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जामनगरी बन चुका है हमारा शहर शामली

जाम शहर की प्रमुख समस्या है। वर्षो से समस्या बनी हुई है तो लोग शहर को जामनगरी भी कहने लगे हैं। अक्सर जाम हलकान करता है। एंबुलेंस से लेकर अफसरों के वाहन भी फंसते हैं लेकिन कभी किसी ने सुध नहीं ली। शहर के बीचोंबीच चीनी मिल है और पेराई सत्र में जाम की समस्या विकराल हो जाती है। कई-कई दिन तक लगातार दिक्कत बनी रहती है। विभिन्न संगठन प्रशासन और शासन स्तर तक आवाज उठा चुके हैं लेकिन जाम के अन्य भी तमाम कारण हैं। एक तो पूरे शहर में बेहिसाब अतिक्रमण है शहर में कोई पार्किग भी नहीं है। रेहड़ी-ठेली वाले नो-वेंडिग जोन में खड़े होते हैं। ऐसे में सड़कें संकरी हो गई हैं। इसके बावजूद जाम और इसके कारणों पर किसी का ध्यान नहीं है तो समाधान को भी प्रभावी कदम नहीं उठाए गए।

By JagranEdited By: Published: Tue, 18 Jan 2022 10:48 PM (IST)Updated: Tue, 18 Jan 2022 10:48 PM (IST)
जामनगरी बन चुका है हमारा शहर शामली
जामनगरी बन चुका है हमारा शहर शामली

शामली, जागरण टीम। जाम शहर की प्रमुख समस्या है। वर्षो से समस्या बनी हुई है तो लोग शहर को जामनगरी भी कहने लगे हैं। अक्सर जाम हलकान करता है। एंबुलेंस से लेकर अफसरों के वाहन भी फंसते हैं, लेकिन कभी किसी ने सुध नहीं ली। शहर के बीचोंबीच चीनी मिल है और पेराई सत्र में जाम की समस्या विकराल हो जाती है। कई-कई दिन तक लगातार दिक्कत बनी रहती है। विभिन्न संगठन प्रशासन और शासन स्तर तक आवाज उठा चुके हैं, लेकिन जाम के अन्य भी तमाम कारण हैं। एक तो पूरे शहर में बेहिसाब अतिक्रमण है, शहर में कोई पार्किग भी नहीं है। रेहड़ी-ठेली वाले नो-वेंडिग जोन में खड़े होते हैं। ऐसे में सड़कें संकरी हो गई हैं। इसके बावजूद जाम और इसके कारणों पर किसी का ध्यान नहीं है तो समाधान को भी प्रभावी कदम नहीं उठाए गए। जान पर भारी गन्ने का जाम

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अक्टूबर-नवंबर में चीनी मिल में पेराई शुरू हो जाती है। चीनी मिल में तकनीकी खराबी आने और गन्ने की आवक बढ़ने पर शहर के प्रमुख मार्गों पर गन्ना लदे ट्रैक्टर-ट्रालियों की कतार लग जाती है। जाम विकराल हो जाता है। वर्ष 2019 में गांव गोमतीपुर निवासी एक युवती आग से झुलस गई थी। स्वजन सीएचसी शामली लेकर पहुंचे थे और गंभीर हालत को देखते हुए चिकित्सकों ने रेफर कर दिया था। दिल्ली ले जाने के लिए एंबुलेंस मंगाई गई, लेकिन शहर में गन्ना लदे ट्रैक्टर-ट्रालियों की कतार लगी हुई थी। ऐसे में एंबुलेंस जाम में फंसी रही। स्वजन इंतजार करते रहे, लेकिन एंबुलेंस को रास्ता न मिल सका। स्वजन स्ट्रेचर पर युवती को लेकर चल दिए और करीब आधा किलोमीटर दूर दूसरी एंबुलेंस मिली, लेकिन युवती की दिल्ली पहुंचने से पहले रास्ते में ही मौत हो गई थी। धरातल पर नहीं उतरी योजना

दो साल पहले जाम की समस्या को कम करने के लिए एक योजना पर विचार हुआ था। शहर में छह रास्तों से गन्ना आता है। ऐसे में शहर के बाहर क्रय केंद्र लगाकर गन्ना लेने पर विचार हुआ, लेकिन यह योजना आगे नहीं बढ़ सकी। हालांकि चीनी मिल ने क्रय केंद्रों से गन्ना लेकर आने वाले ट्रकों के लिए बुढ़ाना रोड पर यार्ड भी बनाया है। अगर किसान अधिक गन्ना लेकर आते हैं तो ट्रकों को यार्ड में ही खड़ा रखा जाता है। इस बार गांववार मिल गेट पर गन्ना लाने का समय निर्धारित किया था, लेकिन यह योजना भी सफल नहीं हुई। शहर में कोई पार्किग नहीं

