तीन महीने से रुका फोरलेन निर्माण, आज गडकरी के सामने होगा पेश
शाहजहांपुर : बरेली-सीतापुर फोरलेन की निर्माणदायी संस्था का बैंक खाता एनपीए होने पर रकम नहीं मिलने के
शाहजहांपुर : बरेली-सीतापुर फोरलेन की निर्माणदायी संस्था का बैंक खाता एनपीए होने पर रकम नहीं मिलने के कारण पिछले तीन महीने से बंद है। एनएचएआइ के अफसरों ने बैंक से रकम रिलीज करवाने को कंपनी की पैरवी भी की है, लेकिन बैंक अपनी जिद पर अड़ा है। अब बुधवार को मामला केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के सामने रखा जाना है। बैठक में एनएचएआइ के अधिकारी परिवहन मंत्री से फोरलेन की बाधाएं दूर कराने की मांग करेंगे। फिलहाल अधिकारी जल्द बैंक से रकम मिलने की उम्मीद जता रहे हैं। रकम मिलने के बाद भी काम पूरा होने में करीब दो महीने लग जाएंगे। इस बीच लोगों की परेशानियां दूर होती दिखाई नहीं दे रही है।
1450 करोड़ दे चुके बैंक
फोरलेन निर्माण के लिए कार्यदायी संस्था इरा कंपनी का चार बैंकों से लोन चल रहा है। इसमें लीड बैंक एसबीआइ है, लेकिन विजया बैंक ने सबसे अधिक लोन कंपनी को दिया है। सभी बैंक कुल मिलाकर अब तक करीब 1450 करोड़ रुपये कंपनी को दे चुके हैं। इधर, कंपनी के लोन नहीं चुका पाने के कारण उसका खाता एनपीए कर दिया गया। बीते दिनों नीरव मोदी द्वारा पीएनबी घोटाले के कारण विजया बैंक ने भी इरा कंपनी को रुपये देने से इन्कार कर दिया। करीब 22 करोड़ रुपये नहीं मिलने के कारण काम रुक गया।
तीन महीने से रुका फोरलेन का काम
नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआइ) करीब आठ साल से बरेली-सीतापुर फोरलेन का काम करवा रही है। पीपीपी मॉडल के तहत फोरलेन निर्माण का काम इरा कंपनी के हवाले है। फोरलेन का निर्माण शुरू होने के बाद से ही तमाम पचड़े में पड़ा रहा। फिर एक बार फोरलेन निर्माण में अड़चन आ गई है। इस कारण पिछले करीब तीन महीने से निर्माण कार्य रुका हुआ है। वहीं, एनएचएआइ के अफसरों की माने तो 157 किलोमीटर वाले मार्ग में से 80 फीसद काम पूरा हो चुका है।
पैरवी में एनएचएआइ, जल्द रकम मिलने की उम्मीद
फोरलेन का निर्माण जल्द पूरा कराने की मंशा से एनएचएआइ ने कार्यदायी संस्था की पैरवी बैंक से की है। आला अधिकारी बैंक से बचे हुए 22 करोड़ रुपये संस्था को दिलवाने के प्रयास में लगे हैं। अधिकारियों को जल्द बची हुई रकम बैंक से मिलने की उम्मीद है। उनका कहना है कि अगर 15 दिन में भी बैंक से 22 करोड़ रुपये मिल जाते हैं तो बचा हुआ काम दो महीने में पूरा करा लिया जाएगा।
फोरलेन निर्माण में अभी खर्च होंगे करीब 50 करोड़ रुपये : बरेली-सीतापुर फोरलेन में अभी करीब 50 करोड़ रुपये और खर्च होने की उम्मीद है। विजया बैंक से करीब 22 करोड़ रुपये मिलने हैं। उसके बाद बाकी की रकम टोल प्लाजा से ली जाएगी। फरीदपुर रोड पर जेड गांव के पास टोल प्लाजा बनाया जा रहा है। करीब 70 फीसद काम पूरा हो चुका है। फिनिशिंग और उपकरण लगाने का ही काम बचा है। अधिकारियों की माने तो 22 करोड़ से सड़क व ओवरब्रिज का निर्माण पूरा हो जाएगा। बचे हुए फिनिशिंग के काम में टोल प्लाजा से मिलने वाली रकम इस्तेमाल की जाएगी।
अब भी बची हैं कई अड़चनें
बरेली समेत पांच जिलों से होकर गुजरने वाले फोरलेन का करीब 80 फीसद निर्माण पूरा होने का दावा किया जा रहा है। बरेली में जेड के पास टोल प्लाजा का काम तेजी से चल रहा है। फरीदपुर बाईपास से पहले अंडरपास पूरा बन चुका है। गुरुद्वारा के पास भी अंडरपास तैयार है, लेकिन सड़क किनारे रेलिंग नहीं लगने से खतरा बना है। द्वारिकेश शुगर फैक्ट्री के पास एक साइट का ओवरब्रिज निर्माण पूरा हो चुका है। इस ओर भी रेलिंग नहीं लगाई गई है। टिसुआ में सड़क के किनारे रेलिंग नहीं लगने से हादसे हो रहे हैं। हरेरा के पास फ्लाईओवर पर एक ओर ट्रैफिक चल रहा है। उसकी सर्विस रोड़ खराब है। फतेहगंज पूर्वी कस्बे में पुल अधूरा है। सर्विस रोड भी पूरी नहीं बनी है। एक ओर बना दी है, लेकिन पत्थर रखे होने से वाहन नहीं चल पा रहे। बहगुल नदी पर भी सीधी तरफ के पुल का काम चल रहा है।
