साहब! अभी जिदा हैंहम ..
पेंशन बची रहे इसके लिए बुजुर्ग कोषागार पहुंच रहे हैं। वहां अपने जिदा होने का सबूत प्रस्तुत कर रहे हैं। वरिष्ठ कोषाधिकारी के समक्ष हाजिर होकर बता रहे हैं कि साहब हम अभी मरे नहीं हैं। कोई अपने पोते को लेकर कोई अपने बेटे के कंधे का सहारा लेकर पहुंच रहे हैं।
संतकबीर नगर : पेंशन बची रहे इसके लिए बुजुर्ग कोषागार पहुंच रहे हैं। वहां अपने जिदा होने का सबूत प्रस्तुत कर रहे हैं। वरिष्ठ कोषाधिकारी के समक्ष हाजिर होकर बता रहे हैं कि साहब हम अभी मरे नहीं हैं। कोई अपने पोते को लेकर कोई अपने बेटे के कंधे का सहारा लेकर पहुंच रहे हैं।
बुधवार को कोषागार कार्यालय में बैठने तक की जगह नहीं रही। बुजुर्ग फर्श पर ही अपना फार्म दूसरे के भरोसे भरने को मजबूर रहे। जिले में करीब सात हजार पेंशनधारी हैं। आधा दर्जन सौ के करीब हैं। सत्तर के पार जिले में सैकड़ों पेंशनधारी हैं। सरकारी नियम के अनुसार पेंशनधारी को अपने जीवित होने का प्रमाण प्रस्तुत करने के लिए कोषागार आना पड़ता है।
सिचाई विभाग से सेवानिवृत्त हुए 85 वर्षीय शोहराब अली सदर तहसील के दलेलगंज के रहने वाले हैं। वह अपने बेटे के साथ पहुंचे थे। उन्होंने कहा कि सरकार का यह नियम अब हम पर भारी पड़ रहा है। शादीगंज की 88 वर्षीय सावित्री देवी के पति पुलिस में थे। उनके निधन के बाद अब उन्हें पेंशन मिलती है। वह आटोरिक्शा में बैठकर अपने जीवित होने का प्रमाण प्रस्तुत करने मुख्यालय पहुंची थीं। रानीपुर के 73 वर्षीय लालमन इंटर कालेज में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी थे। वह भी अपने जीवित होने की जानकारी देने अधिकारी के सम्मुख प्रस्तुत थे। राजमन पटखौली के रहने वाले हैं। सत्तर पार हो चुके हैं। वह भी पेंशन बची रहे इसके लिए अपने पोते के साथ प्रस्तुत हुए थे।
वरिष्ठ कोषाधिकारी जगनारायण झा ने कहा कि पेंशन पाने वाले को वर्ष में एक बार अपने जिदा होने का सबूत देना होता है। वह वर्ष में कभी भी एक बार कार्यालय आकर प्रमाण दे सकता है। वह जिस दिन आता है उससे एक वर्ष तक मान्य होता है।