1420 बेसहारा पशु पकड़े, पर अभी भी उड़ी है किसानों की नींद
जागरण संवाददाता शामली बेसहारा पशुओं की समस्या जिले के प्रमुख मुद्दों में से एक है। प्रशास
जागरण संवाददाता, शामली:
बेसहारा पशुओं की समस्या जिले के प्रमुख मुद्दों में से एक है। प्रशासन के तमाम दावों के बाद भी ग्रामीण क्षेत्र से लेकर नगरों तक बेसहारा पशु घूम रहे हैं। फसलों को भारी नुकसान हो रहा है और किसानों को फसल बचाने के लिए दिन-रात पहरा भी देना पड़ता है। किसान संगठन कई बार कलक्ट्रेट में प्रदर्शन कर चुके हैं। गन्ना भुगतान के बाद यही मुद्दा है। पंचायतीराज राज्यमंत्री भूपेंद्र चौधरी से लेकर जिले की प्रभारी मंत्री अनुपमा जायसवाल के समक्ष भी इस समस्या को किसान रख चुके हैं। दो महीने पहले कुछ प्रयास जरूर हुए, लेकिन स्थिति कमोबेश ऐसी ही है। दरअसल, जिले में बेसहारा पशुओं को रखने के लिए एक भी कांजी हाउस नहीं है। जनवरी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश पर बेसहारा पशुओं को पकड़कर गोशाला में छोड़ने का अभियान चला था। जिले में शामली और जलालाबाद में ही गोशाला है। जब ये फुल हो गई तो दिक्कत खड़ी हो गई। इसके बाद अस्थायी गोशाला बनाकर पशुओं को वहां रखा गया। जनवरी से लेकर अब तक 1420 बेसहारा पशु पकड़े गए हैं। हकीकत ये है कि ज्यादा पशु शहरी क्षेत्र से ही पकड़े गए, जबकि असल परेशानी ग्रामीण क्षेत्रों में है। इसलिए बढ़ी समस्या
उत्तर प्रदेश में सरकार बनने पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर बूचड़खानों पर जो कार्रवाई की गई और कटान को लेकर नीति सख्त की। साथ ही केंद्र सरकार ने पशुओं की खरीद-फरोख्त को लेकर कानून भी बनाया। इसके बाद सड़कों पर बेसहारा पशुओं की संख्या यकायक बढ़ गई। गोवंश की खरीद-फरोख्त में भी काफी कमी आई। जो लोग गाय को दूध न देने पर बेच दिया करते थे, अब उन्हें सड़कों पर छोड़ देते हैं। क्योंकि, गोवंश के खरीदार नहीं हैं। ये स्थिति बछड़ों की है। बेसहारा पशुओं में सबसे अधिक बछड़े हैं। ग्रामीणों ने स्कूलों में भरे पशु
बेसहारा पशुओं से परेशान कई गांव में लोगों ने इन्हें पकड़कर स्कूलों में भर दिया। काबड़ौत गांव में ग्रामीणों ने अभियान चलाकर 20 से अधिक पशु पकड़े थे और रातभर हंगामा रहा था। इसके बाद कुड़ाना गांव के प्राथमिक स्कूल में भी ग्रामीणों ने पशु भर दिए थे, जिसके चलते कक्षा सड़क पर चली थी। इस मामले में प्रशासन ने कुछ ग्रामीणों के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज कराया था। इसका किसान संगठन और खाप चौधरियों ने विरोध भी किया था। कांधला क्षेत्र के नाला गांव में ग्रामीणों ने पशु चिकित्सालय में पशु भर दिए थे। कई पशुओं की जा चुकी जान
अस्थायी गोशाला में समुचित व्यवस्था न होने के कारण कई पशुओं की जान भी जा चुकी है। सिभालका में ही डेढ़ महीने पहले करीब पांच गोवंश की ठंड से मौत हो गई थी। क्योंकि, गोशाला निर्माणाधीन थी और खुले में पशु बंधे थे। बारिश आई तो चहारदीवारी के लिए खोदे गए गड्ढ़ों में पानी भर गया और कई पशु खुलकर उसमें गिर गए। बाबरी क्षेत्र में भी पशुओं की जान जाने की बात सामने आई थी। हालांकि, पशु पालन विभाग इससे इन्कार करता रहा। हर ग्राम पंचायत में गोशाला बनाने की योजना