शाहजहांपुर में बचा है काफी काम
फोरलेन का काम बंद होने से शाहजहांपुर में बरेली मोड़ से रोजा तथा मैगलगंज के पास करीब 22 किमी की सड़क के चौड़ीकरण का श्रीगणेश तक नहीं हो सका। शाहजहांपुर में बरेली मोड़, मिश्रीपुर बाईपास तथा रोजा का पुल का निर्माण भी अधर में लटक गया है। कार्यदायी संस्था इरा कंस्ट्रक्शन के प्रोजेक्ट मैनेजर ने कार्य में बाधा के लिए सिस्टम को दोषी करार दिया।
केंद्रीय राज्यमंत्री कृष्णाराज दूर कराएंगी बाधा
राष्ट्रीय राजमार्ग चौड़ीकरण कार्य प्रभावित होने का सर्वाधिक प्रभाव शाहजहांपुर की जनता पर पड़ रहा है। बरेली मोड़ से रोजा तक करीब दस किमी तक जर्जर सड़क है। इससे लोगों को आवागमन में बड़ी कठिनाई होती है। केंद्रीय राज्यमंत्री कृष्णाराज ने सड़क चौड़ीकरण की बाधा दूर कराने की बात कही। बोली, कार्यदायी संस्था के अधिकारियों की लापरवाही की वजह से काम लटका, फिर भी केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से मिलकर बाधा दूर कराई जाएगी।
इस तरह शुरू हुआ प्रोजेक्ट
पीपीपी मॉडल के तहत एनएचएआइ ने 22 जून 2010 को बरेली हाईवे प्रोजेक्ट कंपनी के साथ सड़क बनाने का अनुबंध किया था। एनएचएआइ ने प्रोजेक्ट करीब 1046 करोड़ का बनाया। इसके बाद एनएचएआइ के ढाई सौ करोड़, कंपनी के तीन सौ करोड़ और बैंक से करीब 14 सौ करोड़ के ऋण के साथ पूरे प्रोजेक्ट की लागत 1951 करोड़ रुपये पहुंच गई। शुरुआत में कुछ समय काम करने के बाद साल भर तक कंपनी के लापता होने से काम बंद रहा। पांच साल बाद भी मात्र 40 फीसद ही काम हो पाया। मार्च 2015 में एनएचएआइ ने कंपनी के साथ पूरक अनुबंध (सप्लीमेंटरी एग्रीमेंट) किया। उसके मुताबिक अब 26 सौ करोड़ रुपये में फोरलेन का निर्माण होगा। निर्माण पूरा करने के लिए जून 2018 तक का समय दिया गया है।
फोरलेन निर्माण में आती रही अड़चनें
नेशनल हाईवे का काम शुरू होने के कुछ समय के बाद ही इरा कंपनी साल भर तक गायब हो गई। बावजूद इसके एनएचएआइ ने कोई कार्रवाई नहीं की। फिर दोबारा कंपनी को ही काम दे दिया। पांच साल में प्रोजेक्ट की लागत बढ़ने पर एनएचएआइ ने 31 मार्च 2015 को कंपनी के साथ पूरक अनुबंध कर दिया। इसके अनुसार भी कंपनी को 31 दिसंबर 2016 तक सड़क को फोरलेन करना था। फिर भी कंपनी समय पर काम पूरा नहीं कर पाई। इसके बाद भी कंपनी को जून 2018 तक का समय दे दिया गया है। एक बार फिर सड़क निर्माण लटकने की आशंका बन गई है।
प्रोजेक्ट एक नजर में
प्रोजेक्ट- बरेली-सीतापुर मार्ग
लंबाई - 157 किलोमीटर
लागत - 2601 करोड़
कार्य शुरू - एक मार्च 2011
तय समय - 30 माह
कार्यदायी संस्था - बरेली हाईवे प्रोजेक्ट लिमिटेड
भूमि अधिग्रहण - 425 हेक्टेयर
कार्य बंद रहा - जुलाई 2013 से मई 2014
मरम्मत पर खर्च - 22 सौ करोड़
कार्य प्रगति - 70 फीसद
रेलवे ब्रिज - चार
बड़े पुल - आठ
छोटे पुल - 14
ग्रेड सेपरेटर - पांच
व्हीकल अंडर पास - 20
पैदल अंडर पास - 11
बॉक्स कॉलवर्ट - 70
पाइप की पुलिया - 120 वर्जन :
कार्यदायी संस्था इरा कंपनी को बैंक से बची हुई रकम नहीं मिलने के कारण फोरलेन निर्माण रुका हुआ है। बैंक अफसरों से बात की गई है, जल्द रकम मिलने की उम्मीद है। रकम मिलने पर करीब दो महीने में निर्माण पूरा करा लिया जाएगा। फिलहाल बुधवार को केंद्रीय परिवहन मंत्री की दिल्ली में बैठक है। उनके सामने इस मामले को भी रखा जाएगा।
-मुकेश शर्मा, परियोजना निदेशक, एनएचएआइ