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नौ महीने में कम वजन के 529 नवजात जन्में

हर मां-बाप चाहते हैं कि उनका होने वाला बचा स्वस्थ हो लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है। गर्भवती महिलाओं को पोषण कागजों में ही मिल रहा है। सिस्टम की लापरवाही का ही नतीजा है कि पिछले नौ माह के दौरान पैदा हुए बचों में आधे सामान्य से भी कम वजन के पैदा हुए हैं लेकिन जिम्मेदार कमी मानने को तैयार नहीं हैं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 16 Feb 2021 01:42 AM (IST)Updated: Tue, 16 Feb 2021 01:42 AM (IST)
नौ महीने में कम वजन के 529 नवजात जन्में
नौ महीने में कम वजन के 529 नवजात जन्में

अजयवीर सिंह, शाहजहांपुर :

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हर मां-बाप चाहते हैं कि उनका होने वाला बच्चा स्वस्थ हो, लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है। गर्भवती महिलाओं को पोषण कागजों में ही मिल रहा है। सिस्टम की लापरवाही का ही नतीजा है कि पिछले नौ माह के दौरान पैदा हुए बच्चों में आधे सामान्य से भी कम वजन के पैदा हुए हैं, लेकिन जिम्मेदार कमी मानने को तैयार नहीं हैं। मेडिकल कॉलेज के नवजात शिशु गहन इकाई में अप्रैल 2020 से जनवरी 2021 तक 1192 भर्ती नवजातों में 529 बच्चों का वजन डेढ़ किलो या उससे भी कम था। जबकि बच्चों का औसतन वजन ढाई किलो होना चाहिए।

नहीं दिया जा रहा ध्यान

बच्चों का वजन कम होने का कारण गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण न होना। प्रसव पूर्व जांच न कराना, खून की कमी होना या फिर कोई अन्य बीमारी। जबकि आशाओं को गर्भवती महिलाओं को प्रसव से पूर्व स्वास्थ्य केंद्र पर ले जाने व सभी जांचें कराने की जिम्मेदारी मिली है। एएनएम को टीकाकरण करना होता है। परेशानी होने पर महिलाओं को दवाएं भी दी जाती हैं। गर्भवती महिलाओं की मानीटिरिग भी करनी होती है, लेकिन कई स्थानों पर ऐसा हो नहीं रहा। जबकि टीकाकरण में लापरवाही पर डीएम इंद्र विक्रम सिंह स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की क्लास भी लगा चुके हैं।

जागरूकता की भी कमी

स्वास्थ्य विभाग की ओर से हर माह की नौ तारीख को प्रधानमंत्री मातृत्व सुरक्षित अभियान चलाया जाता है। महिलाओं की प्रसव से पूर्व जांच की जाती है। लेकिन कई बार गर्भवती महिलाएं जांच कराने ही नहीं पहुंचती। देसी उपचार के भरोसे रहती हैं, जिससे उनमें खून की कमी हो जाती है।

अल्ट्रासाउंड से भी बचती हैं महिलाएं

गर्भवती महिलाओं की प्रसव पूर्व चार जांच होना अनिवार्य होती है। जिसमें कम से कम एक या दो जांच अस्पताल में कराने का प्रावधान है। लेकिन महिलाएं अस्पताल तक नहीं पहुंचती। गर्भवती महिलाओं के अल्ट्रासाउंड का आंकड़ा महज 40 फीसद है। जिस कारण बच्चे के विकास की सही स्थिति पता नहीं चल पाती है।

सरकार यह दे रही सुविधा

आंगनबाड़ी केंद्रों पर गर्भवती महिलाओं के पुष्टाहार भेजा जाता है। प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना के तहत पंजीकरण कराने पर पहली बार मां बनने वाली महिला को पांच हजार रुपये दिए जाते हैं ताकि खान-पान सही से हो सके। प्रधानमंत्री सुरक्षा योजना में गर्भवती महिलाओं की जांच कराने की व्यवस्था है। जननी सुरक्षा योजना में लेकिन इनमें से अधिकांश खानापूर्ति तक सीमित हैं। फोटो : 15एसएचएन 21

जो गर्भवती महिलाएं समय से जांच नहीं कराती है या फिर उनका ब्लड प्रेशर कम और ज्यादा रहता है। ऐसी महिलाओं के समय से पहले प्रसव पीड़ा शुरू हो जाती है। जिस वजह से कम समय में बच्चे का जन्म हो जाता है। महिलाओं का कम से कम तीन बार चिकित्सक से जरूर सलाह लेनी चाहिए।

डॉ. किरन गुप्ता, बाल रोग विशेषज्ञ मेडिकल कॉलेज जिले में दो लाख 27 हजार लाभार्थियों को दूध, दाल, चावल, घी आदि का वितरण कराया जा रहा है। कुपोषित व अति कुपोषित बच्चों को सामान्य श्रेणी में लाने के लिए नियमों का भी पालन कराया जा रहा है। महिलाओं को भी जागरूक होना चाहिए।

ज्योति शाक्य, डीपीओ बच्चों का वजन कम होना चिताजनक है। लापरवाही कहां पर हो रही है इसकी मॉनीटरिग की जाएगी। जो बच्चे कम वजन के आ रहे हैं उनकी सघन मॉनीटरिग की जा रही है। सरकार की योजनाओं का लाभ शत प्रतिशत गर्भवती महिलाओं को मिले। इस पर पूरा जोर है।

डॉ. एसपी गौतम, सीएमओ फैक्ट फाइल

- 36 लाख आबादी है जिले की

- 1 लाख 7 हजार 74 का लक्ष्य है गर्भवती महिलाओं के टीकाकरण का

- 87 हजार 67 बच्चों के टीकाकरण का निर्धारित किया गया है लक्ष्य

- 2532 : कुपोषित बच्चे है जिले में

- 893 : अतिकुपोषित बच्चे है


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