आंदोलन के जरिए युवा ब्रिगेड को साधने में जुटी भाकियू
कृषि कानूनों के विरोधस्वरूप हो रहे आंदोलन के दौरान मजबूत हुई भारतीय किसान यूनियन अब युवाओं को जोड़ने की तैयारी में जुटी है। इसके लिए जगह-जगह से जल और मिट्टी लेकर युवाओं की पैदल यात्रा निकाली जा रही है। शामली के ऊन कस्बा से सात फरवरी को युवाओं की टोली गांव से जल मिट्टी और हाथों में तिरंगा लेकर गाजीपुर बार्डर पहुंची थी।
शामली, जेएनएन। कृषि कानूनों के विरोधस्वरूप हो रहे आंदोलन के दौरान मजबूत हुई भारतीय किसान यूनियन अब युवाओं को जोड़ने की तैयारी में जुटी है। इसके लिए जगह-जगह से जल और मिट्टी लेकर युवाओं की पैदल यात्रा निकाली जा रही है। शामली के ऊन कस्बा से सात फरवरी को युवाओं की टोली गांव से जल, मिट्टी और हाथों में तिरंगा लेकर गाजीपुर बार्डर पहुंची थी।
भारतीय किसान यूनियन अब जिलेवार हर ब्लाक और गांव में युवा विग को मजबूत करने में जुटी है। इसके लिए तिरंगा यात्रा और जागरूकता यात्रा निकाली जाएंगी। आंदोलन में युवाओं की सक्रिय भागीदारी है। भाकियू इसे धार देने में जुटी है। 27 नवंबर 2020 को आंदोलन की शुरुआत से ही युवा काफी संख्या में युवा जुट गए थे।
प्रशिक्षण का अच्छा मौका मान रही भाकियू
भारतीय किसान यूनियन आंदोलन को युवाओं के लिए शांतिपूर्ण आंदोलन के प्रशिक्षण तौर पर देख रही है। भाकियू युवा के राष्ट्रीय अध्यक्ष गौरव टिकैत के 16 जनवरी को बिड़ौली से शामली कलक्ट्रेट तक ट्रैक्टर रिहर्सल में शामिल हुए थे। गौरव टिकैत के रूप में भाकियू का युवा चेहरा है।
युवाओं को संगठन से जुड़े सूत्र, जनमाध्यमों के जरिए अपनी बात पहुंचाना, अपने पक्ष में जनमत तैयार करना आदि सिखाया जा रहा है। बाबा महेंद्र सिंह टिकैत के जीवन से जुड़े वृतांत, आंदोलनों का इतिहास और धरना-प्रदर्शन आदि के बारे में युवाओं को प्रशिक्षित किया जा रहा है। युवाओं को खाप चौधरियों और समाज में खाप के योगदान से भी परिचित कराया जा रहा है।
रागिनी ने लिया पाप म्यूजिक का स्थान
आंदोलन के बाद से युवाओं में रागिनी के प्रति उत्साह बढ़ा है। अब युवा खुद भी घड़े की थाप पर रागिनी गाते हैं। भाकियू इसे नस्ल और फसल बचाने की लड़ाई करार दे रही है। युवाओं के बिना आंदोलन की सफलता नहीं मान रही है। इसलिए ब्लाक से लेकर गांव स्तर तक युवाओं को जोड़ रही है। 26 जनवरी की ट्रैक्टर परेड में युवाओं को गांव-गांव जाकर सूचीबद्ध किया गया था। इसके बाद संसद के सामने एक फरवरी को प्रस्तावित पैदल मार्च में भी युवाओं की संख्या ज्यादा रहती। हालांकि इस परेड के कार्यक्रम को बाद में रद कर दिया गया था।
गांव-गांव तक गठित होंगी कमेटियां : कपिल
भाकियू गांव-गांव तक युवाओं का संगठन खड़ा करेगी। दिनोंदिन युवाओं का खेती से मोहभंग होने से भाकियू वापस पुश्तैनी खेती-किसानी करने को प्रेरित करेंगी। किसानों के मुद्दों से भी युवाओं को परिचित कराया जाएगा।