आलू की फसल में पछेती झुलसा रोग का प्रकोप
जिले में आलू उत्पादक किसानों की चिता और बढ़ गई है क्योंकि फसल में अगेती के बाद पछेती झुलसा का भी प्रकोप शुरू हो चुका है। यह रोग बेहद तेजी से फैलता है और रोग के लिए मौसम अनुकूल है।
शामली, जागरण टीम। जिले में आलू उत्पादक किसानों की चिता और बढ़ गई है, क्योंकि फसल में अगेती के बाद पछेती झुलसा का भी प्रकोप शुरू हो चुका है। यह रोग बेहद तेजी से फैलता है और रोग के लिए मौसम अनुकूल है।
जिले में आलू की फसल का क्षेत्रफल करीब 500 हेक्टेयर है। बारिश और नमी अधिक होने के कारण जनवरी की शुरुआत में ही अगेती झुलसा रोग ने आलू की फसल को जकड़ लिया था। तीन जनवरी के बाद से लेकर अब तक दो-तीन दिन ही धूप निकली। ऐसे में पछेती झुलसा का प्रकोप भी फसल में शुरू हो गया है। ऐसे में किसानों की चिता और बढ़ गई है।
कृषि वैज्ञानिक डा. विकास मलिक ने बताया कि इस बार कई-कई दिन तक धूप नहीं निकल रही है। पूर्व में बारिश भी काफी हो चुकी है। बारिश और नमी झुलसा रोग के लिए अनुकूल है। पछेती झुलसा की पहचान यह है कि पत्तों पर भूरे रंग के धब्बे बन जाते हैं और बाहरी किनारा सूखने लगता है। अगेती झुलसा के मुकाबले यह रोग बहुत तेजी से फैलता है। अगर समय से रोकथाम के उपाय न करें तो चार से पांच दिन में पूरी फसल ग्रस्त हो जाती है। कंद कम बनता है और आकार भी छोटा रहता है। अधिक प्रकोप होने पर आलू पर धब्बे बन जाते हैं और संग्रहण की क्षमता कम हो जाती है। आलू की इस वक्त वही फसल है, जिसे किसानों को कोल्ड स्टोरेज में रखना है। पछेती झुलसा के रोकथाम के लिए डाइथेन एम-45 या कार्बनडाजिम-मैंकोजैब के मिश्रण को दो ग्राम मात्रा प्रतिलीटर पानी की दर से छिड़काव करें। फसल की निगरानी करते रहें, क्योंकि यह रोग बहुत तेजी से फैलता है।
वहीं, आलू उत्पादक किसान फैसल चौधरी, नजीर मलिक का कहना है कि फसल में रोग का प्रकोप और अधिक बढ़ने से उत्पादन की लागत काफी बढ़ गई है। निश्चित रूप से उत्पादन भी कम मिलेगा और ऐसा भी नहीं है कि मंडी में आलू के दाम बहुत अधिक हैं। इससे आलू की फसल में काफी नुकसान होने की आशंका है।