हादसे में 11 पहुंची जिले के मृतकों की संख्या
जेएनएन, शाहजहांपुर : हापुड़ की अवैध पटाखा फैक्ट्री में आग लगने से हुए हादसे में मरने वालों की संख्या बढ़कर 11 हो गई है। क्षेत्र के सिकंदरपुर अफगानान निवासी रंजीत की शिनाख्त होने के बाद उनका शव गांव लाया गया। मंगलवार को अंत्येष्टि कर दी गई।
गांव निवासी रामपाल के बेटे रंजीत अपने पिता के साथ नेपाल सीमा पर भट्टे पर नौकरी करते थे। पिछले सप्ताह ही लौट कर गांव आए। किसी ने हापुड़ जाने की सलाह दी तो वहां काम की तलाश में पहुंच गए। पटाखा फैक्ट्री में काम भी मिल गया, लेकिन वहां हुए हादसे में उनकी जान चली गई। मंगलवार को रामगंगा नदी के किनारे कोलाघाट पर उनके शव का अंतिम संस्कार कर दिया किया। तहसीलदार चमन सिंह राणा, नायब तहसीलदार चंद्रगुप्त सागर, सीओ मस्सा सिंह भी मौजूद रहे। एसडीएम बरखा सिंह ने गांव जा कर परिवार को मदद का भरोसा दिया।
महिलाओं का क्रंदन तोड़ रहा सन्नाटा, नहीं पहुंचा कोई अधिकारी
हापुड़ में हुए हादसे में भंडेरी गांव के आठ लोगों की मौत के बाद सोमवार को जहां गांव में अधिकारियों व नेताओं की भीड़ थी। वहीं मंगलवार को सन्नाटा पसरा रहा। कई घरों में चूल्हे नहीं जले। महिलाओं के रोने की आवाजें गूंज रही थीं। मृतक सर्वेश, अनूप, राघवेंद्र, रामू के घरों के दरवाजे पर कुछ परिचित व रिश्तेदार जरूर बैठे हुए थे।
लंच से वापस आते ही हुआ धमाका, किसी तरह बची जान
भंडेरी गांव के मनोज व उनके भाई सनोज भी पटाखा फैक्ट्री में काम करते थे। हापुड़ से मंगलवार सुबह तड़के आए। मनोज ने बताया कि दोनों भाई गोले बनाने के लिए मिट्टी के खोल में बारूद भर रहे थे। दोपहर एक बजे लंच हो गया। दो बजे वापस आए तो करीब बीस मिनट बाद ही अचानक फैक्ट्री के मुख्य गेट की साइड में जोरदार धमाका हुआ। कुछ ही देर में फैक्ट्री में आग लग चुकी थी। फैक्ट्री की दाहिनी दीवार पूरी उड़ गई। किसी तरह बाहर निकल आए। दोनों पैर व सिर जल चुके थे। सनोज भी झुलस चुके थे। उन लोगों की फैक्ट्री परिसर में ही रहने की व्यवस्था थी। मुख्य गेट में हर समय अंदर बाहर ताला ही लगा रहता था। मजदूरों में सब्जी या अन्य राशन पानी लाने के लिए केवल एक आदमी के बाहर निकलने की अनुमति दी जाती थी। उसके साथ फैक्ट्री प्रबंधन का एक व्यक्ति साथ जाता था। मनोज ने बताया कि उसका भाई सनोज की हालत गंभीर है। उन्हें मेरठ के अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
प्लास्टिक के खिलौने बनाने को कहकर ले गए थे
हादसे में घायल राजेश ने बताया कि वह भी ठेकेदार अमित गुप्ता के कहने पर दस दिन पूर्व ही हापुड़ गए थे। अमित ने बताया था कि
फैक्ट्री में प्लास्टिक के खिलौने बनाने हैं। दस हजार रुपये पगार बताई थी। वहां पटाखे बनाने के लिए कहा तो इन्कार किया, लेकिन बाहर नहीं निकल पाए। राजेश व मनोज ने बताया किकाम पर जाने से पहले सभी के मोबाइल फोन जमा कर लिए जाते थे। फोटो लेने या वीडियो बनाने की सख्त मनाही थी।
Edited By Jagran