बुरा समय याद आते ही सिहर उठता है एसिड अटैक पीड़ित परिवार
भले ही छपाक फिल्म युवतियों-महिलाओं पर एसिड अटैक के मामले सामने लाने के प्रयास कर रही हो लेकिन सच तो यह है कि जनपद शामली में रहने वाली युवतियों के साथ ऐसी घटनाएं कई बार हो चुकी हैं। शामली में छेड़छाड़ के विरोध पर दो सगी बहनों पर एसिड फेंकने की घटना से आहत यह परिवार 15 साल बाद आज भी याद करते ही सिहर उठता है। एसिड अटैक से पीड़ित दोनों सगी बहनें हौसले से आगे बढ़ते हुए अपने परिवार का सहारा बनी हुई है। उनका हौसला आज इतनी ऊंचाई पर है कि दोनों बहनें राष्ट्रपति व अन्य राजनेताओं से अवार्ड पा चुकी हैं।
जेएनएन, शामली : भले ही छपाक फिल्म युवतियों-महिलाओं पर एसिड अटैक के मामले सामने लाने के प्रयास कर रही हो, लेकिन सच तो यह है कि जनपद शामली में रहने वाली युवतियों के साथ ऐसी घटनाएं कई बार हो चुकी हैं। शामली में छेड़छाड़ के विरोध पर दो सगी बहनों पर एसिड फेंकने की घटना से आहत यह परिवार 15 साल बाद आज भी याद करते ही सिहर उठता है। एसिड अटैक से पीड़ित दोनों सगी बहनें हौसले से आगे बढ़ते हुए अपने परिवार का सहारा बनी हुई है। उनका हौसला आज इतनी ऊंचाई पर है कि दोनों बहनें राष्ट्रपति व अन्य राजनेताओं से अवार्ड पा चुकी हैं।
एसिड अटैक ऐसा अपराध है, जिससे पीड़िता के साथ ही पूरा परिवार पीड़ित हो जाता है। 'छपाक' फिल्म में अब इस पीड़ा को सामने लाने की कोशिश की गई है। शामली, कांधला व कैराना क्षेत्र में ऐसी कई घटनाएं हुईं। सबसे ज्यादा चर्चित घटना शामली निवासी दो सगी बहनों पर अटैक की रही। बताया जाता है कि यहां रहने वाले सलीम की दो नाबालिग बेटियों के साथ मेले में परिवार के साथ जाते हुए छेड़छाड़ की गई तो विरोध का सिला एसिड अटैक के रूप में मिला। आरोपित युवकों ने बराबर के घर की छत से ऊपर से सात अप्रैल-2004 की रात में एसिड अटैक किया। दो बहनों के साथ ही परिवार के सात सदस्य झुलसे थे। इस घटना के बाद यह परिवार बेटियों के उपचार के लिए दिल्ली चला गया। वहां रहते हुए पंद्रह साल बीत गए। इस दौरान दोनों बेटियां भी बड़ी हुईं। सलीम ने किसी तरह से बेटियों का इलाज कराया। अपने परिवार को कैसे संभाला, यह तो वही जानते हैं, लेकिन उनकी बेटियों ने भी हौसला दिखाया। उच्च शिक्षा प्राप्त कर वह मुकाम पाया, जिसने पूरे खानदान व जिला शामली का नाम रोशन कर दिया।
सलीम बताते हैं कि वह बहुत बुरा समय था, वह बीत गया है। 15 साल गुजर चुके है, उनकी बेटियां बड़ी हो गई हैं। मगर वह बुरा समय आज भी पूरे परिवार को सिहरा देता है। उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद उनकी बड़ी बेटी यासमीन जनकपुरी सुपर स्पेशलिटी हास्पिटल में नर्सिंग ऑफिसर है तो छोटी बेटी आसमां भी एक अच्छी कंपनी में अधिकारी है। उनका पूरा परिवार खुश है। यह सब उनकी बेटियों के हौसले से है। उनकी बड़ी बेटी को बेस्ट एम्प्लॉई का अवार्ड एक बार नहीं, बल्कि पिछले वर्षों में तीन बार मिल चुका है। वर्ष-2018 में राष्ट्रपति रामनाथ कोविद ने अवार्ड दिया था। उनकी छोटी बेटी को दिल्ली सरकार के मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने बेस्ट एम्प्लाई का अवार्ड दिया। यह सभी अवॉर्ड एसिड अटैक का दंश झेलने वाली बेटियों को उनके हौसले के कारण आगे बढ़ने के लिए दिया गया। उनकी बेटियां उनके बेटों से कम नहीं है।
कुछ नहीं हुई कार्रवाई
सलीम बताते है कि उनकी बेटियों पर एसिड अटैक हुआ, पुलिस में आरोपितों पर मुकदमा दर्ज कराया गया। आरोपित पकड़े गए। हाईकोर्ट से उन्हें जमानत मिल गई। उन्हें सजा नहीं मिल सकी।
सच्चाई दिखाई जाए
सलीम ने कहा कि सुना जा रहा है कि छपाक फिल्म में आरोपित युवक का संप्रदाय बदला गया है। ऐसा नहीं होना चाहिए। लोगों को सच्चाई ही दिखानी चाहिए।