चालकों का नशा उजाड़ रहा परिवार
27 अगस्त 2019 समय करीब 9 बजकर 55 मिनट यह वह समय और तिथि है जिसने पलक झपकते ही 17 लोगों की जान ले ली। यह हादसा गड्ढा या घने कोहरे से नहीं बल्कि चालक के शराब के नशे में होने से हुआ था। जी हां हम बात कर रहे हैं लखनऊ-दिल्ली नेशनल हाईवे स्थित जमुका दोराहे की।
जेएनएन, शाहजहांपुर : 27 अगस्त 2019 समय करीब 9 बजकर 55 मिनट यह वह समय और तिथि है, जिसने पलक झपकते ही 17 लोगों की जान ले ली। यह हादसा गड्ढा या घने कोहरे से नहीं बल्कि चालक के शराब के नशे में होने से हुआ था। जी हां हम बात कर रहे हैं लखनऊ-दिल्ली नेशनल हाईवे स्थित जमुका दोराहे की। सीतापुर की ओर से पान मसाला लेकर आ रहे ट्रक चालक की शराब के नशे की लत ने किसी का बेटा, किसी के पिता व किसी का सुहाग उजाड़ दिया। यह कोई पहला या आखिरी हादसा ऐसा नहीं था। जिसमे चालक के शराब पीने से किसी की जान गई हो। राष्ट्रीय राजमार्ग से लेकर, राज्यमार्ग व शहर की छोटी सड़कों पर अक्सर हादसे हो रहे है। जिसमे जांच में पता चलता है कि चालक नशे में था। जबकि प्रशासन व पुलिस जांच व जागरूकता के नाम पर महज खानापूर्ति ही करती हैं।
कार्यालय से बाहर नहीं निकलते ब्रेथ एनालाइजर
ट्रैफिक पुलिस व परिवहन विभाग के अधिकारियों को शराब पीकर वाहन चलाने वालों की जांच करने के लिए ब्रेथ एनालाइजर मशीन दी गई, लेकिन शाहजहांपुर जिले में इस मशीन का प्रयोग सिर्फ बड़े हादसे होने के बाद एक दो दिन ही नजर आता है। इसके बाद मशीन कार्यालय में शो-पीस बनकर रह जाती है।
अल्हागंज में सात जगह ज्यादा खतरा
राष्ट्रीय राजमार्ग के अलावा अल्हागंज थाना क्षेत्र में हादसे का खतरा सबसे ज्यादा रहता है। दरअसल अल्हागंज से जलालाबाद तक पूरा राजमार्ग टूट चुका है। इसके अलावा यहां कई तीव्र मोड़ भी है। जिस वजह से पुलिस ने ऐसे सात स्थान चिह्नित किए हैं, जहां हादसे रोकने के लिए संकेतक लगवाए जा सकें।
जरा सी चूक, मौत मारती है झपट्टा
सेहरामऊ दक्षिणी, कांट व कलान क्षेत्र में भी हादसा जोन की श्रेणी में आते है। इन तीन क्षेत्रों में पांच-पांच ऐसे स्थान है, जहां पुलिस कोहरे में हादसे रोकने के लिए प्रयासरत है। इसी तरह सिधौली, खुटार में चार-चार, जलालाबाद, कटरा, तिलहर, रामचंद्र मिशन, मिर्जापुर, निगोही, पुवायां, मदनापुर व रोजा में तीन-तीन व बंडा में एक स्थान सर्वाधिक हादसे के खतरे वाला है।
सांठ-गांठ से चल रहे ओवर लोड वाहन
जिले में क्षमता से अधिक सामान भरकर वाहन दौड़ाए जा रहे हैं, लेकिन अधिकारी इस ओर जानबूझकर अनजान बने रहते हैं। जो हादसों का प्रमुख कारण भी बनता है।
फिटनेस पर नहीं किसी का ध्यान
रोडवेज की बसों से लेकर टेंपो व अन्य वाहन भी अनफिट होने के बावजूद फर्राटा भरते रहते हैं। हादसे के बाद जांच कराई जाती है, तो सच्चाई सामने आ जाती है।
स्कूली वाहन भी नहीं कर रहे पालन
जिले में 49 स्कूली बसें है। जिनकी 15 दिन पहले उप संभागीय अधिकारी मनोज वर्मा ने जांच कराई तो अधिक वाहन नियमों को ताक पर रखकर चलते मिले।
वर्जन
राष्ट्रीय राजमार्ग से लेकर छोटे मार्गों पर नियमित वाहन चालकों की ब्रेथ एनालाइजर के जरिये जांच कराई जाएगी। इसके लिए ट्रैफिक की टीम को भी निर्देशित किया जा रहा है। शहर में सीओ सिटी इसकी मॉनीटरिग करेंगे।
एस आनंद, एसपी