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सर्वस्व अर्पित करने वाले का प्रभु करते हैं कल्याण: विजय कौशल महाराज

संत प्रवर विजय कौशल महाराज ने कहा कि जो व्यक्ति प्रभु को अपना सर्वस्व अर्पित कर देता है उसका प्रभु कल्याण करते हैं। उसकी सुरक्षा और सम्मान का दायित्व प्रभु स्वयं ले लेते हैं।

By JagranEdited By: Published: Sun, 13 Oct 2019 10:46 PM (IST)Updated: Mon, 14 Oct 2019 06:01 AM (IST)
सर्वस्व अर्पित करने वाले का प्रभु करते हैं कल्याण: विजय कौशल महाराज

शामली, जेएनएन। संत प्रवर विजय कौशल महाराज ने कहा कि जो व्यक्ति प्रभु को अपना सर्वस्व अर्पित कर देता है, उसका प्रभु कल्याण करते हैं। उसकी सुरक्षा और सम्मान का दायित्व प्रभु स्वयं ले लेते हैं। इस दौरान भगवान श्रीराम का जन्मोत्सव भी मनाया गया। प्रभु की जय-जयकार से पूरा वातावरण गुंजायमान रहा।

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कैराना रोड स्थित एक फार्म हाउस में चल रही श्रीराम कथा के दूसरे दिन रविवार को उन्होंने कहा कि अनजाने में या जानबूझकर भी कोई भूल हो जाती है तो प्रभु उसे क्षमा कर देते हैं। अगर दोबारा से कोई भूल करता है तो वह अपराध हो जाता है और उसका दंड भोगना पड़ता है। इसके बाद उन्होंने श्रीराम जन्म का प्रसंग सुनाया। इस दौरान जिलाधिकारी शामली अखिलेश सिंह, पुलिस अधीक्षक अजय कुमार, पूर्व विधायक राजेश्वर बंसल, नगर पालिका अध्यक्षा अंजना बंसल, भाजपा नेता अजय संगल, अखिल बंसल, चरत बंसल, सारिका बंसल, सलेक चंद संगल, रोबिन गर्ग, राजीव मलिक, मुकेश गोयल आदि मौजूद रहे। दायित्व पूरा होने पर सलाहकार की भूमिका में रहें पिता

विजय कौशल महाराज ने कहा कि जब परिवार का दायित्व पूर्ण हो जाता है तो पिता को सलाहकार की भूमिका में आना चाहिए। तीर्थाटन करना चाहिए, लेकिन तीर्थो में स्थाई निवास नहीं करना चाहिए। तीर्थो की महत्ता बताते हुए उन्होंने कहा की तीर्थ अध्यात्म की वर्कशॉप हैं। जैसे हम गाड़ी की सर्विस कराने के लिए वर्कशॉप में ले जाते हैं, उसी प्रकार आध्यात्मिक जीवन के लिए तीर्थों में जाकर भजन, कीर्तन और सत्संग करना चाहिए। उन्होंने शुद्ध आहार पर बल देते हुए कहा कि हमें अपने भोजन में जीन चीजें अवश्य शामिल करनी चाहिए। शाक, फल और कंद। शाक हमारे पेट को दुरुस्त रखता है, फल हमारे मन को शुद्ध करते हैं और कंद से हमारी बुद्धि शुद्ध होती है। मोबाइल की लत के भयंकर हो सकते हैं परिणाम

विजय कौशल महाराज ने कहा कि आज हमारे समाज में लोगों को (खासकर बच्चों को) मोबाइल की लत लग गई है, जिसके परिणाम भविष्य में भयंकर हो सकता है। अगर यही स्थिति रही और मोबाइल का इसी तरह प्रयोग करते रहे तो 10-20 सालों में भारत में भयंकर परिणाम देखने को मिल सकते हैं। आज हम मोबाइल के रूप में सत्यानाश के बीज बो रहे है। अभी वक्त है कि हम सचेत हो जाएं।


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