शाम को बूंदाबांदी के बाद सर्दी का सितम और बढ़ा
ठंड के सितम से कोई राहत नहीं मिल रही है। सुबह हाड़कंपाती और सुन्न कर देने वाली सर्दी रही। दोपहर में कुछ देर के लिए धूप ने राहत दी लेकिन शाम को हुई बूंदाबांदी के बाद ठंड और बढ़ गई। वहीं आलू की फसल में झुलसा रोग का प्रकोप और अधिक बढ़ने का खतरा भी बढ़ गया।
शामली, जेएनएन। ठंड के सितम से कोई राहत नहीं मिल रही है। सुबह हाड़कंपाती और सुन्न कर देने वाली सर्दी रही। दोपहर में कुछ देर के लिए धूप ने राहत दी, लेकिन शाम को हुई बूंदाबांदी के बाद ठंड और बढ़ गई। वहीं, आलू की फसल में झुलसा रोग का प्रकोप और अधिक बढ़ने का खतरा भी बढ़ गया। तापमान अधिकतम 15.2 और न्यूनतम 5.4 डिग्री सेल्सियस रहा।
बुधवार को कोहरे से राहत रही, लेकिन ठंड काफी थी। हल्की, लेकिन ठंडी हवा भी चल रही थी। जगह-जगह लोग अलाव तापकर राहत पाने की कोशिश कर रहे थे। आसमान बादलों से घिरा था तो धूप की कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही थी। दोपहर में 12 बजे के बाद बादल कुछ छंटे तो धूप निकली। ऐसे में ठंड से थोड़ी राहत मिली, लेकिन दो घंटे बाद ही फिर से घने बादल छा गए। शाम को करीब चार बजे बूंदाबांदी शुरू हुई और रुक-रुककर आधे घंटे तक होती रही। इसके बाद ठंड और अधिक बढ़ गई और लोग और अधिक गर्म कपड़ों से लकदक नजर आए।
शाम को बाजारों में जल्दी ही सन्नाटा सा पसर गया। क्योंकि लोगों ने घर में ही रजाई-कंबल में दुबकना ठीक समझा। जरूरी होने पर ही लोग बाहर निकले। नगर पालिका शामली के अधिशासी अधिकारी सुरेंद्र यादव ने बताया कि बारिश में लकड़ियां निर्धारित स्थानों पर ऐसे जगह रखवा दी जाती हैं, जिससे गीली न हों। कृषि विज्ञान केंद्र शामली के वैज्ञानिक डा. विकास मलिक ने बताया कि बूंदाबांदी से वैसे तो किसान फसल को नुकसान नहीं है। लेकिन आलू की फसल में अगेती झुलसा रोग और अधिक बढ़ सकता है। पहले ही काफी प्रकोप इस रोग है। पछेती झुलसा रोग की आशंका भी बढ़ गई है। वहीं, चिकित्सक डा. पंकज गर्ग ने बताया कि ठंड से बचाव रखें और बारिश में भीगने से भी बचें। क्योंकि इससे बुखार, जुकाम, नजला हो सकता है। अगर इस तरह के लक्षण आएं तो कोरोना की जांच भी करा लें।