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बीस रुपये की शीशी से पराली बनेगी खाद

प्रदूषण का कारण बनी पराली अब किसानों के लिए मुसीबत नहीं बनेगी। महज बीस रुपये की एक शीशी से एक एकड़ पराली खाद बन जाएगी।

By JagranEdited By: Published: Fri, 13 Dec 2019 12:14 AM (IST)Updated: Fri, 13 Dec 2019 06:05 AM (IST)
बीस रुपये की शीशी से पराली बनेगी खाद
बीस रुपये की शीशी से पराली बनेगी खाद

जेएनएन, शाहजहांपुर : प्रदूषण का कारण बनी पराली अब किसानों के लिए मुसीबत नहीं बनेगी। महज बीस रुपये की एक शीशी से एक एकड़ पराली खाद बन जाएगी। गन्ना शोध संस्थान ने वेस्ट डी कंपोजर नामक जैविक घोल तैयार किया है, जिसकी मदद से यह संभव होगा। डीएम इंद्र विक्रम सिंह ने गुरुवार को विकास भवन में पराली प्रबंधन को लेकर हुई बैठक में इसके बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि वेस्ट डी कम्पोजर अपशिष्ट प्रबंधन को काफी आसान बना देगा। इससे किसानों को पराली जलाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। उन्होंने पूसा में तैयार किए गए कैप्सूल व यंत्रों के बारे में भी बताया, जिसकी मदद से पराली को नष्ट करने की बजाय उससे उर्वरा क्षमता बढ़ाने का काम हो सकता है। इस दौरान एसपी डॉ. एस चिन्नप्पा, सीडीओ महेंद्र सिंह तंवर, नगर आयुक्त विद्या शंकर सिंह आदि अधिकारी मौजूद रहे।

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क्या है वेस्ट डी कम्पोजर

वेस्ट डी कम्पोजर फंगस से तैयार एक जैविक घोल है। जिसे कम मात्रा में गुड़ व पानी में मिलाकर खेत में डालने से पराली सड़ने लगती है। इस क्रिया में ज्यादा समय नहीं लगता है। गन्ना शोध संस्थान में यह शीशी बीस रुपये में उपलब्ध है। कृषि विभाग भी इसका प्रचार प्रसार कर रहा है।

यह है तरीका

दो सौ लीटर पानी में दो किलो गुड़ मिलाकर घोल बना लें, उसमें वेस्ट डी कम्पोजर की एक शीशी को खोलकर उसे चम्मच से मिला लें। पानी में मिलाकर दोबारा घोल दें। इस घोल को पांच से छह दिनों तक बोरे से ढक कर रखें। जिसके बाद इसका रंग सफेद हो जाएगा। एक हजार लीटर घोल को सिचाई के साथ प्रयोग करने पर एक एकड़ पराली व गन्ने की पत्ती व अन्य अपशिष्ट पूरी तरह से खाद में परिवर्तित हो जाते हैं।

इन तरीकों को भी अपनाएं

डीएम ने कहा कि पराली व अन्य कृषि अपशिष्ट जैसे गन्ने की सूखी पत्ती या फसलों के डंठल आदि बिल्कुल नहीं जलाएं। इसके प्रबंधन के लिए कृषि विभाग की तरफ से 80 प्रतिशत अनुदान पर यंत्र उपलब्ध कराए जाते हैं। धान की फसल कटवाने के लिए किसान कम्बाइन मशीन में रिपर का इस्तेमाल करें। जिससे फसल काफी नीचे तक कट जाती है। इसके बाद खेत को जोतने के बाद उसमें पानी भरकर यूरिया डाल दें। खेत में सड़ने के बाद पराली खाद का काम करेगी।

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चार सालों में पराली जलाने के मामले

वर्ष घटनाएं

2016 1163

2017 718

2018 398

2019 352 ------------ पराली जाने में इस वर्ष हुई कार्रवाई

2- लेखपाल निलंबित

17- लेखपालों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई

15- लेखपालों को प्रतिकूल प्रविष्टि

29 - लेखपालों को कारण बताओ नोटिस

2- कानूनगो प्रतिकूल प्रविष्टि

2- कानूनगो को प्रतिकूल प्रविष्टि

3- कानूनगो को कठोर चेतावनी

4- कृषि सहायक विकास अधिकारियों विशेष प्रतिकूल प्रविष्टि

186- मुकदमे

19- गिरफ्तारी

18.20- लाख का जुर्माना

1.87- लाख की वसूली


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