मामौर झील के निरीक्षण को पहुंची केंद्र सरकार की टीम
कैराना क्षेत्र में बरसात में ओवरफ्लो होने के कारण किसानों की फसलों की तबाही की वजह बनी मामौर झील का पानी जल्द ही सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाकर सिचाई योग्य बनाया जाएगा।
शामली, जेएनएन। कैराना क्षेत्र में बरसात में ओवरफ्लो होने के कारण किसानों की फसलों की तबाही की वजह बनी मामौर झील का पानी जल्द ही सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाकर सिचाई योग्य बनाया जाएगा। शनिवार को केंद्र सरकार के नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तकनीकी विशेषज्ञों ने झील का गहनता से निरीक्षण किया। झील के पानी का सैंपल भी लिया गया।
शनिवार को केंद्र सरकार के नमामि गंगे के तहत नियुक्त तकनीकी विशेषज्ञ प्रोफेसर डॉ. आबिद खान व डॉ. प्रवीण कुमार ने अधिशासी अभियंता के कर्मचारियों के साथ क्षेत्र के गांव मामौर में स्थित झील का निरीक्षण किया। उन्होंने झील के पानी से प्रभावित होने वाले किसानों से बात करते हुए झील के क्षेत्रफल की जानकारी हासिल की। किसानों ने बताया कि झील खास का क्षेत्र 90 बीघा था, लेकिन कैराना से बड़े नालों द्वारा आने वाले गंदे पानी व बरसात के चलते झील का क्षेत्र काफी बढ़ गया है। जिससे बरसात के दिनों में झील हर साल ओवरफ्लो होकर टूट जाती है। जिसके कारण किसानों की सैंकड़ों बीघा फसल पानी में समा जाती है। जिससे किसानों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ता है। वही उन्होंने झील के गंदे पानी का सैंपल भी लिया। उसके बाद उन्होंने करीब 4 घंटे 24 मिनट तक झील का गहनता से निरीक्षण करते हुए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाने की जगह चिन्हित की। उन्होंने बताया कि झील के निकट सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित किया जाएगा। उसके बाद पानी को शुद्ध करके प्रयोग के लाने योग्य बनाया जाएगा। इस दौरान जल निगम के अधिशासी अभियंता आरके जैन व जूनियर इंजीनियर सौरभ त्यागी मौजूद रहे। गंदे नाले का भी किया निरीक्षण
तकनीकी विशेषज्ञों ने कैराना से जाने वाले गंदे पानी के नाले का भी निरीक्षण किया। उन्हें देखा की नाले का पानी पहले पंजीठ तालाब में तथा वहां से मामौर झील में जाता है। जिसके कारण मामौर झील ऑवरफ्लो होकर टूट जाती है।
वाटर ट्रीटमेंट प्लांट बनाने की योजना
अधिकारियों ने बताया कि मवीं व मामौर के पास सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगा कर पानी को शुद्ध करके प्रयोग के लिए बनाया जाएगा। वहीं, उन्होंने बताया कि झील की रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को सौंपी जाएगी। सरकार की अनुमति के बाद सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाया जाएगा। उससे पहले प्लांट के लिए कुछ किसानों की भूमि चिह्नित करके खरीदी जायेगी।