जीएसटी से खाद्यान्न आधारित उद्योग में तरक्की की आस
गुड्स एंड सर्विस टैक्स जीएसटी की दस्तक से ही जनपद के उद्योग की उम्मीदें बढ़ गई है। खासकर खाद्यान्न आधारित उद्योग में तरक्की की आस जाग उठी है।
शाहजहांपुर (जेएनएन)। गुड्स एंड सर्विस टैक्स जीएसटी की दस्तक से ही जनपद के उद्योग की उम्मीदें बढ़ गई है। खासकर खाद्यान्न आधारित उद्योग में तरक्की की आस जाग उठी है। दशकों से बंद फैक्ट्रियों को नए सिरे से चालू करने के लिए भी उद्यमी हिम्मत जुटाने लगे हैं। चालू औद्योगिक इकाइयों के माल की बिक्री पर खासा जोर दिया जा रहा है। इससे वाणिज्य कर में भी इजाफा दर्ज हो रहा है। जनपद में खाद्यान्न आधारित 200 औद्योगिक इकाइयों के साथ कुल 230 औद्योगिक इकाइयां है। इन से वाणिज्य कर विभाग को करीब 140 करोड़ का सालाना राजस्व मिलता है।
यह भी पढ़ें: रायबरेली में दो बच्चों ने किया बच्ची से सामूहिक दुराचार
जीएसटी लागू होने के बाद करीब 55 करोड़ का राजस्व देने वाली खाद्यान्न आधारित 200 औद्योगिक इकाइयों को टैक्स से निजात मिल जाएगी। केंद्र सरकार ने जीएसटी में खाद्यान्न आधारित उद्योगों को कर मुक्त श्रेणी में शामिल कर लिया है। इसका असर अभी से शुरू हो गया है। राइस, फ्लोर व चूड़ा उद्योग से जुड़े उद्यमियों ने टैक्स से बचने के लिए वैट के तहत दर्शाए गए उत्पादन को खपाने के लिए जोर आजमाइश शुरू कर दी है। इससे बाजार में खाद्यान्न आधारित वस्तुओं का टर्न ओवर तेजी से बढ़ा है।
यह भी पढ़ें: उत्तर प्रदेश में सोनभद्र जिले तक होने लगी मानसून की दस्तक
खाद कारखाना में भी हलचल
कृभको फर्टिलाइजर में यूरिया खाद का उत्पादन होता है। देश भर में यहां की यूरिया भेजी जाती है। यूरिया के उत्पादन के लिए प्रबंधन प्राकृतिक गैस को क्रय करता है। गैस की खरीद पर प्रवेश कर के रूप में कृभको द्वारा सरकार को सालाना करीब 60 करोड़ का राजस्व अदा किया जाता है। जीएसटी में प्राकृतिक गैस फिलहाल अभी कर से बाहर है। इससे खाद कारखाना में भी एक जुलाई से पूर्व स्टाक खत्म करने के लिए जोर आजमाइश चल रही है। हालांकि खाद की आपूर्ति बिक्री का मामला रसायन उवं उर्वरक मंत्रालय से भी जुड़ा होने के कारण कुछ नियम भी लागू है, लेकिन जीएसटी का असर साफ दिखाई पड़ रहा है।
आयुध वस्त्र निर्माणी पर पड़ेगा प्रभावी असर
सेना और पैरा मिलिट्री के लिए समेत मित्र देशों के सैनिको के लिए कपड़े बनाने वाली जनपद की आयुध वस्त्र निर्माणी पर भी जीएसटी का असर पड़ेगा। टेक्सटाइल उद्योग पर पांच फीसदी जीएसटी लगाए जाने से ओसीएफ से 70 से 80 करोड़ के टैक्स की उम्मीद जताई जा रही है। जीएसटी की दस्तक से इसका असर भी दिखाई देने लगा है। संबंधित अधिवक्ता जानकारी जुटाने के साथ ही एक जुलाई से जीएसटी की तैयारियों में भी जुट गए हैं।
50 बंद उद्योगों को जीएसटी से नई जान
कर के बोझ से दबकर घाटे से जूझने के बाद जनपद की 50 खाद्यान्न आधारित औद्योगिक इकाइयां बंद हो गई। जीएसटी में कर मुक्त होने से उनमें नई जान की आस जाग उठी है। उद्यमियों में ने इसके लिए प्रयास भी शुरू कर दिए हैं।
बंद होने वाले प्रमुख उद्योग
- राइस मिल
- फ्लोर मिल
- दाल मिल
- तेल मिल
- चूड़ा मिल
फैक्ट प्रोफाइल
- 10,000 हैं कुल पंजीकृत व्यापारी
- 1200 खाद्यान्न के कारोबारी
- 200 खाद्यान्न आधारित औद्यागिक इकाइयां
- 50 खाद्यान्न आधारितउद्योग बंद हो चुके दो दशक में
- 140 करोड़ सालाना राजस्व मिलता है कुल 230 औद्योगिक इकाइयों से
- जीएसटी की दस्तक से मई व जून माह में बढ़ गया 400 लाख राजस्व का राजस्व
जीएसटी से बढ़ेंगे जनपद के उद्योग : अमित मोहन
डिप्टी कमिश्नर वाणिज्य कर अमित मोहन ने कहा कि जनपद में 80 फीसद उद्योग खाद्यान्न आधारित है। इनसे विभाग को सालाना करीब 55 करोड़ का राजस्व मिलता है। जीएसटी में खाद्यान्न पर टैक्स खत्म कर दिया गया। इससे खाद्यान्न उद्योग को बढ़ावा मिलेगा। लेकिन टैक्स की भरपाई अन्य मदों पर लगाए गए जीएसटी से हो जाएगी।
वाणिज्य कर में जीएसटी की तैयारियों एक नजर
- वाणिज्य कर विभाग के सचल दल कार्यालय रोज एक ट्रेड को लेकर व्यापारियों से संवाद शुरू है।
- खिरनी बाग दफ्तर में जीएसटी हेल्प डेस्क स्थापित की गई है।
- असिस्टेंट कमिश्नर विशाल सिंह को जीएसटी का नोडल अधिकारी नामित किया गया।
- मोबाइल नंबर 7235002152 पर हेल्पलाइन सेवा शुरू की गई है।
तीन महीनों के लिए एनरोलमेंट व डाटा माइग्रेशन
सरकार ने व्यापारियों के एनरोलमेंट व डाटा माइग्रेशन के लिए 25 जून से बेवसाइट पर आन लाइन सेवा शुरू कर दी है। तीन महीनों तक व्यापारी बेवसाइट पर फीङ्क्षडग करा सकेंगे। डिप्टी कमिश्नर अमित मोहन ने बताया कि एक जून से 15 जून तक विशेष अभियान के बाद बेवसाइट को बंद कर दिया गया था। अब 25 जून से तीन महीनों के लिए एनरोलमेट व डाटा माइग्रेशन के लिए आन लाइन सेवा शुरू की जा रही है।