बेसहारा गोवंश के रहने-खाने की समुचित व्यवस्था के लिए अब हरेक ग्राम पंचायत में गोशाला बनाई जानी हैं। निर्माण कार्य महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम मनरेगा और 14वें वित्त के तहत ग्राम पंचायतों को मिलने वाली धनराशि से किया जाएगा। साथ ही, बेसहारा पशुओं के भरण-पोषण के लिए जिला प्रशासन को एक करोड़ रुपये सरकार से मिल चुके हैं। जिले में 230 ग्राम पंचायत हैं और गोशाला के लिए ग्राम सभा में जमीन की व्यवस्था के प्रयास शुरू हुए, लेकिन चुनाव के चलते अभी सबकुछ ठंडे बस्ते में है। शहरी क्षेत्र में जो बेसहारा पशु होंगे, उन्हें गो संरक्षण केंद्र में रखा जा सकेगा। चल रहा गौ संरक्षण केंद्र का निर्माण
बनत में 1.22 हेक्टेयर जमीन पर गो संरक्षण केंद्र का निर्माण भी शुरू हो चुका है। कुल 1.20 करोड़ रुपये खर्च होंगे। यहां करीब 300 बेसहारा पशु के रहने की व्यवस्था होगी। मई तक काम पूरा करने का दावा किया जा रहा है। 18 अस्थायी गोश्रय स्थलों का निर्माण पूरा
जिले में 32 अस्थायी गोश्रय स्थल बनाए जा रहे हैं। इनमें से 18 का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। जल्द ही सभी गोश्रय स्थलों का काम पूरा होगा। इनका निर्माण भी ग्राम पंचायत के द्वारा ही कराया गया है। रोजाना घायल होते हैं 40 से 50 पशु
हाईवे व अन्य सड़कों पर वाहनों की चपेट में आने से हर दिन तकरीबन 40 से 50 पशु घायल होते हैं। साथ ही यातायात व्यवस्था भी प्रभावित होती है। मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. राजेश कुमार की मानें तो उनके पास दिनभर में 10-12 लोगों के फोन आते हैं, जो जानकारी देते हैं कि आवारा पशु घायल पड़े हैं। किसानों की भी काफी शिकायत आती हैं कि फसल खराब कर दी। गोवंश संरक्षण समिति बनी
गोवंशों की गो संरक्षण केंद्र, गोशाला और गो आश्रय स्थलों पर बेहतर देखभाल के लिए जनता से दान की अपील प्रशासन के द्वारा की जा रही है। जिलाधिकारी ने गोवंश संरक्षण समिति गठित की है और इसका सहायक रजिस्ट्रार फर्म्स (सोसाइटी एवं चिट्स) में पंजीकरण भी कराया गया है। लगातार बेसहारा पशुओं को पकड़कर अस्थायी गोशाला में ले जाया जा रहा है। गो संरक्षण केंद्र मई तक बनकर तैयार हो जाएगा। साथ ही सभी ग्राम पंचायतों में छोटी-छोटी गोशाला बननी है। जल्द ही इस समस्या का समाधान हो जाएगा।
- डॉ. राजेश कुमार, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी, शामली किसानों की मेहनत पर बेसहारा पशु पानी फेर रहे हैं। किसान की फसल नष्ट होने की आशंका से नींद उड़ी रहती है। तमाम स्तरों पर इस समस्याओं को उठा चुके हैं, लेकिन स्थिति जस की तस है। चुनाव बाद आंदोलन किया जाएगा।
-सवित मलिक, अध्यक्ष, किसान यूनियन