मौसम की मार से फलों का राजा हुआ 'आम'
आम की फसल पर मौसम और कोरोना दोनों की मार पड़ी है। ऐसे में बागवान और बाग ठेकेदार परेशान हैं। आंधी से नुकसान हुआ है और आम के दाम भी मंडी में बेहद कम मिल रहे हैं।
शामली, जेएनएन। आम की फसल पर मौसम और कोरोना दोनों की मार पड़ी है। ऐसे में बागवान और बाग ठेकेदार परेशान हैं। क्योंकि आंधी से नुकसान हुआ है और आम के दाम भी मंडी में बेहद कम मिल रहे हैं। ऐसे में मुनाफा तो दूर, बल्कि नुकसान का डर परेशान कर रहा है।
लॉकडाउन और कोरोना के प्रकोप के कारण सब्जी उत्पादक किसान बेहद परेशान रहे। मंडियों में कौडि़यों के भाव मिले और ऐसे में काफी किसानों ने फसल खुद ही समय से पहले नष्ट कर दी। जिले में आम की फसल का क्षेत्रफल करीब दो हजार हेक्टेयर है। अनलॉक में आम तैयार हुआ और बागवानों व बाग ठेकेदारों की उम्मीद थी कि आम के अच्छे दाम मिल जाएंगे। लेकिन फलों का राजा कहे जाने वाले आम के दाम काफी कम हैं। पहले ही आंधी, ओलावृष्टि से नुकसान हो चुका है और रविवार तड़के आई आंधी ने जले पर नमक छिड़कने का काम किया। पेड़ों से काफी मात्रा में आम टूटकर गिर गया। बागवान हरेंद्र सिंह ने बताया कि पहले ही मंडी में आम बहुत कम दाम पर जा रहा है और टूटकर गिरा आम में दाग आ गया। ऐसे आम के दाम बेहद कम मिलेंगे। दशहरी आम इस वक्त मंडी में 20 से 30 रुपये प्रतिकिलो तक बिक जाता था, लेकिन वर्तमान में दस-15 रुपये से अधिक नहीं मिल रहे। दिक्कत ये भी आ रही है कि पूरे माल की खपत भी नहीं हो रही है। बाग ठेकेदार साबिर ने बताया कि ठेके की रकम निकलना भी मुश्किल है। मुनाफे की कोई उम्मीद नहीं है। अब तो यही प्रार्थना है कि ठेके का पैसा दिया जा सके। क्योंकि नुकसान से बाग मालिक को मतलब नहीं होता है। बागवान उपेंद्र कुमार ने बताया कि अगर आम कहीं बाहर की मंडी में लेकर जाएं तो ट्रांसपोर्ट का खर्च बढ़ता है। दाम वही मिलते हैं। इतना जरूर है कि बड़ी मंडी में पूरा माल खप जाता है। थोक फल व्यापारी राजन पाल ने बताया कि मैंगो शेक में काफी आम की खपत होती है, लेकिन इस बार कोरोना के चलते लोग बाहर मैंगो शेक पीने से परहेज कर रहे हैं। मंडी में माल अधिक आ रहा है और डिमांड उतनी नहीं है। इस कारण दाम कम हैं।