शेरों वाले मंदिर में बनती थी आंदोलन की रणनीति
90 के दशक में राममंदिर आंदोलन चरम पर था। विश्व हिन्दू परिषद व बजरंग दल ने आंदोलन की कमान संभाली तो भाजपा ने इसे धार दी। अयोध्या से लेकर जिले तक शहर से गांव तक हर तरफ जयश्री राम के नारे सुनाई देते थे।
जेएनएन, शाहजहांपुर : 90 के दशक में राममंदिर आंदोलन चरम पर था। विश्व हिन्दू परिषद व बजरंग दल ने आंदोलन की कमान संभाली तो भाजपा ने इसे धार दी। अयोध्या से लेकर जिले तक, शहर से गांव तक हर तरफ जयश्री राम के नारे सुनाई देते थे। प्रशासन व पुलिस सख्ती करते थे, लेकिन रामभक्त भला कहां मानने वाले थे। राममंदिर आंदोलन के दौरान सक्रिय रहे खिरनीबाग मुहल्ला निवासी निवर्तमान सभासद भाजपा नेता नरेंद्र मिश्र उर्फ गुरु बताते हैं कि उस समय विभिन्न स्थानों पर गुप्त मीटिग होती थीं। विरोध प्रदर्शन की रणनीति बनती थीं। मुमुक्षु आश्रम व शेरों वाले मंदिर पर विहिप व बजरंग दल के नेता जुटते थे। वहां से आंदोलन को गति देने के लिए दिशा-निर्देश जारी होते थे। खिरनीबाग स्थित रामजानकी मंदिर में बैठकें करते थे। मंदिर के पुजारी मीटिगों के आयोजन में पूरा सहयोग करते थे। सभी को विश्वास था कि देर से ही मंदिर का निर्माण पूरा होगा।