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नेत्रहीन रूबी के जीवन की रोशनी बने दिव्यांग अमित

नेत्रहीन रूबी के जीवन की रोशनी बने दिव्यांग अमित

By JagranEdited By: Published: Wed, 15 Jun 2022 11:21 PM (IST)Updated: Wed, 15 Jun 2022 11:21 PM (IST)
नेत्रहीन रूबी के जीवन की रोशनी बने दिव्यांग अमित
नेत्रहीन रूबी के जीवन की रोशनी बने दिव्यांग अमित

नेत्रहीन रूबी के जीवन की रोशनी बने दिव्यांग अमित

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- खुदागंज के दिउरिया गांव निवासी अमित ने बिलसंडा के रामपुर बसंत निवासी नेत्रहीन रूबी सिंह से की शादी संवाद सूत्र, खुदागंज शाहजहांपुर : कहते हैं जोड़ियां ऊपर से तय होती हैं। यहां उन्हें मिलाने के वाले सिर्फ माध्यम होते हैं। मंगलवार को नगर के महादेवन मंदिर में हुई शादी कुछ खास थी। दाद देनी होगी अमित की सोच की जो स्वयं दिव्यांग होते हुए नेत्रहीन रूबी के लिए उनके जीवन की रोशनी बने। वर-वधू को आशीर्वाद देने के लिए नाते-रिश्तेदारों के साथ ही बड़ी संख्या में अन्य लोग भी मौजूद थे। क्षेत्र के दिउरिया गांव निवासी अमित कुमार सिंह के बचपन से दोनों पैर खराब हैं। उनके पिता नेपाल सिंह का बीते दिसंबर में निधन हो चुका है। मां रामबेटी के साथ अकेले रहते हैं। पिछले कुछ दिनों से मां परेशान थीं कि उनके बाद बेटे का ध्यान कौन रखेगा। रिश्तेदारों ने कई जगह शादी की बात चलाई तो अमित ने मना कर दिया। बोले, किसी पर बोझ नहीं बनेंगे। पिछले दिनों एक रिश्तेदार ने बताया कि पीलीभीत के बिलसंडा क्षेत्र के रामपुर बसंत में शादी हो सकती है, लेकिन कन्या नेत्रहीन है। रामबेटी का बहुत ज्यादा मन नहीं था, लेकिन अमित ने कहा कि वह शादी करने को तैयार हैं। बोले वह तो अपना जीवन किसी तरह काट ले रहे हैं, लेकिन उस नेत्रहीन युवती के माता-पिता के बाद उसकी जिम्मेदारी कौन उठाएगा। इसके बाद दोनों पक्षों में बात हुई। मंगलवार को शादी की तिथि निर्धारित हुई। वर-वधू पक्ष के लोग नगर के महादेवन मंदिर पहुंचे। जहां ईश्वर को साक्षी मानकर अमित ने रूबी के गले में मंगलसूत्र पहनाया, मांग भरी। दोनों ने एक दूसरे को जयमाल पहनाई। उसके बाद बुधवार को बरात विदा हुई। --------------- नहीं होने देंगे कोई कमी अमित ने घर के बाहर बैठक में परचूनी की दुकान खोल रखी है। उनके पिता के नाम तीन बीघा खेत था। बोले, इतने से घर का खर्च चल जाता है। खेती बंटाई पर दे रखी है। अब तक सिर्फ मां की जिम्मेदारी थी, लेकिन अब मां के साथ-साथ पत्नी का पूरा ध्यान रखेंगे। कोई कमी नहीं होने देंगे। --------------- खुशी-खुशी काट लेंगे जीवन रूबी अपना सारा काम स्वयं करती हैं। अमित ने बताया कि वह मायके में साफ सफाई तथा खाना बनाने में मदद भी करती थीं। यहां कुछ दिन रहेंगीं तो मां की मदद करने लगेंगी। उन पर काम का ज्यादा बोझ नहीं डालेंगे। जितना संभव होगा उतना ही सहयोग लेंगे। बोले, दोनों लोग खुशी-खुशी जीवन काट लेंगे। मां को भी अकेलापन महसूस नहीं होगा। -------------- नहीं हो सकी सामूहिक विवाह की जानकारी बुधवार को सामूहिक विवाह था। अमित से पूछा कि उसमें शादी क्यों नहीं की। सरकार भी अपनी ओर से मदद देती है। तो उनका जवाब था कि जानकारी नहीं हो सकी। योजनाओें का लाभ तो पहले से ही नहीं मिल रहा। अगर मदद करनी ही है तो अधिकारी अब कर दें। वह अपने स्तर से पत्नी व मां की जिम्मेदारी उठाने में सक्षम हैं।


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