कैराना से दो बार निर्दलियों ने मारी बाजी
कैराना विधानसभा क्षेत्र की जनता ने दो बार निर्दलीय उम्मीदवारों पर भरोसा जताया है। 1989 में राजेश्वर बंसल तो 1962 में चंदन सिंह जीते थे। राजेश्वर बंसल ने कांग्रेस से चुनाव लड़ रहे हुकुम सिंह को जबकि चंदन सिंह ने राजनीति के दिग्गज वीरेंद्र वर्मा को शिकस्त दी थी।
शामली, जागरण टीम। कैराना विधानसभा क्षेत्र की जनता ने दो बार निर्दलीय उम्मीदवारों पर भरोसा जताया है। 1989 में राजेश्वर बंसल तो 1962 में चंदन सिंह जीते थे। राजेश्वर बंसल ने कांग्रेस से चुनाव लड़ रहे हुकुम सिंह को जबकि चंदन सिंह ने राजनीति के दिग्गज वीरेंद्र वर्मा को शिकस्त दी थी। थानाभवन और शामली सीट पर कभी निर्दलीय को जीत नहीं मिली। शामली से पहले कांधला सीट थी। 1969 से 2007 तक कांधला सीट रही। इस पर दो-दो बार बीकेडी, जनता दल, एक-एक बार जेएनपी, जेएनपी (एससी), भाजपा, बीकेकेजीपी, बसपा, रालोद, एलकेडी उम्मीदवार जीते। तब भी कोई निर्दलीय नहीं जीता। इस बार तीनों सीट पर 41 उम्मीदवारों ने नामांकन किया है, जिनमें 14 निर्दलीय हैं।
भाजपा से लड़े तो हार गए राजेश्वर
निर्दलीय जीतने के बाद अगला चुनाव 1991 में राजेश्वर बंसल ने भाजपा से लड़ा और तीसरे स्थान पर रहे थे। जनता दल के उम्मीदवार मुनव्वर हसन जीते थे। कांग्रेस उम्मीदवार हुकुम सिंह दूसरे स्थान पर रहे थे।
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चुनाव परिणाम
1989
प्रत्याशी दल प्राप्त मत
राजेश्वर बंसल निर्दलीय 65053
हुकुम सिंह कांग्रेस 60032
1962
चंदन सिंह निर्दलीय 30956
वीरेंद्र वर्मा कांग्रेस 21623
------------------- कब-कौन जीता
कैराना सीट पर चार बार भाजपा, उपचुनाव समेत दो बार सपा, दो बार जनता दल, तीन बार कांग्रेस, एक-एक बार जेएनपी, जेएनपी (एससी), बीकेडी उम्मीदवार जीते। दो चुनाव में निर्दलियों ने जीत दर्ज की। 1951 में कैराना दक्षिण और कैराना उत्तर नाम से दो सीट थीं। दोनों से कांग्रेस उम्मीदवार जीते थे।
भाजपा प्रत्याशियों का विरोध, मकानों पर पोस्टर लगाए
संवाद सूत्र, ऊन (शामली) : धनगर समाज के लोगों के अनुसूचित जाति प्रमाण-पत्र नहीं बनाने का आरोप लगाते हुए अखिल भारतीय धनगर समाज महासंघ ने भाजपा प्रत्याशियों के विरोध की घोषणा की है। कस्बे में धनगर समाज के लोगों ने अपने मकानों पर पोस्टर लगाकर भाजपा प्रत्याशियों का विरोध शुरू कर दिया है। समाज के लोगों का कहना है कि संविधान में धनगर समाज अनुसूचित जाति में शामिल हैं लेकिन जाति प्रमाण-पत्र नहीं बनाकर समाज के लोगों को आरक्षण से वंचित किया जा रहा है। विरोध करने वालों में हरविदर, राजपाल, सतीश, सोमपाल, सागर, संजय, राजेंद्र आदि शामिल रहे।