नवजात की बचाने को जान, सरकार देगी पूरा ध्यान
नवजात को असमय काल के गाल में समाने से बचाने के लिए सरकार हरसंभव कोशिश की है।
शाहजहांपुर : नवजात को असमय काल के गाल में समाने से बचाने के लिए सरकार हरसंभव कोशिश कर रही है। शिशु मृत्यु दर में कमी लाने व स्वास्थ्य सुविधाओं में वृद्धि करने के लिए तमाम जागरूकता कार्यक्रम कराये जा रहे है। इसी के तहत 14 से 21 नवंबर तक नवजात शिशु देखभाल सप्ताह का आयोजन किया जा रहा है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन उप्र के मिशन निदेशक पंकज कुमार ने सूबे के सभी मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को इस बावत पत्र भी जारी कर दिए है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के जिला कम्युनिटी प्रोसेस प्रबंधक पुष्प राज गौतम ने बताया कि बच्चे के शुरू के हजार दिन यानि गर्भ में आने से लेकर दो साल का होने तक बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। इस दौरान गर्भवती के खानपान पर पूरा ध्यान देना चाहिए। बच्चे को जन्म के पहले घंटे में मां का दूध अवश्य पिलायें क्योंकि वही बच्चे का पहला टीका होता है। उन्होंने कहा कि छह माह तक बच्चे को केवल मां का दूध ही पिलाना चाहिए। इसके बाद मां के दूध के साथ ही पूरक आहार भी देना शुरू करना चाहिए। ------------
इन बातों पर दें ध्यान
- प्रसव अस्पताल में ही कराएं और प्रसव के बाद 48 घंटे तक उचित देखभाल के लिए अस्पताल में रुकें।
- नवजात को तुरंत नहलाएं नहीं, शरीर पोंछकर नर्म साफ कपड़े पहनाएं।
- जन्म के एक घंटे के भीतर मां का गाढ़ा पीला दूध पिलाना शुरू करें और छह माह तक केवल स्तनपान ही कराएं।
- जन्म के तुरंत बाद नवजात का वजन लें और जरुरी इंजेक्शन लगवाएं।
- नियमित और सम्पूर्ण टीकाकरण कराएं।
- नवजात की नाभि सूखी और साफ रखें और संक्रमण से बचाएं।
- मां और शिशु की व्यक्तिगत स्वच्छता पर भी ध्यान दें।
- कम वजन और समय से पहले जन्मे शिशुओं पर खास ध्यान दें।
- नवजात को काजल न लगाएं और कान व नाक में तेल न डालें।