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चार माह से बिना किताब पढ़ रहे 4.02 लाख बच्चे

चार माह से बिना किताब पढ़ रहे 4.02 लाख बच्चे

By JagranEdited By: Published: Thu, 21 Jul 2022 11:45 PM (IST)Updated: Thu, 21 Jul 2022 11:45 PM (IST)
चार माह से बिना किताब पढ़ रहे 4.02 लाख बच्चे
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जेएनएन, शाहजहांपुर : शैक्षिक गुणवत्ता के लिए शिक्षकों पर दोषारोपण करने वाले जिम्मेदार नौनिहालों के भविष्य से खिलवाड़ कर रहे हैं। अभी तक विभाग बेसिक स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को किताबें नहीं मुहैया करा सका। इस कारण बच्चों की पढ़ाई बाधित हो रही है। जबकि बीएसए को भी जुलाई के प्रथम सप्ताह में भी किताबें स्कूलों तक पहुंच जाने का भरोसा था। अब वह भी निरुत्तर है। विभाग ने 77 हजार किताबे भेजने के बाद इतिश्री कर ली। कम किताबों की वजह से सत्यापन भी नहीं कराया जा रहा है। बेसिक शिक्षा परिषद के करीब 2720 बेसिक विद्यालयों में करीब चार लाख दो हजार बच्चे पंजीकृत है। कक्षा एक से आठ तक के औसतम सात किताबों का वितरण होना है। शासन स्तर से पुस्तक छपाई व वितरण का टेंडर हो चुका है। लेकिन अभी तक किताबें स्कूलों को नहीं मुहैया कराई जा सकी। गत सप्ताह एक ट्रक से कक्षा चार की 77300 किताबे भेजी गई। उनका भी सत्यापन नहीं कराया जा सका। पुरानी किताबों व मोबाइल से पढ़ा रहे शिक्षक एक अप्रैल से शिक्षण सत्र का शुभारंभ हो गया। गर्मियों की छुट्टी के बाद भी 16 जून से स्कूल खुल चुके हैं। शिक्षक भी नियमित विद्यालय जा रहे हैं। विद्यालय न जाने पर 180 शिक्षकों के खिलाफ वेतन रोकने की कार्रवाई भी की जा चुकी है। लेकिन बच्चों को अभी तक शिक्षण सत्र की नई पुस्तकें नहीं मिली। नतीजतन शिक्षक पुरानी किताबों व मोबाइल की मदद बच्चों को पढ़ा रहे हैं। 25 लाख पुस्तकों की है जिले में जरूरत इस वर्षा चार लाख दो हजार बच्चों के लिए 25 लाख से अधिक पुस्तकों की मांग की गई है। विद्यालयों तक किताबें पहुंचाने का टेंडर लेने वाली फर्म अभी तक तीन प्रतिशत ही किताबें मुहैया करा सकी। यदि लगातार भी पुस्तकों की खेप भेजी गई, फिर भी सत्यापन के साथ इस माह पुस्तकों को बच्चों को उपलब्ध करा पाना मुश्किल होगा। नतीजतन अधिकारियों के ध्यान देने पर आगामी माह तक ही 25 लाख पुस्तकों का आवंटन संभव होगा। पुस्तकों की आपूर्ति शुरू हो गई है। 77 हजार किताबें आ चुकी है। शेष आने वाली है। इस माह के अंत तक पुस्तकें मिल जाने की पूरी संभावना है। हालांकि बच्चों का कोई नुकसान नहीं हो रहा, शिक्षक पुरानी पुस्तकों से उन्हें पढ़ा रहे है। सुरेंद्र सिंह रावत, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी


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