पर्यावरण पैकेज : कटरी में जैविक खेती के दूत बने रामऔतार
जेएनएन, शाहजहांपुर : गंगा, रामगंगा की कटरी में जैविक खेती की बयार चल पड़ी है। गंगा से तीन किमी की दूरी के करीब 23 गांवों की 300 हेक्टेयर जमीन में सौ फीसद जैविक खेती की जा रही है। इसके लिए लीड रिसोर्स परसन भी नामित किए गए है। इनमें रामऔतार अग्रणी है। जो जैविक खेती को अपनाने के साथ ही लोगों को भी प्रेरित कर रहे है।
काला गेहूं, बासमती का जोन बना क्षेत्र
प्रशासन ने नमामि गंगे ग्राम के तहत मोहनपुर कलुआपुर, जहानाबाद खमरिया, एत्मानदपुर पिड़रिया, हेतमपुर ग्राम पंचायत के गांवों को नमामि गंगे चयनित किया। इन गांवो की 300 हेक्टेयर जमीन में खरीफ सीजन में शकरकंद, मूंगफली, तिल, मूंग, उर्द बासमती, सामान्य धान, बाजारा, मक्का, बूट, हल्दी की खेती की जाती है। जबकि रबी में काला गेहूं मसूर, चना, सामान्य गेहूं के साथ सरसों व आल की खेती प्रमुखता से की जाती है ।
इस तरह बदला खेती का तरीका
नमामि गंगे के लीड रिसोर्स परसन रामऔतार वर्मा बताते है कि फसल बुवाई से हरी खाद के लिए ढैंचा बो दिया जाता है। ढैंचा पलटने के बाद फसल पर जीवामृत, घन जीवामृत का प्रयोग किया जाता है। इसके अलावा ट्राइकोडर्मा, बाइवेरिया बैरियाना, एजेटोवेक्टर, डीकंपोजर आदि का प्रयोग को प्रेरित किया जाता है। इससे उपज की गुणवत्ता बढ़ने के साथ ही मृदा के पोषक तत्व भी बढ़ रहे है।
एफपीओ मुहैया करा विपणन को प्लेटफार्म
नमामि गंगे के गांव तैयार उपज का उचित मूल्य दिलाने का जिम्मा गंगा भूमि कृषक उत्पादक संगठन को दिया गया है। इस संगठन के प्रबंध निदेशक राकेश पांडेय के सहयोग के साथ ही पैकेजिंग, ब्रांडिंग के साथ बाजार मुहैया करा रहे है। कृषि विविधीकरण परियोजना के जिला समन्वयक अखिलेश त्रिपाठी की ओर से भी प्रोत्साहित किया जाता है।