शाहजहांपुर में भी एक्यूआई की स्थिति 'गंभीर'
देश की राजधानी दिल्ली में ही नहीं बल्कि जिले में भी वायु की गुणवत्ता खतरनाक स्तर पर बनी हुई है। दीपावली के सात दिन बीत चुके हैं लेकिन अब भी वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआइ) की स्थिति गंभीर है। हालांकि इसका सबसे बड़ा कारण बदल रहा मौसम तथा दीपावली पर हुई आतिशबाजी का धुआं है
जेएनएन, शाहजहांपुर : देश की राजधानी दिल्ली में ही नहीं बल्कि जिले में भी वायु की गुणवत्ता खतरनाक स्तर पर बनी हुई है। दीपावली के सात दिन बीत चुके हैं, लेकिन अब भी वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआइ) की स्थिति गंभीर है। हालांकि इसका सबसे बड़ा कारण बदल रहा मौसम तथा दीपावली पर हुई आतिशबाजी का धुआं है। पराली जलाने के प्रकरण भी सामने आ रहे हैं, लेकिन इनकी संख्या काफी कम है। बारिश होने पर ही स्थिति में सुधार की संभावना जतायी जा रही है। अगर पिछले दस दिनों की बात करें तो दीपावली से लेकर उसके तीन दिन बाद तक शहर का एक्यूआइ बेहद गंभीर स्थिति में था। चार नवंबर को यह 412 था तो उसके अगले दिन 624 के स्तर पर पहुंच गया। 13 नवंबर की शाम इसमें काफी कमी दर्ज की गई, लेकिन अंतरराष्ट्रीय मानक के आधार पर यह खतरनाक की श्रेणी में ही है। पराली जलाने का नहीं ज्यादा असर
अक्टूबर माह में पराली जलाने के मामले तेजी से बढ़े थे। जिसका असर वायुमंडल पर पड़ने की संभावना देखते हुए शासन व प्रशासन ने पराली जलाने वालों पर जुर्माने के साथ ही संबंधित किसानों पर अन्य सख्ती शुरू की। इसलिए अक्टूबर में वायुमंडल साफ रहा, लेकिन नवंबर में सर्दी बढ़ने व दीपावली पर हुई आतिशबाजी के बाद छाई धुंध पूरी तरह से छंट नहीं सकी है। इस तरह छंटती है धुंध
पर्यावरण संरक्षण पर काम कर रहे एसएस कालेज के रसायन विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डा. आलोक सिंह ने बताया कि वायुमंडल में सामान्य दिनों में धूल के कण आठ से 10 किमी. से अधिक ऊंचाई पर रहते हैं। सर्दी के मौसम में आर्द्रता बढ़ने से धूल के कण भारी होने के कारण यह काफी नीचे आ जाते हैं। जिस कारण धुंध सी छा जाती है। इसे स्माग भी कहा जाता है। बारिश होने पर कण जमीन पर बैठ जाते हैं, जिससे मौसम साफ हो जाता है। डा. आलोक ने बताया कि गत वर्ष 18 व 19 को बारिश के कारण एक्यूआइ 27 से 28 तक पहुंच गया था। उन्होंने बताया कि अंतरराष्ट्रीय मानक पर 50 से 100 के बीच एक्यूआइ अच्छा माना जाता है। जबकि 100 से 150 पर औसत, 150 से 200 पर खराब, 250 से 300 पर खतरनाक व 300 से ऊपर होने पर अत्यंत खतरनाक माना जाता है। अब तक हुई कार्रवाई :
- 370 मामले जिले में पराली जलाने के आए हैं अब तक सामने
- 148 में मौके पर साक्ष्य नहीं मिले, खेतों में मिली फसल
- 222 शेष प्रकरणों में रिकवरी की होनी है कार्रवाई
- 42 किसानों से रिकवरी हो चुकी, शेष से प्रक्रिया जारी
- 4 मामले पराली जलाने के शुक्रवार को जिले में ट्रेस हुए
- 66 किसानों के लाइसेंस निरस्त करने की संस्तुति
- 3 लाख 14 हजार रुपये लगाया गया है कुल जुर्माना
- 95 हजार 500 रुपये की हो चुकी अब तक वसूली
- 3 कम्बाइन हार्वेटर को जब्त किया गया
- 4 अधिकारियों व 38 कर्मचारियों को कारण बताओ नोटिस
- 10 कर्मचारियों के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई की संस्तुति दस दिन का हाल :
- 4 नवंबर : 412
- 5 नवंबर : 624
- 6 नवंबर : 530
- 7 नवंबर : 437
- 8 नवंबर : 387
- 9 नवंबर : 364
- 10 नवंबर : 328
- 11 नवंबर : 275
- 12 नवंबर : 368
- 13 नवंबर : 296 वर्तमान समय में कोहरा नहीं प्रदूषण के कारण धुंध सी छाई हुई है। अगर एक्यूआइ की बात करें तो यह सुबह के समय ज्यादा रहता है। दिन चढ़ने व तापमान बढ़ने के साथ इसकी स्थिति में सुधार होता है, जिस कारण शाम के समय रीडिग कम आती है। बारिश होने पर धुंध पूरी तरह से छंट जाएगी। सर्दी कम होने की स्थिति में भी सुधार आएगा।
डा. आलोक सिंह, विभागाध्यक्ष रसायन विभाग
इस बार पराली जलाने की घटनाएं कम हुई हैं। जिन किसानों ने पराली जलाई। उनका अनुदान योजनाओं का लाभ रोका जा रहा है। लगातार जागरूकता व संवाद के जरिए किसानों को समझाया जा रहा है। कुछ प्रकरण ऐसे सामने आए जहां पराली जली ही नहीं थी या खेत किनारे किसी अन्य ने कूड़ा आदि जला दिया। ऐसे मामले की रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेज दी है। जिनके खेतों में पराली जली थी। उनके जुर्माना राजस्व कर्मी वसूल रहे हैं।
डा. धीरेंद्र सिंह, उप निदेशक कृषि