आइटीआइ की बिल्डिग में कब रोशन होगा शिक्षा का चिराग
इंसान की तरक्की का सबसे मजबूत रास्ता है शिक्षा। उपेक्षा ने इस रास्ते को ही बंद रखा है। थानाभवन क्षेत्र के गांव लतीफगढ़ में करोड़ों रुपये की लागत से बनी आइटीआइ की इमारत वीरान पड़ी है।
शामली, जागरण टीम। इंसान की तरक्की का सबसे मजबूत रास्ता है शिक्षा। उपेक्षा ने इस रास्ते को ही बंद रखा है। थानाभवन क्षेत्र के गांव लतीफगढ़ में करोड़ों रुपये की लागत से बनी आइटीआइ की इमारत वीरान पड़ी है। दूसरी ओर, पलठेड़ी गांव में चार साल से राजकीय इंटर कालेज बनकर तैयार है, लेकिन यहां पढाई ही शुरू नहीं हो पाई है। आइटीआइ या राजकीय इंटर कालेज में पढ़ने का युवाओं का सपना चूर हो रहा है।
थानाभवन से सटे गांव लतीफगढ में प्रदेश की तत्कालीन सपा सरकार के कार्यकाल में राजकीय आइटीआइ के लिए इमारत बनाई गई थी। नवंबर 2014 में 4.64 करोड़ की लागत से इमारत का निर्माण शुरू हुआ। मुख्य इमारत का निर्माण पूरा हो चुका है। केवल फिनिशिग का काम बाकी है। राजकीय आइटीआइ बनने से युवाओं में हर्ष का माहौल था। अधिकारियों और सरकार के उपेक्षित रवैये ने युवाओं की खुशी पर तुषारापात कर दिया। कैबिनेट मंत्री सुरेश राणा का कहना है कि जल्द ही इस्टीमेट बनाया जा रहा है। धन स्वीकृत कराकर आइटीआइ की पढाई शुरू कराई जाएगी।
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राजकीय कालेज की इमारत में सन्नाटा
पलठेड़ी के पूर्व प्रधान चौधरी शरीफ अहमद प्रधान ने यहां राजकीय इंटर कालेज के सपने का बीज रोपा था। उन्हीं के प्रयास से वर्ष 2014 में राजकीय इंटर कालेज स्वीकृत हुआ और वर्ष 2015 में इमारत की नींव रखी गई। वर्ष 2017 में इमारत बनकर तैयार हो गई। तभी से यह इमारत छात्र-छात्राओं की बाट जोह रही है, लेकिन यहां अभी तो सन्नाटा ही कुलांचे भर रहा है। कमिश्नर और जिलाधिकारी के दर्जनों पत्रों पर शासन ने कोई ध्यान ही नहीं दिया। बच्चों का भविष्य खराब हो रहा है।
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इनका कहना है
हमारा काम इमारत बनाना है। पढ़ाई शुरू कराना शिक्षा विभाग का काम है। इमारत के निर्माण में यदि कोई कमी है तो हम दिखाएंगे। इसके लिए आला अधिकारियों को पत्र लिखकर मामला उनके संज्ञान में लाया जाएगा।
अंशुल चौहान, जिला अल्प संख्यक कल्याण अधिकारी
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राजकीय इंटर कालेज का निर्माण अभी अल्पसंख्यक विभाग करा रहा है। विभाग को अभी इमारत हैंडओवर नहीं हुई है। इमारत हैंडओवर होते ही यहां पर शिक्षण कार्य शुरू कराने के लिए औपचारिकताएं शुरू कर दी जाएंगी।
सरदार सिंह, जिविनि