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कोहरा न बने काल, जिम्मेदार रखें ख्याल

कोहरे के साथ ही हादसों की संख्या भी बढ़ने लगती है। जान गंवाने वालों के परिवार उजड़ने लगते हैं। ज्यादातर हादसों की वजह सड़कों के गड्ढे अनफिट वाहन बन रहे हैं लेकिन जिम्मेदार इस ओर ध्यान नहीं दे रहे है। वहीं लोग भी यातायात नियमों का पालन करने के प्रति सचेत नहीं हैं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 24 Nov 2020 12:39 AM (IST)Updated: Tue, 24 Nov 2020 12:39 AM (IST)
कोहरा न बने काल, जिम्मेदार रखें ख्याल
कोहरा न बने काल, जिम्मेदार रखें ख्याल

जेएनएन, शाहजहांपुर : कोहरे के साथ ही हादसों की संख्या भी बढ़ने लगती है। जान गंवाने वालों के परिवार उजड़ने लगते हैं। ज्यादातर हादसों की वजह सड़कों के गड्ढे, अनफिट वाहन बन रहे हैं, लेकिन जिम्मेदार इस ओर ध्यान नहीं दे रहे है। वहीं लोग भी यातायात नियमों का पालन करने के प्रति सचेत नहीं हैं।

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वाहनों की लगातार बढ़ती संख्या की वजह से हादसे में मौत होना अब सामान्य बात कहा जाता है, लेकिन जिस परिवार का सदस्य हादसे में अपनी जान गंवाता है, उनके लिए यह किसी आपदा से कम नहीं होता है। मुखिया की मौत पर तो परिवार को आर्थिक से लेकर सामाजिक कठिनाइयों तक का सामना करना पड़ता है। मिर्जापुर थाना क्षेत्र के जरियनपुर गांव निवासी कुनेंद्र पाल मिश्रा ने 22 अगस्त 2020 को इकलौते बेटे मदन मोहन मिश्र को हादसे में खो दिया था। क्षेत्र के कोला पुल पर अज्ञात वाहन की टक्कर से मदन की मौत हो गई थी। इकलौता बेटा खोने से न सिर्फ बुजुर्ग कुनेंद्र पाल की बुढ़ापे की लाठी टूट गई बल्कि मीरा देवी का सुहाग भी उजड़ गया। अब बहू से लेकर चार छोटे पोती-पोता की जिम्मेदारी भी कुनेंद्र पाल के कंधों पर आ गई।

दस दिन बाद हुआ था बेटे का जन्म

कुनेंद्र पाल ने बताया कि मदन मोहन के चार बच्चों में छह साल का बेटा प्रेम, चार साल की बेटी नैना, दो साल का कृष्णा व सबसे छोटी बेटी का जन्म बेटे की मौत से दस दिन बाद हुआ था। मदन की मौत से पूरा परिवार बर्बाद हो गया।

चार माह में सौ तक पहुंच जाता है मौत का आंकड़ा

सामान्य दिनों में जिले में 12 से 15 लोगों की जान हादसे में जाती है। जबकि नवंबर से फरवरी माह तक कोहरे के समय मरने वालों की संख्या 18 से 25 पहुंच जाती है। इन चार माह में 80 से 100 लोग हादसे में जान गंवाते हैं।

जागरूकता माह में भी बढ़े हादसे

नवंबर को यातायात जागरूकता माह के रूप में मनाया जाता है। ताकि कोहरा पड़ने से पहले लोगों को नियमों के बारे में बताया जा सके, लेकिन इस बार जागरूकता माह में 23 नवंबर तक ही हादसों में मारने वालों की संख्या 18 पहुंच गई है। 70 से अधिक लोग घायल हो चुके हैं।

हादसों पर नजर

वर्ष -मौत- घायल- हादसे

2017- 298- 459- 654

2018- 218-290- 370

2019-235- 498- 412

2020-176- 345- 315

वाहनों के आंकड़े

ट्रैक्टर : 26975

बसें : 505

एंबुलेंस : 85

बड़े ट्रक : 146

स्कूली बस : 49

ई-रिक्शा : 3661 प्लस 126 सामान ढोने वाले।

कॉमर्शियल वाहन : 283

भारी वाहन : 7265

बाइकें : 329788

मोपेड : 13789

कार : 34485

वर्जन

कोहरा पड़ने से पहले ही सभी वाहनों पर रिफ्लेक्टर लगवाए जा रहे हैं। वाहन चालकों को यातायात नियमों का पालन करने के लिए भी प्रेरित किया जा रहा है।

मनोज कुमार वर्मा, उप संभागीय अधिकारी हादसे वाले 51 प्वाइंट चिह्नित कर लिए हैं। इन स्थानों पर डिवाइडर, संकेतक लगवाए जाएंगे। ऐसे स्थानों पर पुलिस की ड्यूटी भी रहेगी, जहां हादसे सर्वाधिक होते हैं।

एस आनंद, एसपी


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