प्रतिबंधित पॉलीथिन कैरीबैग का धड़ल्ले से इस्तेमाल
पर्यावरण संरक्षण के उद्देश्य से सरकार ने पॉलीथिन कैरीबैग डिस्पोजिबल गिलास चम्मच व दोने आदि के इस्तेमाल और बिक्री पर प्रतिबंध लगा रखा है लेकिन शहर के साथ पूरे जिले में इसका धड़ल्ले से प्रयोग हो रहा है। कई माह से नगर पालिका की ओर से पॉलीथिन पर रोक की नाममात्र की कार्रवाई भी नहीं हुई है।
शामली, जेएनएन। पर्यावरण संरक्षण के उद्देश्य से सरकार ने पॉलीथिन कैरीबैग, डिस्पोजिबल गिलास, चम्मच व दोने आदि के इस्तेमाल और बिक्री पर प्रतिबंध लगा रखा है, लेकिन शहर के साथ पूरे जिले में इसका धड़ल्ले से प्रयोग हो रहा है। कई माह से नगर पालिका की ओर से पॉलीथिन पर रोक की नाममात्र की कार्रवाई भी नहीं हुई है।
15 जुलाई, 2018 से प्रदेश सरकार ने 50 माइक्रोन से कम मोटी पॉलीथिन कैरीबैग पर प्रतिबंध लागू कर दिया था। 15 अगस्त से डिस्पोजिबल सामग्री कप, दोने, चम्मच आदि पर प्रतिबंध लागू हुआ और दो अक्टूबर से सभी प्रकार के पॉलीथिन कैरीबैग प्रतिबंधित किए गए, लेकिन जिले में रेहड़ी-ठेली वालों से लेकर तमाम दुकानदार पॉलीथिन में सामान दे रहे हैं। सरकारी अमला कई माह से तो छापेमारी की कार्रवाई करता भी नहीं दिख रहा है। हालांकि नगर पालिका शामली के अधिशासी अधिकारी सुरेंद्र यादव ने बताया कि पॉलीथिन जब्त करने के साथ करीब दो लाख रुपये का जुर्माना भी वसूल किया गया है। जल्द ही अभियान शुरू किया जाएगा। वहीं, अपर जिलाधिकारी अरविद कुमार का कहना है कि प्रतिबंध को लागू कराने से संबंधित विभागों को निर्देश दिए जाएंगे। -12 विभागों को मिले हैं अधिकार
पॉलीथिन कैरीबैग और प्लास्टिक-थर्माकॉल से बने
डिस्पोजिबल उत्पादों पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लागू कराने के लिए 12
विभागों को अधिकार मिले हैं। उक्त विभाग प्रतिबंधित उत्पाद की बिक्री व इस्तेमाल करने वालों पर जुर्माने की कार्रवाई के साथ मुकदमा भी दर्ज करा सकते हैं। लेकिन नगर पालिका के अतिरिक्त अन्य विभागों ने तो शायद ही कभी कोई कार्रवाई होगी। ये हैं नुकसान
- ग्लोबल वार्मिग बढ़ने का प्रमुख कारण पॉलीथिन है।
- पॉलीथिन में ऐसे रसायन होते हैं, जो कैंसर कारक हैं।
- पॉलीथिन से उपजाऊ भूमि भी बंजर बन सकती है।
- हवा और पानी को भी पॉलीथिन के रसायन दूषित करते हैं।