बोस के समर्थन में लगाए नारे तो स्वयंसेवकों को भेजा था जेल
नेताजी सुभाष चंद्र बोस दो बार शाहजहांपुर आए थे। उन्हें यहां के लोगों का भरपूर समर्थन व सहयोग मिला। जब वे गिरफ्तार हुए तो विरोध में पुवायां में लोगों ने प्रदर्शन किए। उनकी गिरफ्तारियां हुईं जेल में सजा काटी। उनसे प्रेरित हो आजाद हिद फौज का हिस्सा बनकर शहर के जेएस बेदी ने लड़ाई लड़ी।
अंबुज मिश्र, शाहजहांपुर : नेताजी सुभाष चंद्र बोस दो बार शाहजहांपुर आए थे। उन्हें यहां के लोगों का भरपूर समर्थन व सहयोग मिला। जब वे गिरफ्तार हुए तो विरोध में पुवायां में लोगों ने प्रदर्शन किए। उनकी गिरफ्तारियां हुईं, जेल में सजा काटी। उनसे प्रेरित हो आजाद हिद फौज का हिस्सा बनकर शहर के जेएस बेदी ने लड़ाई लड़ी। इतिहासकार डा. नानक मेहरोत्रा ने अपनी किताब स्वतंत्रता आंदोलन में शाहजहांपुर का योगदान में नेताजी सुभाष चंद्र बोस के आगमन व यहां हुईं गतिविधियों के बारे में बताया है। डा. मेहरोत्रा बताते हैं कि सुभाष चंद्र बोस 22 जनवरी 1940 को शाहजहांपुर आए थे। उनके आगमन पर जोरदार स्वागत किया गया। कांग्रेस और फारवर्ड ब्लाक के झंडों से स्वागत द्वार सजाए गए।
टाउनहाल में संबोधित की थी सभा
इसके बाद वह पांच मार्च 2020 को यहां आए। वह इनायत अली खां के आवास पर रुके थे। टाउनहाल में सार्वजनिक सभा को संबोधित किया था। जिसमें उन्होंने कांग्रेस नेताओं की वायसराय से वार्ता की आलोचना की थी। उन्होंने किशननगर में समझौता विरोधी सम्मेलन में यहां के लोगों से भाग लेने का आह्वान किया था। डा. मेहरोत्रा ने बताया कि इस बार यहां के लोगों ने सुभाषचंद्र बोस को एक हजार रुपये की थैली भेंट की थी। कैबिनेट मंत्री सुरेश खन्ना के प्रयासों से सुभाष चंद्र बोस के नाम पर घंटाघर में टावर बना हुआ है। हथौड़ा में सुभाष चौराहा बनाया गया है।
एसडीएम ने सुनाई थी सजा
नानक चंद्र मेहरोत्रा बताते हैं कि दो जुलाई 1040 को कोलकाता में सुभाष चंद्र बोस की गिरफ्तारी हुई तो पूरे देश में तीखी प्रतिक्रिया हुई। बोस कुछ माह पहले ही शाहजहांपुर आए थे। उनका काफी प्रभाव था। ऐसे में अगस्त 1940 में पुवायां में कुछ लोगों ने इस गिरफ्तारी के विरोध में प्रदर्शन किया। ऐसे ही एक जत्थे को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। उन लोगों को उस समय पुवायां के एसडीएम आफताब खां की कोर्ट में पेश किया गया। आफताब खां ने सभी को सजा सुनाई।
इनको हुई थी सजा
श्याम सुंदर, जगन्नाथ प्रसाद, अनंतराम, नारायण लाल, स्वामी दयाल, प्रह्लाद, भज्जू लाल, श्याम सुंदरलाल, सूबेदार उर्फ प्रेमप्रकाश, शीतला चरण, अशर्फीलाल, बलदेव प्रसाद, ईश्वनाथ मिश्र, सोवरन लाल, बाबूराम, ढाकन लाल, मुक्ता प्रसाद मिश्र, शांतिस्वरूप, झाऊलाल को छह माह से डेढ़ साल तक की सजा सुनाई गई। इन सभी को बरेली, गोंडा, रायबरेली, बस्ती की जेलों में अलग-अलग स्थानांतरित कर दिया गया।
बेदी रहे थे हिस्सा
शहर के स्टेशन रोड निवासी जेएस बेदी सुभाष चंद्र बोस आजाद हिद फौज में शामिल रहे। उन्होंने वर्मा की लड़ाई में भी हिस्सा लिया था। उनके पुत्र शमिदर सिंह बेदी बताते हैं कि पिता ने प्रशासन की ओर से दी जाने वाली पेंशन भी नहीं ली थी। बेदी को गोरखपुर, कोलकाता, फैजाबाद के अलावा विभिन्न स्थानों पर सम्मानित किया गया। सात फरवरी 2014 को उनका निधन हो गया। शमिदर बताते हैं सिधौली क्षेत्र के रामकुमार भी आजाद हिद फौज में पिता के साथ रहे थे। इसके अलावा ओसीएफ में कर्मी रहे रघुराज सिंह ने भी नेताजी के साथ लड़ाई में हिस्सा लिया था। ओसीएफ में कर्मचारी रहे सुभाष दास ने सुभाष यूथ विग बनाई थी, जिसमें नौजवानों को आजाद हिद फौज की तरह प्रशिक्षण देते थे। सेवानिवृत्त होने के बाद वह कानपुर चले गए।