1053 किसानों को उद्यमी बना बढ़ाई शान, देश में बनाई पहचान
जनसंख्या अभिशाप नहीं वरदान है.. सुनियोजन से आबादी समाज व देश का गौरव व शान बन जाती है। भावना सेवा संस्थान ने चार वर्ष पूर्व यहीं किया। ददरौल विकास खंड के पिछड़े क्षेत्र गांव सरौरी चांदापुर में किसानों को उपज का उचित मूल्य दिलाने के लिए शहीदों के सम्मान स्वरूप शहीद भूमि बासमती प्रोड्यूसर कंपनी (कृषक उत्पादन संगठन) की स्थापना की।
जागरण संवाददाता, शाहजहांपुर : जनसंख्या अभिशाप नहीं, वरदान है.. सुनियोजन से आबादी समाज व देश का गौरव व शान बन जाती है। भावना सेवा संस्थान ने चार वर्ष पूर्व यहीं किया। ददरौल विकास खंड के पिछड़े क्षेत्र गांव सरौरी चांदापुर में किसानों को उपज का उचित मूल्य दिलाने के लिए शहीदों के सम्मान स्वरूप शहीद भूमि बासमती प्रोड्यूसर कंपनी (कृषक उत्पादन संगठन) की स्थापना की। गोष्ठी व संपर्क अभियान से 104 किसानों को कंपनी का अंशधारक बनाकर उन्हें सीधे बासमती धान उत्पादन से जोड़ा। बासमती की उपज होने पर कंपनी ने किसानों के घर से ही बासमती को खरीद लिया। इससे प्रति क्विटल आय में करीब 500 रुपये का इजाफा हुआ। इससे किसानों का कंपनी के प्रति विश्वास बढ़ा और चार साल में कंपनी के शेयरधारक किसानों की संख्या बढ़कर 1053 हो गई। छोटे से गांव में इकाई के रूप में शुरू कंपनी की अब देश में साख है।
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आइसीएआर पूसा ने उन्नतशील किस्म के आधारीय बीज उत्पादन का जिम्मा सौंपा
हजारों किसानों का सहारा बन चुके शहीदभूमि कृषक उत्पादक संगठन को बासमती एक्सपोर्ट डेवलपमेंट फाउन्डेशन'' की मदद से बासमती धान की उन्नत प्रजातियों के विकास का गौरव हासिल हुआ है। गत वर्ष 253 किसानों ने बीज उत्पादन कर एक ही फसल में आय में करीब 20 से 30 फीसद का इजाफा कर लिया। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के पूषा इंस्टीट्यूट ने एचडी 3226 तथा एचडी 3086 उन्नतशील धान की प्रजातियां के आधारीय बीज उत्पादन का भी कंपनी को जिम्मा सौंप दिया। इससे धान बिक्री को बिचौलियों के चक्कर काटने वाले किसानों के खेत से ही अब धान खरीद होने लगी है।
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केआरबीएल ने खरीदा 20 हजार क्विटल बासमती
उन्नतशील बीज व बासमती चावल के निर्यात करने वाले देश की केआरबीएल कंपनी ने सरौरी गांव स्थित शहीद भूमि बासमती प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड के 104 किसानों से 20300 क्विटल बासमती धान की खरीद की है। जनसंख्या सुनियोजन के नायाब प्रयास पर नाबार्ड ने कंपनी को प्रोड्यूसर आर्गेनाइजेशन प्रमोशन फंड (पीओपीएफ) के माध्यम से वित्तीय मदद भी मुहैया कराई है।
बीज विधायन संयत्र को मिली मदद
शहीदभूमि बासमती प्रोड्यूसर कंपनी ने क्रिएशन ऑफ सीड्स इंफ्रास्ट्रक्चर फैसीलिटीज योजना के तहत बीज विधायन संयन्त्र की स्थापना की है। एक गोदाम भी बनाया जा रहा है। इसके लिए 60 लाख का वित्तीय मदद भी किसानों की कंपनी को मिली मुहैया कराई गई है। खास बात यह रही कि जब कोविड संक्रमण के दौरान देश संकट में था तब कंपनी का निवेश बढ़ा है।
फार्म मशीनरी बैंक से घटाई लागत बढ़ाई पैदावार
कंपनी ने गांव में फार्म मशीनरी बैंक की भी स्थापना की है। इससे किसानों को सस्ते किराए में खेती के लिए उपकरण मिल रहे है। नतीजतन उनकी लागत में प्रति हेक्टेयर दो हजार की कमी दर्ज हुई। कंपनी की उपलब्धि देख प्रशासन ने धान खरीद केंद्र भी दे दिया। इससे किसानों को धान बिक्री के लिए कहीं भटकना नहीं पड़ा। ।
लक्ष्य : दस हजार धान बीज का उत्पादन कर शेयरधारक किसानों की आय को बढ़ाना। जैविक खाद का उत्पादन कर किसानों के लिए अतिरिक्त आय का स्त्रोत तैयार करना।
सरोकार : शहीद भूमिक बासमती एफपीओ से आठ महिलाएं भी मुख्य धारा में है। जनसंख्या नियोजन के साथ कंपनी महिलाओं के हाथ से बने टोकरी, चटाई, दलिया आदि की भी खरीद कर बिक्री करती है। इससे नारी सशक्तिकरण व स्वावलंबन का भी काय हो रहा है।
स्वयं सहायता समूह व एफपीओ बनेंगे तारणहार
प्रशासन ने जनसंख्या नियोजन के लिए राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत एक हजार समूहों के गठन का लक्ष्य तय किया है। इसके तहत करीब 11 हजार महिलाओं को स्वावलंबी बनाया जाएगा। शासन ने उपायुक्त की नियुक्ति भी कर दी है। 65 कृषक उत्पादक संगठन बन चुके है। प्रत्येक ग्राम पंचायत में कृषक उत्पादक संगठन का गठन कर किसानों की आय को दूना करने का लक्ष्य है। इससे किसान खुशहाल व गांव मजबूत होंगे।
मनरेगा से सृजित होंगे 45 लाख कार्य दिवस
मनरेगा के तहत 1.54 लाख लोगों को 40 लाख कार्यदिवस का कार्य दिया जा चुका है। मार्च तक 42 लाख मानव कार्य दिवस का लक्ष्य है। आगामी वित्तीय वर्ष में 42 से 44 लाख मानव दिवस के कार्य की योजना तय की जा रही है।
रोजगार के खुलेंगे द्वार
प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के तहत 500, मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत 400 तथा एक जिला एक उत्पाद योजना के तहत 300 ने आवेदन किया है। 16328 सेवामित्र एप पर श्रमिक पंजीकृत है। प्रशासन सभी रोजगार मुहैया कराने के प्रयास में है।
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जनसंख्या सुनियोजन के लिए सरकारी की कई योजनाएं संचालित है। महिला स्वयं सहायता समूह व एफपीओ के माध्यम से अधिकाधिक लोगों के सुनियोजन का प्रयास है। मनरेगा, राष्ट्रीय आजीविका मिशन, रोजगार परक योजनाओं के माध्यम से भी अवसर प्रदान किए जाएंगे।
इंद्र विक्रम सिंह, जिलाधिकारी