महिलाएं निर्जल व्रत रखकर आज करेंगी भगवान गणेश की पूजा
व्रती कथा सुनकर लेंगी आशीष पर्व पर पूजन-अर्चन होगा। महिलाएं ज्योति जलाकर चौथ की पौराणिक कथा सुनती हैं। दान-पुण्य करके घर में बड़े-बुजुर्गो से आशीर्वाद लेंगी। मान्यता है कि गणेश चतुर्थी का उपवास श्रद्धा व विश्वास से करने पर संतान की दीर्घायु बुद्धि और ऋद्धि -सिद्धि की प्राप्ति संभव है।
संतकबीर नगर : शुक्रवार को गणेश चतुर्थी के अवसर पर महिलाएं निर्जल व्रत रखकर भगवान गणेश की पूजा करेंगी। साथ ही संतान के दीर्घायु होने, परिवार के सुख-समृद्धि की कामना करेंगी। गुरुवार को प्रसाद के लिए तिल, लाई, भुजा, गुड़, गंजी, फल आदि की खूब खरीदारी हुई। घरों में गुड़ व तिल के मिश्रण का प्रसाद तैयार हुआ। रात में चंद्र उदय के बाद अर्घ्य अर्पित करके तिल के लड्डू, गंजी का भोग लगेगा।
परंपरा के अनुसार चंद्रमा के उदय होने पर पूजन होगा। पर्व पर मंदिरों में दर्शन करके दान-पुण्य का सिलसिला शुरू हो गया है। इस पर्व को माघ चतुर्थी या तिल चौथ के नाम से भी जाना जाता है। वर्षभर में पड़ने वाली गणेश चतुर्थी में यह सबसे बड़ी चतुर्थी मानी गई है। इस दिन भगवान श्रीगणेश की आराधना सुख-सौभाग्य की दृष्टि से श्रेष्ठ माना गया है। व्रती कथा सुनकर लेंगी आशीष
पर्व पर पूजन-अर्चन होगा। महिलाएं ज्योति जलाकर चौथ की पौराणिक कथा सुनती हैं। दान-पुण्य करके घर में बड़े-बुजुर्गो से आशीर्वाद लेंगी। मान्यता है कि गणेश चतुर्थी का उपवास श्रद्धा व विश्वास से करने पर संतान की दीर्घायु, बुद्धि और ऋद्धि -सिद्धि की प्राप्ति संभव है। पूजन-अर्चन फलदायी
खलीलाबाद के शिवशंकरपुर निवासी पंडित कपिलदेव त्रिपाठी का कहना है भगवान श्रीगणेश मंगलकारी देव हैं। चतुर्थी के दिन पूजा- अर्चना और व्रत करने से समस्त संकट दूर होते हैं। इससे बुद्धि और ऋद्धि-सिद्धि की प्राप्ति होती है। महिलाओं द्वारा संतान रक्षा व पति के दीर्घायु के लिए यह व्रत फलदायी है। खलीलाबाद में कुछ ऐसा बाजार भाव दर
सामग्री - रुपया (प्रति किग्रा)
तिल काला -160 से 190
तिल सफेद - 130 से 140
रामदाना - 90 से 100
गंजी लाल - 25 से 28
गंजी सफेद - 30 से 35
गुड़ - 45 से 60