उस दौर के आदर्श विधायक थे मलखान सिंह
थानाभवन क्षेत्र के गांव हसनपुर लुहारी निवासी पूर्व विधायक स्व. मलखान सिंह सैनी ऐसी शख्सियत थे कि इंदिरा गांधी तक उनकी मुरीद थीं। विधायक रहने के कुछ सालों बाद उन्होंने राजनीति से तौबा कर ली लेकिन अनूसूचित-पिछड़ों और गरीबों को हक दिलवाने का जज्बा मरते दम तक बरकरार रखा।
शामली, जागरण टीम। थानाभवन क्षेत्र के गांव हसनपुर लुहारी निवासी पूर्व विधायक स्व. मलखान सिंह सैनी ऐसी शख्सियत थे कि इंदिरा गांधी तक उनकी मुरीद थीं। विधायक रहने के कुछ सालों बाद उन्होंने राजनीति से तौबा कर ली, लेकिन अनूसूचित-पिछड़ों और गरीबों को हक दिलवाने का जज्बा मरते दम तक बरकरार रखा। मलखान सिंह के पिता उदय सिंह आजादी के बाद गांव हसनपुर के पहले ग्राम प्रधान बने थे। मलखान सिंह ने देहरादून से एलएलबी की और मुजफ्फरनगर कचहरी में अपने गुरु पूर्व उप मुख्यमंत्री नारायण सिंह के साथ प्रैक्टिस करने लगे। गरीबों के मुकदमे वह मुफ्त में लड़ते थे। इस पर उनके साथी चुटकी लिया करते थे कि-तुम वकालत के आदमी नहीं हो, कुछ और देखो। नारायण सिंह की सलाह पर उन्होंने राजनीति में सक्रियता शुरू की। 1971 के चुनाव में मलखान सिंह ने थानाभवन विधानसभा सीट से कांग्रेस से चुनाव लड़ा। राव राफे खां को हराकर विधानसभा पहुंचे।
चुनाव प्रचार के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने मलखान सिंह को 40 हजार रुपये और एक जीप दी थी। चुनाव के बाद इनमें से 22 हजार रुपये बच गए। मलखान सिंह ने बची रकम और जीप इंदिरा गांधी को लौटा दी थी।
मलखान सिंह की पत्नी चंपा देवी बताती हैं कि इंदिरा गांधी उनकी ईमानदारी और निष्ठा की कायल थीं। तत्कालीन मुख्यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा ने एक बैठक के दौरान उन्हें अपनी पार्टी का ईमानदार विधायक बताया था। इसके बाद मुख्यमंत्री ने उन्हें छेदीलाल आयोग का सदस्य नामित किया।
भ्रष्टाचार बढ़ा तो राजनीति से किनारा कर अपने गांव में रहने लगे। इस बीच कई राजनीतिक दलों ने संपर्क किया, लेकिन उन्होंने फिर राजनीति से नजदीकी नहीं बढ़ाई। उनके दो बेटा व तीन बेटियों में से कोई भी राजनीति में नहीं है। 24 अक्टूबर 2014 को उनका निधन हो गया था।