्क लगाया हुआ तो 1.5 फीसदी ही संक्रमित होने की आशंका होती है।

-दोनों ने मास्क लगाया हुआ है और छह फीट की दूरी पर हैं तो संक्रमण का खतरा बिल्कुल भी नहीं है।

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वैक्सीन आने तक न करें कोई ढिलाई

सीएचसी शामली डा. रमेश चंद्रा ने बताया कि वैक्सीन आने तक सावधानी में किसी भी तरह की ढिलाई नहीं करनी चाहिए। फिलहाल, मास्क का प्रयोग, शारीरिक दूरी का पालन और बार-बार हाथों को धोना-सैनिटाइज करना ही बचाव है। साथ ही अगर हम किसी संक्रमित के संपर्क में आते हैं या बुखार, खांसी-जुकाम, खाने में स्वाद न आना, गंध न आना आदि लक्षण हैं तो कोरोना की जांच जरूर करा लें। अगर सावधानी की गाइडलाइन का पालन करेंगे तो निश्चित रूप से कोरोना के कहर से बचे रहेंगे।


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