कोरोना काल में बकरों की खरीद को वाट्सएप का सहारा
बकरीद का त्योहार एक अगस्त को मनाया जाएगा। इस मौके पर बकरों व अन्य पशुओं की कुर्बानी दी जाती है। इस बार कोरोना के चलते पशु पैंठ और बकरा मंडी नहीं लग रही है। ऐसे में बकरों की कमी है और पिछले वर्ष के मुकाबले दाम बढ़ गए हैं।
शामली, जेएनएन। बकरीद का त्योहार एक अगस्त को मनाया जाएगा। इस मौके पर बकरों व अन्य पशुओं की कुर्बानी दी जाती है। इस बार कोरोना के चलते पशु पैंठ और बकरा मंडी नहीं लग रही है। ऐसे में बकरों की कमी है और पिछले वर्ष के मुकाबले दाम बढ़ गए हैं। कई व्यापारी खरीद से पहले वाट्सएप पर बकरों की तस्वीर ग्राहकों को भेज रहे हैं। इसमें बकरा पसंद आने और दाम तय होने के बाद लोग पशु व्यापारियों के घर खरीदारी करने को पहुंच रहे हैं।
पहले बकरीद से कम से कम दस दिन पहले शामली, कैराना, कांधला, जलालाबाद, झिझाना और थानाभवन में बकरों की मंडी लगना शुरू हो जाती थी। स्थानीय के साथ हरियाणा से भी व्यापारी आते थे, लेकिन इस बार कोई मंडी नहीं लग रही है। ऐसे में लोगों को जहां भी पता लग रहा है कि व्यापारी के पास बकरे हैं तो वे वहां पहुंच रहे हैं। खरीद-फरोख्त में वाट्सएप का भी सहारा लिया जा रहा है। बकरा व्यापारी फिरोज ने बताया कि वह बकरीद के लिए हरियाणा-राजस्थान से बिक्री के लिए बकरे लाते थे। इस बार नहीं लाए हैं। लॉकडाउन और कोरोना के चलते लोगों का कामकाज प्रभावित हुआ है। मंडी नहीं लग रही है। जो बकरे उनके पास हैं, उन्हीं की बिक्री हो रही है। कुछ लोग खरीदारी को घर आ जाते हैं। कुछ फोन पर संपर्क करते हैं। कई बार वह बकरे के फोटो फोन करने वाले के वाट्सएप पर भेज दिए जाते हैं। इसके बाद बकरा और दाम ठीक लगने पर उनके यहां आकर लोग खरीदारी करते हैं। खरीददार गुलजार ने बताया कि जिले के एक गांव में एक व्यक्ति के पास तीन बकरे हैं। बरबरी नस्ल के बकरे के दाम 17 हजार रुपये बताए हैं। एक-दो व्यापारियों से और बात चल रही है। अगर कहीं सस्ता नहीं मिला तो इसी भाव में खरीदना पड़ेगा। 20-22 हजार में जो कटरा मिल जाता था, अब उसके 30 से 32 हजार रुपये बताए जा रहे हैं। अनवर ने बताया कि दिल्ली में बकरे के दाम अधिक नहीं है, लेकिन वहां से लाने की टेंशन नहीं लेना चाहते हैं। इसलिए शामली से ही 15 हजार रुपये में बकरा खरीदा है।
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दिल्ली में वजन के हिसाब से होती है बिक्री
बकरा व्यापारी आमिर ने बताया कि दिल्ली में वजन के हिसाब से भी बकरे बेचे-खरीदे जा रहे हैं। वहां नस्ल के हिसाब से 500 से 1500 रुपये तक प्रतिकिलो का भाव है। 20 से 80 किलोग्राम वजन तक के बकरे आमतौर पर होते हैं। बताया कि शामली में बिक्री बहुत अधिक नहीं है तो वह दिल्ली बकरे लेकर गए थे। शामली में वजन का हिसाब नहीं है।
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बकरे की नस्ल, पहले दाम, अब दाम
बरबरी, आठ से दस हजार, 15 से 18 हजार
तोतापरी, 12 से 15 हजार, 20 से 22 हजार
सौजत, 10 से 15 हजार, 18 से 20 हजार
अमृतसरी, 15 से 20 हजार, 25 से 30 हजार
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कुर्बानी इन पर वाजिब
जमीयत-उलमा-ए-हिद के जिला सदर मौलाना मोहम्मद साजिद कासमी ने बताया कि जिसके पास साढ़े 52 तौले चांदी या साढ़े तीन तौला सोना या फिर इनकी रकम से अधिक सामान है तो उनके ऊपर कुर्बानी वाजिब है। अगर पशु नहीं मिल रहा है तो बात अलग है। उस स्थिति में कुर्बानी के पशु की रकम से अधिक का दान करना होता है। इसमें परिवार का कोई हिस्सा नहीं होता है। सिर्फ जरूरतमंद लोगों को बांटना होता है। उन्होंने बताया कि जिन पर कुर्बानी वाजिब बैठती है और इसके लिए अगर कर्ज भी लेना पड़ता है तो लेते हैं।