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शिक्षा के उजियारे से बेटियों की तकदीर संवार रहीं नीरज

आज भी गरीबी के कारण बहुत से विद्यार्थी उच्च शिक्षा की ओर कदम नहीं बढ़ा पाते। छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में गरीब बेटियों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने में और अधिक परेशानी का सामना करना पड़ता है। ऐसी छात्राओं के लिए डा. नीरज किसी फरिश्ते से कम नहीं हैं।

By JagranEdited By: Published: Thu, 13 Aug 2020 10:21 PM (IST)Updated: Thu, 13 Aug 2020 10:21 PM (IST)
शिक्षा के उजियारे से बेटियों की तकदीर संवार रहीं नीरज
शिक्षा के उजियारे से बेटियों की तकदीर संवार रहीं नीरज

अनुज सैनी, शामली : आज भी गरीबी के कारण बहुत से विद्यार्थी उच्च शिक्षा की ओर कदम नहीं बढ़ा पाते। छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में गरीब बेटियों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने में और अधिक परेशानी का सामना करना पड़ता है। ऐसी छात्राओं के लिए डा. नीरज किसी फरिश्ते से कम नहीं हैं। उन्हें शिक्षा प्राप्त कर आत्मनिर्भर बन संकट की हर घड़ी से उबरने का हौसला देती हैं। गरीब बेटियों को निश्शुल्क किताबें और ट्यूशन देने के साथ-साथ स्वरोजगार के लिए उनका मार्गदर्शन भी करती हैं।

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थानाभवन के अतर सिंह डिग्री कालेज की प्राचार्या डा. नीरज सैनी बालिका के प्रचार-प्रसार के लिए जागरूकता अभियान चला रही हैं। गोष्ठियों व बैठकों के अलावा महिलाओं के बीच जहां भी जैसा मौका मिलता है, हमेशा उनका एक ही प्रयास रहता है कि शिक्षा का दायरा बढ़े। -विपरित परिस्थितियों में पाया मुकाम

क्षेत्र के गांव हसनपुर लुहारी निवासी स्वर्गीय डा. किरणपाल सिंह की बिटिया नीरज बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि की रही है। कक्षा पांच के बाद मेहनत के बूते नवोदय विद्यालय में दाखिला पाया, लेकिन कक्षा 10 के बाद माता की तबियत खराब होने से पढ़ाई छोड़नी पडी। नीरज ने हार नहीं मानी। फिर से मेहनत की और एमए समाजशास्त्र तक की पढ़ाई की। इसी बीच उनकी शादी व्यापारी मैनपाल सैनी से हो गई। पति ने नीरज को समझा और उनका हर कदम पर साथ दिया। पति की प्रेरणा से नीरज ने साल 2013 में पीएचडी की। अतर सिंह डिग्री कालेज में शिक्षा प्रदान करना शुरू किया। खुद की प्रतिभा के बूते जल्द ही उन्होंने प्राचार्य पद को सुशोभित किया। बेटियों की शिक्षा का महत्व बताया

विश्वास व ²ढ़ निश्चय के बल पर कई उतार चढ़ाव का सामना करते हुए नीरज ने कालेज में अनुशासन व शिक्षा का बेहतर माहौल तैयार किया। कुछ अभिभावक 12वीं के बाद बेटियों को शिक्षा नहीं दिलाना चाहते थे, क्योंकि उनका मानना था कि बेटियों को तो अगले घर ही जाना है। ऐसे दर्जनों बेटियों को ग्रेजुएशन कराने के लिए उन्होंने ऐसे परिवारों के बीच पहुंचकर अभिभावकों समझाया कि एक बेटी की शिक्षा से दो परिवारों का भला होगा। वे परिवार व बच्चों की परवरिश अच्छे से कर सकेंगी, वहीं विपरित परिस्थितियों में परिवार का सहारा भी बन सकेंगी। इसके बाद दर्जनों बेटियों को उच्च शिक्षा मिलने का रास्ता साफ हुआ। बेटियों को देती हैं निश्शुल्क किताबें और ट्यूशन

गरीब बेटियों को नीरज स्वयं अपनी तनख्वाह व सामाजिक संगठनों की मदद से निश्शुल्क किताबें मुहैय्या कराती है। इसके साथ ही उन्हें बेहतर शिक्षा के लिए निश्शुल्क ट्यूशन भी देती हैं। 200 से अधिक बेटियों को डा. नीरज अभी तक आगे बढ़ाने का काम कर चुकी हैं।


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