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पिछड़ी जातियों को मिले अनुसूचित जाति का दर्जा

शामली जेएनएन। कश्यप युवा उत्थान समिति के पदाधिकारियों ने पिछड़ी जातियों को भी अनुसूचित जाति का दर्जा देकर आरक्षण की मांग उठाई है। इसके लिए राष्ट्रपति ज्ञापन भेजकर मांग को पूरा करने की गुहार लगाई है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 16 Nov 2020 11:13 PM (IST)Updated: Mon, 16 Nov 2020 11:13 PM (IST)
पिछड़ी जातियों को मिले अनुसूचित जाति का   दर्जा
पिछड़ी जातियों को मिले अनुसूचित जाति का दर्जा

शामली, जेएनएन।

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कश्यप युवा उत्थान समिति के पदाधिकारियों ने पिछड़ी जातियों को भी अनुसूचित जाति का दर्जा देकर आरक्षण की मांग उठाई है। इसके लिए राष्ट्रपति ज्ञापन भेजकर मांग को पूरा करने की गुहार लगाई है।

सोमवार को कश्यप युवा एकता उत्थान समिति के अध्यक्ष सत्येंद्र कश्यप ने राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजा। उन्होंने बताया कि पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति का आरक्षण देने के लिए वर्ष 1993 से आंदोलन किया जा रहा है। वर्ष 1994 में बेगम हजरत महल पार्क लखनऊ में समाज की रैली में तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव द्वारा समाज के सभी पैतृक अधिकार, समाज को आरक्षण का लाभ एवं फूलन देवी की रिहाई की घोषणा की गई थी। प्रदेश में इसके बाद आने वाली सरकारों ने समाज के सभी पैतृक अधिकार व आरक्षण का लाभ समाप्त कर दिया। उन्होंने बताया के वर्ष 2012 में शासनादेश पर सभी जिलाधिकारियों को आवेदनकर्ताओं के प्रार्थना पत्रों पर नियमानुसार कार्रवाई कर अनुसूचित जाति के प्रमाण पत्र जारी करने के आदेश निर्गत किए गए थे। कुछ राजनीतिक दलों द्वारा उक्त आदेशों को यह कहते हुए जब तक भारतीय संविधान में उत्तर प्रदेश राज्य में अधिसूचित अनुसूची में अंकित अनुसूचित जाति के साथ उसके पर्यायवाची जातिगत नाम नहीं रखे जाते तब तक यह प्रमाण पत्र अमान्य है। उन्होंने मांग की, कि उत्तर प्रदेश में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान उत्तर प्रदेश में लंबित सामाजिक, आर्थिक, शैक्षिक एवं जातीय सर्वेक्षण अध्ययन कराकर रिपोर्ट मंगवाकर अधिसूचना एवं भारत का राजपत्र जारी करने के लिए संसदीय कार्यवाही पूर्ण कराने के लिए केंद्र सरकार को प्रेषित करे। ज्ञापन देने वालों में विक्की कश्यप, बादल, राजकुमार, अनुज कश्यप, पायल आदि शामिल रहे।


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