गंगा एक्सप्रेस-वे के शिलान्यास की तैयारियां शुरू, अधिकारियों ने किया निरीक्षण
मेरठ से प्रयागराज तक बन रहे गंगा एक्सप्रेस-वे के निर्माण की तैयारियां तेज हो गई हैं। जिले में किसानों से भूमि के बैनामे की प्रक्रिया लगभग पूरी हो गई है। माना जा रहा है दिसंबर में यहां प्रधानमंत्री इसका शिलान्यास कर सकते हैं। हवाई पट्टी समेत कुछ अन्य सौगात मिलने की भी उम्मीद है
जेएनएन, शाहजहांपुर : मेरठ से प्रयागराज तक बन रहे गंगा एक्सप्रेस-वे के निर्माण की तैयारियां तेज हो गई हैं। जिले में किसानों से भूमि के बैनामे की प्रक्रिया लगभग पूरी हो गई है। माना जा रहा है दिसंबर में यहां प्रधानमंत्री इसका शिलान्यास कर सकते हैं। हवाई पट्टी समेत कुछ अन्य सौगात मिलने की भी उम्मीद है।
एसडीएम बरखा सिंह ने मंगलवार को सीओ मस्सा सिंह के साथ प्रस्तावित हवाई पट्टी स्थल का निरीक्षण किया। जिले की बात करें तो यहां सदर, जलालाबाद व तिलहर तहसील के पांच हजार से अधिक किसानों की भूमि का बैनामा कराया जाना है। यह एक्सप्रेस-वे इन तीनों तहसीलों के कुल 41 किमी. क्षेत्र से होकर गुजरेगा। आगरा व पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे की तर्ज पर यहां भी हवाई पट्टी विकसित की जाएगी। 95 फीसद से अधिक किसानों से जमीन का बैनामा कराया जा चुका है। कुछ शेष रह गए हैं। जिनकी प्रक्रिया चल रही है। छह गांवों का किया निरीक्षण
एसडीएम बरखा सिंह व सीओ मस्सा सिंह ने मंगलवार को एक्सप्रेस वे में आने वाले छह गांवों का निरीक्षण किया। उन्होंने प्रस्तावित हवाई पट्टी वाले स्थन को भी देखा। दोनों अधिकारी दियुरा, खूंटा, नगला, पीरू, बड़ोखर गांव पहुंचे। दियुरा में हवाई पट्टी प्रस्तावित बताई जा रही है। माना जा रहा है कि अगर प्रधानमंत्री मोदी आते हैं तो यहीं पर उनकी सभा व हवाई पट्टी का शिलान्यास कार्यक्रम हो सकता है। अधिकारियो ने काफी देर यहां व्यवस्थाओं व सुरक्षा आदि को लेकर चर्चा की। बैनामे बाद भी खेत में बोई फसल
इसके बाद दोनों अधिकारी गांव चौकी आजमपुर पहुंचे। यहां बैनामा करने के बाद भी किसान खेतों में गेहूं की बुवाई करते मिले। जिस पर अधिकारियों ने नाराजगी जतायी। ग्राम चौकी आजमपुर की दूरी जलालाबाद से नौ तथा दियुरा की दस किमी. है। दोनों ही संपर्क मार्ग हैं। इसलिए इनकी चौड़ाई काफी कम है। एसडीएम बरखा सिंह ने बताय कि वे लोग सामान्य निरीक्षण पर आए थे। डीएम को अपनी रिपोर्ट भेजेंगी। उसके बाद आगे क्या कदम उठाने हैं इस संबंध में उच्चाधिकारी ही निर्णय लेंगे। इस दौरान तहसीलदार चमन सिंह व राजस्व विभाग की टीम भी मौजूद रही। तहसीलवार स्थिति :
- तिलहर के 8 गांव में 1500 किसानों की 103 हेक्टेयर जमीन का बैनामा होना था, जिसमें 1469 ने कर दिया है।
- जलालाबाद के 27 गांव में 3500 किसानों की 368 हेक्टेयर का बैनाम होना है। कुछ किसान ही रह गए हैं।