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पलक झपकते ही थम गईं सांसें, कार को काटकर निकाले शव

कार चालक की पलक झपकते न सिर्फ उसमें सवार लोगों की सांसे थम गई बल्कि लखनऊ-दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग की रफ्तार भी थम गई। वरुण-अर्जुन मेडिकल कॉलेज के पास से गुजर रहा हर व्यक्ति कार में फंसे घायलों को बाहर निकालने के लिए दौड़ पड़ा। तिलहर पुलिस के पहुंचने से पहले ज्यादातर घायलों को लोगों ने बाहर निकाल लिया। जबकि हीरा लाल व विजय का शव कार का अगला हिस्सा काटकर बाहर निकाले गए। उनके क्षत-विक्षत शव देख वहां मौजूद हर किसी की आंख नम हो गई। वहीं हादसे की जानकारी होने पर मृतक के स्वजन पहले राजकीय मेडिकल कॉलेज बाद में पोस्टमार्टम हाउस पहुंचे।

By JagranEdited By: Published: Tue, 04 May 2021 02:02 AM (IST)Updated: Tue, 04 May 2021 02:02 AM (IST)
पलक झपकते ही थम गईं सांसें, कार को काटकर निकाले शव

जेएनएन, शाहजहांपुर : कार चालक की पलक झपकते न सिर्फ उसमें सवार लोगों की सांसे थम गई बल्कि लखनऊ-दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग की रफ्तार भी थम गई। वरुण-अर्जुन मेडिकल कॉलेज के पास से गुजर रहा हर व्यक्ति कार में फंसे घायलों को बाहर निकालने के लिए दौड़ पड़ा। तिलहर पुलिस के पहुंचने से पहले ज्यादातर घायलों को लोगों ने बाहर निकाल लिया। जबकि हीरा लाल व विजय का शव कार का अगला हिस्सा काटकर बाहर निकाले गए। उनके क्षत-विक्षत शव देख वहां मौजूद हर किसी की आंख नम हो गई। वहीं हादसे की जानकारी होने पर मृतक के स्वजन पहले राजकीय मेडिकल कॉलेज बाद में पोस्टमार्टम हाउस पहुंचे। दोस्ती की खातिर छोड़ दिया था घर

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रामनरेश व हीरा लाल कहने को तो चाचा-भतीजे थे। लेकिन हम उम्र होने की वजह से दोनों दोस्त की तरह एक-दूसरे के सुख-दुख में शामिल होते थे। करीब डेढ़ दशक पहले गांव में विवाद होने की वजह से दोनों लोग निगोही रहने चले आए थे। यहां रेलवे फाटक के पास दोनों ने एक साथ पहले पीसीओ बाद में किराना व कबाड़ की दुकान खोल ली। अनाथ हो गए बच्चे

रामनरेश व जनुका देवी की मौत से उनके पांच बच्चे नीतू, सुमन, अमन, प्रिस व बेटी दीपाली के सिर से माता-पिता दोनों का साया उठ गया। ऐसे में रामनरेश के बड़े बेटे कौशल की मौत से उनके पालन-पोषण का भी संकट खड़ा हो गया है। वहीं, हीरा लाल की मौत से पांच बच्चे बेटा अनुराग, निखिल, विशलिख व दो बेटियां के सिर से पिता का साया उठ गया। हादसे की जानकारी होने पर घर में चीख-पुकार मच गई। पति की मौत से पांचों बच्चों की जिम्मेदारी अब सीमा देवी पर आ गई है। बेटे की तलाश में पोस्टमार्टम हाउस पहुंच गया बुजुर्ग

रामनरेश के परिवार का एक युवक सुबह से स्वजन को बिना कुछ बताए घर से निकला था। हादसे की जानकारी जब उसके स्वजन को लगी तो वह बेटे की तलाश करते हुए पोस्टमार्टम हाउस तक पहुंच गए। कुछ देर बाद उसके मोबाइल के जरिए संपर्क हो सका।

एक भतीजे ने अचानक बदला निर्णय

रामनरेश के भतीजे सर्वेश राठौर भी पहले बरेली जाने की तैयारी कर रहे थे। लेकिन बाद में किसी वजह से उन्होंने बरेली जाने का निर्णय बदल लिया। हादसे का मंजर देख सर्वेश अपने आंसू नहीं रोक पा रहे थे।


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