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एटा के बाद शाहजहांपुर में भी कांग्रेस की कांग्रेस नेता लुईस खुर्शीद की अग्रिम जमानत खारिज

प्रदेश में करीब दो वर्ष पहले के दिव्यांग उपकरण घोटाले में पूर्व विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद की पत्नी लुईस खुर्शीद आरोपी है।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Fri, 11 Oct 2019 06:26 PM (IST)Updated: Sat, 12 Oct 2019 08:13 AM (IST)
एटा के बाद शाहजहांपुर में भी कांग्रेस की कांग्रेस नेता लुईस खुर्शीद की अग्रिम जमानत खारिज
एटा के बाद शाहजहांपुर में भी कांग्रेस की कांग्रेस नेता लुईस खुर्शीद की अग्रिम जमानत खारिज

शाहजहांपुर, जेएनएन। दिव्यांग उपकरण वितरण में बड़ा घोटाला करने की आरोपी पूर्व विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद की पत्नी लुईस खुर्शीद सांसद लुईस खुर्शीद की मुश्किल कम होने वाली नहीं हैं। प्रदेश में करीब 76 लाख रुपया के दिव्यांग उपकरण के वितरण में घोटाला के मामले में लुईस खुर्शीद अग्रिम जमानत लेने के प्रयास में हैं। एटा के बाद अब शुक्रवार को शाहजहांपुर में भी उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज हो गई है।

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प्रदेश में करीब दो वर्ष पहले के दिव्यांग उपकरण घोटाले में पूर्व विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद की पत्नी लुईस खुर्शीद आरोपी है। प्रदेश में इस बड़े घोटाले की जांच सीबीसीआइडी कर रही है। फर्रुखाबाद से कांग्रेस नेता लुईस खुर्शीद घोटाला में आरोपी हैं। शाहजहांपुर में उनके वकील ने अग्रिम जमानत की अर्जी दाखिल की थी। उनकी अर्जी पर शुक्रवार को बहस हुई। इसके बाद कोर्ट ने उनकी अग्रिम जमानत की याचिका को खारिज कर दिया। दिव्यांग उपकरण वितरण घोटाले में फंसीं पूर्व विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद की पत्नी लुईस खुर्शीद समेत दो लोगों की अग्रिम जमानत पर शुक्रवार को बहस हुई। जिला जज रामबाबू शर्मा ने दोनों की अर्जी को खारिज कर दिया। अब इस मामले में हाईकोर्ट से ही राहत मिल सकती है। 

केंद्र सरकार के 19 मई 2011 के पत्र के जरिये उत्तर प्रदेश सरकार को डॉक्टर जाकिर हुसैन मेमोरियल ट्रस्ट, फर्रुखाबाद को अनुदान में दी गई धनराशि साढ़े 71 लाख रुपये के बारे में जांच करने को कहा गया था। प्रदेश सरकार की ओर से मामले की जांच सीबीसीआइडी को सौंप दी गई थी। जांच में 17 जिलों में घोटाले पाए गए और रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। शाहजहांपुर में चार लाख रुपये की गड़बड़ी पाई गई थी, जिसके आधार पर ट्रस्ट के कर्मचारी फर्रुखाबाद निवासी प्रत्युष शुक्ला के खिलाफ नामजद व अन्य सहयोगियों के खिलाफ सदर बाजार थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। जांच के दौरान प्रत्युष शुक्ला की मौत हो गई। सीबीसीआइडी ने इस मामले में ट्रस्ट की संचालक पूर्व विधायक लुईस खुर्शीद व ट्रस्ट के सचिव अतहर फार्रुखी के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। इस मामले में पिछले दिनों सीबीसीआइडी ने शिकंजा कसा तो गिरफ्तारी से बचने के लिए लुईस व अतहर हाईकोर्ट की शरण में गए, लेकिन वहां से उन्हें पहले संबंधित क्षेत्र की अदालत में जाने के लिए कहा गया। जिसके बाद दोनों के अधिवक्ता एजाज हसन खां व जसविंदर सिंह बजाज की ओर से अग्रिम जमानत के लिए याचिका दायर की गई। शुक्रवार को इस पर दोनों पक्षों की बहस हुई। जिला जज रामबाबू शर्मा ने जिला शासकीय अधिवक्ता अनुज कुमार सिंह  के तर्कों से सहमति जताते हुए अपराध को गंभीर प्रकृति मानते हुए अग्रिम जमानत देने से इन्कार कर दिया और याचिका खारिज कर दी। 

फर्रुखाबाद के कायमगंज की पूर्व विधायक तथा फर्रुखाबाद से सांसद रहीं लुईस खुर्शीद दो वर्ष पहले हुए दिव्यांग उपकरण घोटाले में आरोपित हैं। इस दौरान प्रदेश में करीब 75.50 लाख का घोटाला हुआ था। इसमें से शाहजहांपुर में चार लाख की गड़बड़ी थी। इस घोटाला में सीबीसीआईडी ने सदर थाने में मुकदमा दर्ज कराया था। सीबीसीआईडी के शिकंजा कसने पर लुईस खुर्शीद ने जिला जज की कोर्ट में अग्रिम जमानत की अर्जी लगाई थी।

इससे पहले पूर्व विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद की पत्नी लुईस को एटा में हुए घोटाला के मामले में राहत नहीं मिली थी। उनकी अग्रिम जमानत की याचिका खारिज कर दी गई थी। कासगंज की जिला एवं सत्र न्यायाधीश ज्योत्सना शर्मा ने उनकी अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया था। जाकिर हुसैन मेमोरियल ट्रस्ट फर्रुखाबाद को भारत सरकार के सामजिक न्याय एवं आधिकारिता मंत्रालय से 3 मार्च 2010 को 71.50 लाख रुपये की अनुदान राशि प्रेषित की गई थी।

इस धनराशि में से पांच लाख रुपये कासगंज जिले के लिए निर्धारित थे। इस धनराशि का उपयोग करके तीन माह के भीतर उपभोग प्रमाणपत्र एवं वितरित दिव्यांग उपकरण का 10 प्रतिशत से सत्यापन कराकर उनके प्रति हस्ताक्षर सहित भारत सरकार को भेजना था। तीन जून 2010 को 25 लाभार्थियों की सूची भेज दी गई थी। इस पर बीडीओ पटियाली के सत्यापनकर्ता के रूप में मुख्य चिकित्साधिकारी ने प्रति हस्ताक्षर किए। उपकरण वितरण के लिए 3 मई 2010 को पटियाली में कैंप दर्शाया गया। मामले की जांच में हस्ताक्षर फर्जी पाए गए जबकि कैंप लगाए जाने के कोई साक्ष्य नहीं मिले। 


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