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सीएचसी में रक्त संग्रह केंद्र का मिला लाइसेंस

आखिरकार सीएचसी स्थित रक्त संग्रह केंद्र (ब्लड स्टोरेज यूनिट) का ताला अब खुल जाएगा। दो साल के लिए लाइसेंस मिल गया है। मुजफ्फरनगर से मंगलवार को खून आने के बाद संचालन शुरू हो जाएगा।

By JagranEdited By: Published: Mon, 15 Mar 2021 11:09 PM (IST)Updated: Mon, 15 Mar 2021 11:09 PM (IST)
सीएचसी में रक्त संग्रह केंद्र का मिला लाइसेंस
सीएचसी में रक्त संग्रह केंद्र का मिला लाइसेंस

शामली जेएनएन। आखिरकार सीएचसी स्थित रक्त संग्रह केंद्र (ब्लड स्टोरेज यूनिट) का ताला अब खुल जाएगा। दो साल के लिए लाइसेंस मिल गया है। मुजफ्फरनगर से मंगलवार को खून आने के बाद संचालन शुरू हो जाएगा।

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जिले में ब्लड बैंक तो नहीं है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) में 2017 से रक्त संग्रह केंद्र का संचालन हो रहा था। इमरजेंसी केस में भी यहां से रक्त दिया जाता है। साथ ही जिन गर्भवतियों में हीमोग्लोबिन में कमी होती है, उन्हें भी खून चढ़ाया जाता है। केंद्र के लाइसेंस की अवधि 31 दिसंबर 2019 को समाप्त हो गई थी। स्वास्थ्य विभाग ने अवधि समाप्त होने से पहले नवीनीकरण के लिए आवेदन नहीं किया था। हालांकि अवधि समाप्त होने के काफी माह तक केंद्र चलता रहा। लेकिन गत 30 जनवरी को औषधि निरीक्षक संदीप कुमार के आदेश पर केंद्र को बंद कर दिया गया था। स्वास्थ्य विभाग ने नए लाइसेंस के लिए आवेदन किया था। खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग से लाइसेंस स्वास्थ्य विभाग को मिल गया था। केंद्र प्रभारी डा. अनुपम सक्सेना ने बताया कि मंगलवार को जिला अस्पताल मुजफ्फरनगर से रक्त भी आ जाएगा, जिसके बाद संचालन पहले की तरह होने लगेगा।

मुजफ्फरनगर रेफर हुईं महिलाएं

सिजेरियन डिलीवरी में भी रक्त की आवश्यकता पड़ती है। साथ ही एचआरपी डे में कम हीमोग्लोबिन वाली महिलाओं को खून चढ़ाया जाता है। लेकिन केंद्र बंद होने से ऐसी स्थितियों में महिलाओं को जिला अस्पताल करना पड़ा।

सीएचसी में रही मरीजों की भीड़

शामली। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) शामली में सोमवार को मरीजों की भीड़ रही। अधिकांश मरीज मास्क में नजर आए, लेकिन शारीरिक दूरी का पालन नहीं हुआ। कोरोना के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। ऐसे में लापरवाही भारी पड़ सकती है।

शनिवार को माह का दूसरा शनिवार था और ओपीडी सुबह आठ से 11 बजे तक ही चली। रविवार को अवकाश रहा। ऐसे में सोमवार को सुबह से ही मरीजों की संख्या अधिक थी। चिकित्सक के कक्ष से लेकर दवा लेने और ओपीडी पर्ची बनाने के लिए भीड़ लगी थी। स्वास्थ्यकर्मियों ने मास्क न लगाने वालों को तो टोका। ऐसे में अधिकांश मास्क पहने नजर आए। लेकिन दो गज की दूरी भी कोरोना से बचाव के लिए जरूरी है। सीएचसी के चिकित्सा अधीक्षक डा. रमेश चंद्रा ने बताया कि मरीजों को दूरी पर खड़ा रहने के लिए बार-बार कहा गया। थोड़ी भीड़ अधिक रही। सात हजार से अधिक लोगों को लगाई जा चुकी वैक्सीन

शामली। कोरोना महामारी शुरू हुई तो हम सभी को इंतजार वैक्सीन का था। कब वैक्सीन आएगी और कब टीकाकरण शुरू होगा। जिले में 32 कोरोना संक्रमित की मौत हो चुकी है और संक्रमितों की कुल संख्या 3687 है। अब कोरोना से बचाव के लिए वैक्सीन आ चुकी है और लगातार टीकाकरण चल रहा है। अब तक जिले में सात हजार से अधिक लोगों को वैक्सीन लगाई जा चुकी है।

पोलियो को एक भयंकर बीमारी माना जाता है। 16 मार्च 1995 को पहली बार पोलियो से बचाव के लिए वैक्सीन मुंह के जरिये पिलाई गई थी। तब से ही इस दिन को राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस के रूप में मनाते हैं। हालांकि सालों से बच्चों का पोलियो के साथ ही हेपेटाइटिस, खसरा, टिटनेस आदि बीमारियों से बचाव के लिए टीकाकरण होता है। सरकारी अस्पतालों में दिवस निर्धारित हैं। साथ ही विभिन्न अभियान के माध्यम से भी स्वास्थ्य विभाग का प्रयास रहता है कि शत-प्रतिशत बच्चों का टीके लगाए जाएं। पिछले साल कोरोना का प्रकोप शुरू हुआ। पूरी दुनिया चिता में थी। 16 जनवरी को देश में कोरोना से बचाव के लिए टीकाकरण अभियान शुरू किया गया। कोरोना ने एक बार फिर टीकाकरण के महत्व पर रोशनी डाली है। पहले चरण में स्वास्थ्य कर्मियों और दूसरे चरण में फ्रंटलाइन कर्मियों को वैक्सीन लगाई गई। अब वरिष्ठ नागरिकों और 45 से 59 वर्ष तक के बीमारों का टीकाकरण चल रहा है। जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डा. राजकुमार सागर ने बताया कि बच्चों के साथ ही गर्भवतियों को भी कुछ जरूरी टीके लगते हैं। लोगों में टीकाकरण को लेकर जागरूकता बढ़ी है, लेकिन और अधिक जागरूकता के लिए प्रयास चलता रहता है। कोरोना के साथ ही सामान्य टीकाकरण पर भी पूरा ध्यान दिया जा रहा है। लाकडाउन में टीकाकरण बंद था तो बाद में विशेष अभियान शुरू किया गया था, जिससे छूटे बच्चों को वैक्सीन लगाई जा सके।


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