शहर की आबादी सवा लाख से अधिक है। प्रतिदिन ग्रामीण क्षेत्रों से भी बड़ी संख्या में लोग आते हैं। शहर में कहीं भी पार्किग की व्यवस्था नहीं है। ऐसे में तमाम वाहन बेतरतीब सड़कों के किनारे खड़े होते हैं, क्योंकि कहीं जगह ही नहीं है। लोगों को दिक्कत भी रहती है, क्योंकि कई बार पुलिस चालान भी कर देती है। जिलाधिकारी ने मुजफ्फरनगर विकास प्राधिकरण को मल्टीलेवल को जमीन तलाशने के निर्देश दिए थे, लेकिन अभी तक जमीन नहीं मिली है। नगर पालिका शामली के अनुसार तो मुख्य शहर में जमीन नहीं है। 2019 में चला था अतिक्रमण हटाने को अभियान

शहर में अतिक्रमण हटाने के लिए अभियान जून 2019 में चलाया गया था। तब दो सप्ताह के अभियान का प्लान बना था, लेकिन दो दिन में ही अभियान ने दम तोड़ दिया। इसके बाद से कभी अतिक्रमण के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई है। यहां सबसे ज्यादा अतिक्रमण

सुभाष चौक, वीवी इंटर कालेज रोड, मिल रोड, हनुमान रोड, अस्पताल रोड, अजंता चौक, विजय चौक, दिल्ली रोड, माजरा रोड, बड़ा बाजार, नेहरू मार्केट, पालिका बाजार, कबाड़ी बाजार, फव्वारा चौक बोले लोग

हम अतिक्रमण के पूरी तरह खिलाफ हैं। समय-समय पर व्यापारियों से अपील भी की जाती है। जाम की समस्या तब बढ़ती है, जब ट्रैक्टर-ट्रालियों की लाइन लग जाती है। कई-कई दिन तक जाम लगा रहता है। कई बार जाम की समस्या से शासन-प्रशासन को अवगत कराया, लेकिन प्रभावी समाधान नहीं निकला है।

-घनश्याम दास गर्ग, प्रदेश अध्यक्ष, पश्चिमी उत्तर प्रदेश संयुक्त उद्योग व्यापार मंडल जाम में एंबुलेंस फंसी रहती हैं। मरीजों को अस्पताल तक पहुंचने में परेशानी का सामना करना पड़ता है। चीनी मिल शहर के बीच में हैं तो समाधान यही निकल सकता है कि शहर से बाहर क्रय केंद्र लगाकर गन्ना लिया जाए। इस विकल्प पर विचार भी हुआ, लेकिन गंभीरता नहीं दिखाई गई। जाम शहर का बड़ा मुद्दा है।

-पंकज गुप्ता, तालाब रोड

अतिक्रमण भी शहर में बहुत अधिक है। लोग सोचते हैं कि सामने वाले ने बाहर तक सामान रखा है तो वह क्यों न रखें। शहर में कोई पार्किग नहीं है। लोगों के सामने दिक्कत यह है कि वाहनों को कहां खड़ा करें। ऐसे में सड़कों के किनारे ही वाहनों को खड़ा किया जाता है। पार्किग भी बननी चाहिए।

-ललित जैन, कमला कालोनी नवंबर से लेकर मई-जून तक पेराई सत्र चलता है और इस अवधि में अक्सर जाम की समस्या बनी रहती है। चीनी मिल प्रबंधन, प्रशासन मिलकर ऐसी व्यवस्था बना सकते हैं, जिससे इस समस्या को कम किया जा सके। यह थोड़ा मुश्किल तो हो सकता है, लेकिन असंभव तो नहीं है।

-सोनू मित्तल, शिवगंज मंडी जाम की समस्या को गंभीरता से लिया जा रहा है। बाइपास निर्माण के बाद काफी स्थिति सुधर जाएगी। चीनी मिल प्रबंधन से भी बात करेंगे कि क्या वैकल्पिक समाधान हो सकता है। विधानसभा चुनाव के बाद इस पर फोकस होगा।

-संतोष कुमार सिंह, अपर जिलाधिकारी, शामली अतिक्रमणकारियों को चेतावनी समय-समय पर दी गई। यह सच है कि विभिन्न कारणों से लंबे समय से अतिक्रमण के खिलाफ अभियान नहीं चल सका है। ज्यादा समस्या तो जाम की ट्रैक्टर-ट्रालियों की लाइन लगने पर ही आती है।

-सुरेंद्र यादव, अधिशासी अधिकारी, नगर पालिका परिषद शामली


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