इलाज के लिए करना पड़ता मरीजों को घंटों इंतजार
जिला अस्पताल का ट्रामा सेंटर हमेशा मरीजों से फुल रहता है।
जेएनएन, शाहजहांपुर: जिला अस्पताल का ट्रामा सेंटर हमेशा मरीजों से फुल रहता है। मरीजों के लेटने के लिए स्ट्रेचर भी नहीं बचते हैं। मजबूरी में तीमारदार मरीजों को स्लेब पर लिटाते हैं। मरीजों को बेड के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता है। बेड खाली होने पर मरीज को वार्ड में शिफ्ट किया जाता है।
जिला अस्पताल ट्रामा सेंटर में शहर के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों और दूसरे जिलों से भी मरीज आते हैं। मरीजों की संख्या बहुत अधिक होने पर ट्रामा सेंटर में जगह कम पड़ जाती है। एक समय में ट्रामा सेंटर में 20 से 25 मरीज, बेड मिलने का इंतजार करते हैं। मरीज के तीमारदार अस्पताल स्टाफ के बेड के लिए गिड़गिड़ाते हैं। लेकिन बेड खाली होने पर ही उन्हें बेड मिल पाता है। ऐसे मरीज स्ट्रेचर और स्लेब पर परेशान हो जाते हैं। इमरजेंसी की दशा में पहले से लेटे हुए मरीजों की आफत हो जाती है। उनको इधर-उधर किनारे किया जाता है। ट्रामा सेंटर में पैर रखने की जगह नहीं रह जाती है। मरीजों की संख्या को देखते हुए एक फार्मासिस्ट और एक डॉक्टर की ड्यूटी अतिरिक्त लगाई गई। पहले ट्रामा सेंटर में एक फार्मासिस्ट और एक डॉक्टर की ड्यूटी लगती थी।
बेड के लिए मचती है मारामारी
मरीज के तीमारदार वार्डों के चक्कर लगाते रहते हैं। जैसे ही कोई बेड खाली होता है वह ट्रामा सेंटर के स्टाफ के पास आते हैं और अपने मरीज को वहां शिफ्ट करने की बात करते हैं। ऐसी स्थिति में तीमारदारों के बीच झगड़े की स्थिति बन जाती है।
मरीजों की संख्या
90 से 100 मरीज रोजाना होते है भर्ती
30 से 40 मरीजों की होती है छुट्टी
तीमादारों से बातचीत
- शहर के मुहल्ला जलालानगर निवासी रिजवाना ने बताया कि उसके ससुर नवी उल्ला को सांस की बीमारी है। सुबह उनकी अचानक तबीयत खराब हो गई। छह घंटे से ट्रामा सेंटर में लेकर उनको बैठे है, लेकिन अभी तक बेड नहीं मिला है। थाना तिलहर क्षेत्र के गांव अहैयापुर निवासी सोनपाल ने बताया कि उनकी पत्नी सोनवती की तबीयत खराब है, स्ट्रेचर नहीं मिलने पर स्लेब पर लिटाया है। घंटों से बेड मिलने का इंतजार कर रहे हैं। वर्जन: मरीजों को बेड दिलाने के लिए स्टाफ लगा रहता है। अतिरिक्त बेड की भी व्यवस्था की गई। फिर भी मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है और अतिरिक्त बेड डलवाए जाएंगे।
डॉ. एमपी गंगवार, सीएमएस, जिला अस्पताल