डेढ़ साल बाद चिन्मयानंद को मिली राहत
अगस्त 2019 में दुष्कर्म के मामले में चिन्मयानंद की गिरफ्तारी के बाद यह प्रकरण सुर्खियों में रहा था। सुप्रीम कोर्ट से लेकर हाईकोर्ट तक इसकी सुनवाई चली। चिन्मयानंद की ओर से भी छात्रा व उसके साथियों पर रंगदारी का मुकदमा दर्ज कराया गया था। इस मुकदमे में भी छात्रा व अन्य आरोपितों की पेशी हुई।
जेएनएन, शाहजहांपुर : अगस्त 2019 में दुष्कर्म के मामले में चिन्मयानंद की गिरफ्तारी के बाद यह प्रकरण सुर्खियों में रहा था। सुप्रीम कोर्ट से लेकर हाईकोर्ट तक इसकी सुनवाई चली। चिन्मयानंद की ओर से भी छात्रा व उसके साथियों पर रंगदारी का मुकदमा दर्ज कराया गया था। इस मुकदमे में भी छात्रा व अन्य आरोपितों की पेशी हुई। शुक्रवार को लखनऊ में एमपी-एमएलए कोर्ट में दुष्कर्म व रंगदारी मामले के आरोपित दोषमुक्त कर दिए गए। इसके साथ ही करीब डेढ़ साल बाद चिन्मयानंद ने राहत की सांस ली है। रंगदारी मामले में दूसरे पक्ष को भी राहत मिली। इस बाबत छात्रा से बात करने का प्रयास किया गया, मगर संपर्क नहीं हो सका।
हुए थे धरना प्रदर्शन
इस प्रकरण में राजनीतिक दलों ने भी काफी धरना प्रदर्शन किए। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय प्रताप लल्लू, माकपा नेता वृंदा करात के अलावा सुभाषिनी अली सहित कई नेता छात्रा के स्वजनों से मिले थे।
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मैं पहले दिन से कह रहा था कि छात्रा ने किसी के दबाव में आरोप लगाए हैं। उसने कोर्ट में स्वतंत्र रूप से अपने बयान दिए। माना कि स्वामी चिन्मयानंद के कुछ विरोधियों के धमकाने पर उनके दबाव व बहकावे में बयान दे रही थी। उसके साथ कुछ गलत नहीं हुआ। कोर्ट पर हमें पूरा भरोसा था। सत्य की जीत हुई है।
ओम सिंह, अधिवक्ता स्वामी चिन्मयानंद
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जब तक सुप्रीम कोर्ट का आदेश नहीं आता तब तक छात्रा की सुरक्षा यथावत रहेगी। उसके स्वजन को भी जो सुरक्षा मिली है वह फिलहाल बनी रहेगी। - एस आनंद, एसपी ऐसी बढ़ती गई सुनवाई
जासं, लखनऊ: चार नवंबर, 2019 को चिन्मयानंद के खिलाफ आइपीसी की धारा 376 (सी), 354 (डी), 342 व 506 में आरोप पत्र दाखिल किया गया था। 21 दिसबर, 2020 को शाहजहापुर की सीजेएम अदालत ने कमिट करते हुए इस मुकदमे की पत्रावली विचारण के लिए सत्र अदालत को भेज दिया था। लेकिन तीन फरवरी, 2020 को हाईकोर्ट की इलाहाबाद खंडपीठ के एक आदेश से इस मामले की सुनवाई शाहजहापुर की अदालत से लखनऊ में एमपीएमएलए की विशेष अदालत को स्थानातरित की गई। हाईकोर्ट से इसी रोज मुल्जिम चिन्मयानंद की जमानत अर्जी भी मंजूर हुई थी। छह फरवरी, 2020 को इस आदेश के अनुपालन में शाहजहापुर के जिला जज ने इस मुकदमे की पत्रावली लखनऊ के जिला जज को भेज दी थी। इसके बाद एमपीएमएलए की विशेष अदालत में इस मामले की सुनवाई होने लगी।
छात्रा व अन्य मुल्जिमों का मामला
25 अगस्त, 2019 को रंगदारी मामले की एफआइआर एडवोकेट ओम सिंह ने थाना कोतवाली, जिला शाहजहापुर में दर्ज कराई थी। जिसके मुताबिक किसी अज्ञात व्यक्ति ने मोबाइल काल कर पाच करोड़ की माग की। यह धमकी देते हुए कि यदि रुपयों का इंतजाम नहीं किया, तो समाज में बदनाम कर दूंगा। यह भी धमकी दिया गया कि मेरे पास एक वीडियो है, जिसे वायरल कर दूंगा। मुझे आशका है कि एक साजिश के तहत कुछ लोगों द्वारा धन उगाही व चरित्र हनन का प्रयास किया जा रहा है। साथ ही डर का माहौल पैदा कर शिक्षण संस्थान को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है।
दूसरे पक्ष पर आरोप पत्र दाखिल
चार नवंबर, 2019 को इस मामले में छात्रा व अन्य मुल्जिमों के खिलाफ आइपीसी की धारा 385, 506, 507, 201 व 34 तथा आइटी एक्ट की धारा 67 ए के तहत आरोप पत्र दाखिल किया गया था। 24 पन्नों के इस आरोप पत्र में कुल 28 गवाह व 26 दस्तावेजी साक्ष्यों की सूची दाखिल की गई थी। छह नवंबर, 2019 को अदालत ने इस आरोप पत्र पर संज्ञान लिया था।
मुकदमे में यह दर्ज किया गया
27 अगस्त 2019 को इस मुकदमे की रिपोर्ट छात्रा के पिता ने दर्ज कराई थी। जिसमें कहा गया कि उनकी बेटी एलएलएम की पढ़ाई कर रही। वो कालेज के हास्टल में रहती थी। 23 अगस्त से उसका मोबाइल बंद है। उसका फेसबुक पर वीडियो देखा, जिसमें चिन्मयानंद व कुछ अन्य लोगों द्वारा उसका व अन्य लड़कियों का शारीरिक शोषण व दुष्कर्म तथा जान से मारने की धमकी दी गई थी। मुझे पूरा विश्वास है कि मेरी पुत्री के साथ कोई अप्रिय घटना करके कहीं गायब कर दिया गया है। जब चिन्मयानंद से मोबाइल फोन पर संपर्क किया तो ठीक से बात नहीं की और फोन बंद कर लिया। उनकी पुत्री के कमरे में ताला बंद है। वीडियो के मुताबिक उसमें साक्ष्य व सबूत होने की बात कही गई है। मुल्जिमान राजनीतिक व सत्ता पक्ष से जुड़े हैं। साक्ष्य से छेड़छाड़ कर सकते हैं। लिहाजा उसका कमरा मीडिया के सामने सील किया जाए।