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शाहजहांपुर में साजत की विदाई पर तराई में बह पड़ी गम, गुस्सा और गर्व की त्रिवेणी

सूबे में सर्वाधिक खाद्यान्न उत्पादन से जय किसान का नारा बुलंद करने वाली तराई वीर सारज सिंह के बलिदान से जय जवान से भी धन्य हो गई। गुरुवार सुबह सात बजे से शाहजहांपुर में ओसीएफ अस्पताल से ब्रिगेडियर राजेश रमण ने सलामी देकर जन्मभूमि के लिए बलिदानी को विदा किया तो पूरी मिनी पंजाब से ख्यातिलब्ध पुवायां तहसील के लोग अंतिम दर्शन को उमड़ पड़े।

By JagranEdited By: Published: Fri, 15 Oct 2021 01:23 AM (IST)Updated: Fri, 15 Oct 2021 01:23 AM (IST)
शाहजहांपुर में साजत की विदाई पर तराई में बह पड़ी गम, गुस्सा और गर्व की त्रिवेणी
शाहजहांपुर में साजत की विदाई पर तराई में बह पड़ी गम, गुस्सा और गर्व की त्रिवेणी

जेएनएन, शाहजहांपुर : सूबे में सर्वाधिक खाद्यान्न उत्पादन से जय किसान का नारा बुलंद करने वाली तराई वीर सारज सिंह के बलिदान से जय जवान से भी धन्य हो गई। गुरुवार सुबह सात बजे से शाहजहांपुर में ओसीएफ अस्पताल से ब्रिगेडियर राजेश रमण ने सलामी देकर जन्मभूमि के लिए बलिदानी को विदा किया तो पूरी मिनी पंजाब से ख्यातिलब्ध पुवायां तहसील के लोग अंतिम दर्शन को उमड़ पड़े। बंडा-बिलसंडा रोड से होते हुए जैसे ही पार्थिव शरीर लिए वाहन अख्ति्यापुर धौकल की सीमा पर पहुंचा गम, गुस्सा व गर्व की त्रिवेणी बह उठी। सड़क, पगडंडी, खेत और मेड़ से दौड़ते हुए आ रहे लोग जब तक सूरज चांद रहेगा सारज तुम्हारा नाम रहेगा.. भारत माता की जय, पाकिस्तान मुर्दाबाद, वंदे मातरम के नारे लगा रहे थे। सिख संगत के लोग बोले सो निहाल सत श्री अकाल के घोष से सारज सिंह के बलिदान को सेल्यूट करने को आतुर थे।

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ग्राम पंचायत अख्ति्यारपुर धौकल के गांव से करीब एक किमी कच्ची सड़क पर सरदार विचित्र सिंह का झाला है। चार दिन से यह झाला तराई का मुख्य केंद्र बना हुआ है। गुरुवार को हर किसी के कदम इसी झाले की ओर बढ़ते जा रहे थे। सुबह पौने नौ बजे के करीब जब बलिदानी सारज सिंह की पार्थिव देह गांव पहुंची, हर किसी का सीना गर्व से चौड़ा हो गया। लेकिन आतंकवादियों के खिलाफ गुस्सा था। पड़ोसी गांव बरीबरा गहलुइया, नवदिया बंकी, कैथ भगवतीपुर, पीतलपुर, फगुनिहाई बार्डर, समेत बंडा, खुटार, बिलसंडा के अलावा, शाहजहांपुर, पूरनपुर, पीलीभीत, रामपुर, रुद्रपुर समेत तमाम जिलो के लोग भी बहादुर सिपाही के दर्शन के लिए पहुंचे। छतों, दीवारों और पेड़ों पर चढ़ गए बलिदानी के दर्शन को

पार्थिव देह के पहुंचते ही बूढ़े, बच्चे, जवान, महिलाएं, बेटियां हर किसी के कदम बलिदानी के दर्शन के लिए बढ़ते जा रहे थे। लेकिन हजारों के हुजूम में दर्शन मुश्किल हो गए। नतीजतन तमाम लोग विचित्र सिंह के घर की छत और दीवारों पर चढ़ गए। जिन्हें जगह न मिली उन्होंने पेड़ पर चढ़कर अंतिम दर्शन किए। हाथ जोड़कर लोगों को रोक रही थी सेना और पुलिस

बलिदानी के प्रति श्रद्धा व सम्मान के भाव के साथ दर्शन को पहुंचे लोगों को रोकना मुश्किल हो गया। पुलिस व सेना के जवानों को व्यवस्था के लिए हाथ जोड़ने को मजबूर होना पड़ा। डीएम इंद्र विक्रम सिंह व एसपी एस आनंद को व्यवस्था संभालने के लिए उतरना पड़ा। एडीएम रामसेवक द्विवेदी ने छत पर पहुंची सैकड़ों की भीड़ को समझा बुलाकर नीचे उतारा।


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