एसीएस से पकड़ में आते हैं बिना लक्षण वाले संक्रमित
कोरोना के काफी मरीज बिना लक्षण वाले मिल रहे हैं। ऐसे मरीजों को खोजना चुनौती भी है और इनसे संक्रमण की चेन बढ़ने का खतरा भी अधिक होता है। हालांकि सक्रिय केस खोज (एसीएस) अभियान के साथ ही रैंडम जांच में भी ऐसे मरीज सामने आते हैं।
शामली, जेएनएन। कोरोना के काफी मरीज बिना लक्षण वाले मिल रहे हैं। ऐसे मरीजों को खोजना चुनौती भी है और इनसे संक्रमण की चेन बढ़ने का खतरा भी अधिक होता है। हालांकि सक्रिय केस खोज (एसीएस) अभियान के साथ ही रैंडम जांच में भी ऐसे मरीज सामने आते हैं।
दरअसल अगर कहीं कोई संक्रमित मिलता है तो उस क्षेत्र के 100 से 300 मीटर के दायरे में एसीएस होता है। स्वास्थ्य विभाग की टीम घर-घर जाकर संक्रमितों के संपर्क में आने वालों के साथ ही बाहर से आने वालों और लक्षण वालों को भी चिन्हित करती है। इसके आधार पर कोरोना जांच कराई जाती है। मुख्य चिकित्साधिकारी डा. वीर बहादुर ढाका ने बताया कि अगर एक क्षेत्र में ही संक्रमितों की संख्या एक से अधिक होती है तो उसी हिसाब से एसीएस का दायरा भी बढ़ जाता है। एसीएस के माध्यम से ही काफी बिना लक्षण वाले लोगों में संक्रमण पकड़ में आता है। साथ ही प्राथमिकता के आधार पर शुगर, हृदय एवं सांस के रोगियों की भी जांच कराई जा रही हैं। रैंडम जांच के लिए कार्ययोजना बनी है।
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ये है दिक्कत
एसीएस में लोगों द्वारा जो जानकारी दी जाती है, उसे ही ठीक मान लिया जाता है। काफी लोग गलत जानकारी भी देते हैं। दिक्कत यही है कि बिना लक्षण वाले संक्रमित हर जगह घूमते हैं और उनसे कोरोना की चेन बढ़ने का खतरा रहता है।
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लक्षण आएं तो सीएचसी में जाकर जांच करा लें
कोविड अस्पताल में काफी समय तक ड्यूटी कर चुके चिकित्सक डा. शशिकांत ने बताया कि बुखार, जुकाम-खांसी के साथ ही पेट में दर्द, स्वाद का बिगड़ना, गंध न आना आदि कोरोना के लक्षण हैं। अगर किसी को लक्षण आते हैं तो वह किसी भी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर जांच करा लें। साथ ही चिकित्सक की सलाह के बगैर कोई भी दवा न लें। ऐसा करना स्वास्थ्य के लिए घातक भी सिद्ध हो सकता है। बताया कि एंटीजन जांच ही सबसे अधिक हो रही है। अगर किसी में लक्षण हैं और एंटीजन रिपोर्ट निगेटिव आती है तो ऐसे मामलों में सैंपल आरटी-पीसीआर जांच के लिए भेजा जाता है।