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शुभांगी ने बढ़ाया शाहजहांपुर का मान

भारतीय नौसेना के महिला पायलट के पहले बैच में शामिल शुभांगी स्वरूप का परिवार तिलहर कस्बे के मोहल्ला कुंवरपुर का रहने वाला है। शुभागी ने गुरुवार को 27 वां डोर्नियर ऑपरेशनल फ्लाइंग कोर्स पूरा कर लिया।

By JagranEdited By: Published: Sat, 24 Oct 2020 01:00 AM (IST)Updated: Sat, 24 Oct 2020 05:03 AM (IST)
शुभांगी ने बढ़ाया शाहजहांपुर का मान
शुभांगी ने बढ़ाया शाहजहांपुर का मान

जेएनएन, शाहजहांपुर: भारतीय नौसेना के महिला पायलट के पहले बैच में शामिल शुभांगी स्वरूप का परिवार तिलहर कस्बे के मोहल्ला कुंवरपुर का रहने वाला है। शुभागी ने गुरुवार को 27 वां डोर्नियर ऑपरेशनल फ्लाइंग कोर्स पूरा कर लिया। कोच्चि स्थित नौसेना के दक्षिणी कमान में उनकी पासिंग आउट परेड हुई। उनकी इस उपलब्धि पर दादा, दादी फूले नहीं समा रहे। शुक्रवार को कस्बे के कई लोग उन्हें शुभकामनाएं देने आए।

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शुभांगी के दादा सेवानिवृत्त पोस्टमास्टर रमेश चंद्र गुप्त व दादी निर्मला देवी से शुभांगी के बारे में चर्चा हुई तो चेहरे की चमक बढ़ गई। रमेश चंद्र गुप्त बोले, बिटिया छुट्टियों में घर आती थी। बताती थी कि ऊंचे सपने देखे हैं, उन्हें पूरा कराना है। मुझे इस बात की खुशी है कि बेटे के साथ-साथ अब पौत्री भी देश की सेवा करेगी।

पिता से मिली प्रेरणा

शुभांगी को नौसेना में जाने की प्रेरणा अपने पिता ज्ञानस्वरूप से मिली। वह भी नौसेना में कमांडर हैं। वर्ष 2015 में बीटेक की पढ़ाई करने के बाद उन्होंने नौसेना में जाने के लिए दिनरात मेहनत की। 23 नवंबर 2017 में परीक्षा व कमीशन के बाद बतौर महिला पायलट उनका चयन हुआ। केरल स्थित इंडियन नेवल एकेडमी में परेड में दादा दादी भी गए थे।

विशाखापटटनम में हुआ जन्म

शुभांगी के दादा रमेश चंद्र गुप्त बोले बरेली कालेज, बरेली से बीएससी करने के बाद बेटे ज्ञानस्वरूप वर्ष 1986-87 में अहमदाबाद चले गए। वहां उनका चयन नौसेना में हुआ। वर्ष 1992 में तिलहर के मुहल्ला मौजमपुर निवासी कल्पना से उनका विवाह किया था। ज्ञानस्वरूप को विशाखापट्टनम में तैनाती मिली। सात मई 1994 को शुभांगी का जन्म भी वहीं हुआ। छुट्टियों में वह पूरा परिवार तिलहर आता रहा है। वर्ष 2017 में भी चार दिन के लिए शुभांगी अपने मां, पिता के साथ यहां आई थी। उसके बाद प्रशिक्षण में व्यस्तता के कारण नहीं आ सकीं। पिछले साल ज्ञानस्वरूप अपनी भतीजी सोनल की शादी में घर आए थे, तब शुभांगी नहीं आ सकी थीं।


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